मिलिए  बालाचंदर कार्तिकेयन से, जिनका Whatsapp और Signal मैसेजिंग ऐप्स बनाने में है बड़ा योगदान

"Legend of WhatsApp"

Whatsapp के ऑफिस में पूरी टीम उन्हें

के नाम से बुलाती है!

बालाचंदर कार्तिकेयन के पास दुनिया के किसी बड़े और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज की डिग्री तो नहीं, लेकिन वह इकलौते भारतीय हैं, जिन्होंने WhatsApp और Signal जैसे वर्ल्ड पॉपुलर मैसेजिंग ऐप्स को बनाने में मदद की है।

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इंटरनेशनल मीडिया से एक इंटरव्यू के दौरान, यह बात खुद Signal foundation के को-फाउंडर ने कही है। वह बताते हैं कि भारत में उनका एक दोस्त है, जिससे वह रोज़ फ़ोन पर बात करते हैं।

बालाचंदर के काम की तारीफ़ें करते हुए उन्होंने कहा कि उनका यह भारतीय मित्र उनको बताता है कि इंडिया में क्या चल रहा है, जिससे उन्हें देश के मार्केट और कस्टमर्स के बारे में पता चलता है। इसके अलावा, बालाचंदर कार्तिकेयन उन्हें प्रॉडक्ट और फीचर्स आइडियाज़ भी देते हैं।

बालाचंदर कार्तिकेयन इकलौते ऐसे भारतीय हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप WhatsApp और Signal, दोनों को बनाने में फाउंडर्स के साथ मिलकर काम किया है और इनके साथ कार्तिकेयन का बहुत अच्छा 'वर्किंग रिलेशनशिप' है।

जहां भारत के बड़े-बड़े क़ाबिल इंजीनियर्स विश्व के प्रतिष्ठित कॉलेजेज़, जैसे-IIT, स्टैनफोर्ड और हार्वर्ड से डिग्री लेते हैं, वहीं बालाचंदर साउथ इंडिया में अपने होमटाउन के एक साधारण इंजिनीरिंग कॉलेज से ड्रॉपआउट हैं! आज उनकी योग्यता और सफलता को डिग्री से नहीं आंका जा सकता।

वह एक self-taught शख़्स हैं, जिन्होंने किताबों और इंटरनेट की मदद से खुद ही कप्यूटर प्रोग्रामिंग और कई टेक्निकल स्किल्स सीखी हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि Whatsapp में सीधे तौर पर को-फाउंडर के साथ काम करने के लिए भी उन्हें किसी हायरिंग प्रोसेस या इंटरव्यू से नहीं गुज़रना पड़ा था। 2015 में, जब बालाचंदर ने एक स्वदेशी मैसेजिंग ऐप बनाने के लिए कॉलेज छोड़ा था, तब उन्होंने  Whatsapp पर एक security flaw का पता लगाया।

इसके बाद उन्होंने व्हाट्सएप टीम को इस बग की सूचना दी, जिससे को-फाउंडर का ध्यान उनके काम पर गया और उन्होंने बालाचंदर को अपने साथ काम करने का ऑफर दिया।

उस समय बालाचंदर भारत के एकमात्र व्यक्ति थे, जो व्हाट्सऐप के लिए काम कर रहे थे। उन्होंने व्हाट्सएप के सह-संस्थापक के साथ मिलकर काम किया और सभी प्रॉडक्ट रोडमैप को बनाने में योगदान दिया। वह व्हाट्सएप के विकास में सक्रिय रूप से शामिल थे।

बालाचंदर के आइडियाज़ ने स्टेटस, ग्रुप्स, वीडियो कॉल्स, पेमेंट्स, जैसे कई फीचर्स को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई है। हर फाइनल प्रॉडक्ट की हाई क्वालिटी के लिए भी वही ज़िम्मेदार हैं।

व्हाट्सएप में पांच साल के बेहतरीन काम के बाद, जब सह-संस्थापक ने अपना अगला वेंचर Signal foundation शुरू करने के लिए व्हाट्सएप छोड़ा, तो बालाचंदर भी उनके साथ सिग्नल के मिशन में शामिल हो गए।

आज सिग्नल टीम के साथ मिलकर बालाचंदर कड़ी मेहनत से काम कर रहे हैं और प्रॉडक्ट्स की क्वालिटी का ख़ास ध्यान रखते हैं।

सभी देशवासियों और ख़ासकर भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स के लिए यह काफ़ी गर्व और प्रेरणा की बात है।

Muscle

"व्हाट्सएप और सिग्नल के को-फाउंडर के साथ काम करने के लिए मैं आभारी और भाग्यशाली हूँ, क्योंकि उन्होंने मेरी ज़िंदगी बदल दी और मुझे अपने ज्ञान और क्षमताओं को बढ़ाने का मौक़ा दिया है, जबकि ज़्यादातर भारतीय कंपनियों ने मुझे ठुकरा दिया था।"

-बालाचंदर कार्तिकेयन