बिहार का गोलघर: 

देश का बिहार राज्य किसी एक चीज़ के लिए नहीं, बल्कि कई चीज़ों के लिए फेमस है। इन्हीं में से एक है राजधानी पटना में मौजूद 'गोलघर'।

इसका ज़िक्र किए बिना बिहार का इतिहास अधूरा ही रहता है। लगभग 237 साल पुराना गोलघर आज भी संरक्षित है।

इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण लगभग 20 जनवरी 1784 को शुरू हुआ था और 20 जुलाई 1786 के आसपास यह बनकर तैयार हुआ।

1770 के आसपास बिहार राज्य भयंकर सूखे के दौर से गुज़र रहा था और करोड़ों लोग भुखमरी के शिकार हो गए थे। कई लोग शहर छोड़कर भी जाने लगे थे...

इस भयानक दौर के बाद उस समय के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई ताकि अनाज को स्टोर किया जा सकें।

आज भी मजबूती से खड़े गोलघर की ऊंचाई 29 मीटर और इसका आकार लगभग 125 मीटर है और दीवार लगभग 3.6 मीटर चौड़ी है।

लगभग 145 सीढ़ियों के सहारे आप इसके उपरी सिरे पर जा सकते हैं जहां से शहर का एक बड़ा हिस्सा देखा जा सकता है। कहा जाता है कि उस समय इस गोलघर में लगभग 1,37,000 टन अनाज स्टोर करने की क्षमता थी।

हालांकि, अकाल से बचने के लिए गोलघर बनाने की यह योजना सफल नहीं हुई थी क्योंकि इनकी डिज़ाइन में कई तरह की खामियां सामने आई थीं।

भले ही यह जिस उद्देश्य से बनाया गया वह पूरा नहीं हो सका लेकिन गोलघर आज न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत में अपनी तरह की इकलौती इमारत है और एक महत्वपूर्ण टूरिस्ट प्लेस भी।

अगर आप कभी पटना जाएं तो इस ऐतिहासिक इमारत को ज़रूर देख सकते हैं।