अंग्रेजों की सेना में होते हुए भी उनके खिलाफ जाने की हिम्मत उस समय शायद ही किसी में थी। मंगल पांडे के अंदर का गुस्सा इतना ज्यादा था कि उन्होंने अंग्रेजों के हर गलत व्यवहार का जवाब देने का फैसला किया।
1.
मंगल पांडे के इसी फैसले और विद्रोह के कारण देश भर की कई छावनियों में सैन्य विद्रोह शुरू हो गया।
मंगल पांडे के साथ जब कई और सिपाहियों ने चर्बी वाले कारतूस इस्तेमाल करने से मना कर दिया, तब अंग्रेज डर गए और विद्रोहियों से लड़ने के लिए नई सेना भी बुलवाई।
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लेकिन उससे पहले ही 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अपने कमांडिंग ऑफिसर को गोली मार दी।
इस घटना के बाद मंगल पांडे को गिरफ्तार किया गया और फांसी की सजा भी सुनाई गई।
3.
देश भर की सैन्य छावनियों में विद्रोह इतनी तेजी से फैला था कि मंगल पांडे को 10 दिन पहले, 8 अप्रैल को ही फांसी दे दी गई।
ऐसा कहा जाता है कि बैरकपुर छावनी के सभी जल्लादों ने मंगल पांडे को फांसी देने से इनकार कर दिया था।
फांसी देने के लिए बाहर से जल्लाद बुलाए गए थे।
4.
1857 की क्रांति भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम था, जिसकी शुरुआत मंगल पांडे के विद्रोह से हुई थी।
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आजादी की लड़ाई का बिगुल बजाने वाले मंगल पांडे के सम्मान में भारत सरकार ने 1984 में एक डाक टिकट भी जारी किया था।