By Archana Dubey

भारत अलग-अलग तरह के जानवरों, स्तनधारियों और सरीसृपों की कई प्रजातियों वाला देश है, जहां लगभग 89 राष्ट्रीय उद्यान, 18 जैव-भंडार और लगभग 400 वन्यजीव अभ्यारण्य हैं। 

शिकार और दूसरी तरह की गतिविधियों में बढ़ोतरी के कारण, कई वन्यजीवों के विलुप्त होने का खतरा भी बढ़ गया है, जिसका सीधा असर हमारे ईको सिस्टम और पर्यावरण पर पड़ रहा है। 

तो चलिए जानें कि इंसानों की लापरवाहियों और स्वार्थ के कारण कौन-कौन से जीव विलुप्त होने के कगार पर हैं।

1.  पश्चिमी हूलॉक गिब्बन

Multiple Blue Rings
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पिछले 30 वर्षों में, पश्चिमी हूलॉक गिबन्स की आबादी में लगभग 90% की गिरावट आई है। इसे अब दुनिया की 25 सबसे लुप्तप्राय प्राइमेट प्रजातियों में से एक माना जाता है।  यह भारत में भारतीय (वन्यजीव) संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में सूचीबद्ध है।

Multiple Blue Rings
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2.  एशियाई शेर

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2010 से, प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) ने एशियाई शेर को एक लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में नामित किया है। हालांकि 2020 में, एशियाई शेरों की जनगणना की गई, जिसमें 2015 के बाद से जनसंख्या में 29% की वृद्धि हुई, और अब लगभग 674 शेर गिर राष्ट्रीय उद्यान में रह रहे हैं।

3.  ब्लैकबक

काले हिरण के गायब होने के प्रमुख कारण अवैध शिकार, आवास विनाश, आवास विखंडन, शहरीकरण और उपेक्षा हैं। यह भारत में लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में शामिल है (भारतीय वन्यजीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में)।

4.  कश्मीरी रेड स्टैग

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 IUCN ने कश्मीरी रेड स्टैग को गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति घोषित किया है। सदियों से हो रहे शिकार के कारण इनकी आबादी में कमी आई है।   इसे भारत सरकार द्वारा उच्च संरक्षण प्राथमिकता वाली शीर्ष 15 प्रजातियों में सूचीबद्ध किया गया है।

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5.  शेर की पूंछ वाला मकाक

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शेर-पूंछ वाले मकाक (मकाका सिलेनस) को 'IUSN रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीशीज' में ‘लुप्तप्राय’ श्रेणी में रखा गया है।  वे भारत में पश्चिमी घाटों के वर्षावनों मुख्यतः कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में पाए जाते हैं।  इनके नाम के पीछे का कारण इनका अलग अयाल और पूंछ है, जो शेरों की तरह दिखते हैं।

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