केरल के अजय गोपीनाथ से जानिए, कैसे वह अपने घर के एक छोटे से कमरे में माइक्रोग्रीन्स उगाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं।
छोटे-छोटे सीडलिंग ट्रे में उगने वाले माइक्रोग्रीन्स, कई पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
बेंगलूरु में काम करते हुए, अजय गोपीनाथ को माइक्रोग्रीन्स के बारे में बस इतनी ही जानकारी थी।
लेकिन साल 2017-18 में बैंक की नौकरी छोड़कर, जब उन्होंने कोच्चि (केरल) आकर रहने का फैसला किया, तब उन्होंने पहली बार घर पर ही माइक्रोग्रीन्स उगाना शुरू किया।
यूट्यूब से उन्होंने माइक्रोग्रीन्स उगाना सीखा और क़रीबन दो सालों के बाद इसे अपने बिज़नेस में तब्दील कर दिया।
उन्होंने चने के माइक्रोग्रीन्स को टिश्यू पेपर के इस्तेमाल से उगाया था। लेकिन बाद में उन्हें लगा कि इंटरनेट पर मौजूद सारी जानकारियां सही नहीं होतीं।
इसलिए उन्होंने UK में अपने एक मित्र से सम्पर्क किया, जो किसान हैं और माइक्रो ग्रीन्स उगाते हैं।
उनसे अजय को सही जानकारी मिली कि किस तरह के बीजों का इस्तेमाल माइक्रोग्रीन्स के लिए करना अच्छा होता है।
उन्होंने बेंगलुरु, पुणे और चंडीगढ़ से अच्छी किस्मों के बीज मंगवाना शुरू किया, जो लगभग 600 रुपये किलो थे।
उन्होंने अपने घर के ही एक 80 स्क्वायर फ़ीट कमरे में सिस्टम बनाया और काम शुरू किया।
शुरुआत में वह मात्र अपने दोस्तों को अलग-अलग किस्मों के माइक्रो ग्रीन्स उगाकर देते थे।
उनसे काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद उन्होंने साल 2020 में अपने बिज़नेस को बढ़ाने का सोचा।
आज वह तक़रीबन 15 किस्मों की सब्जियों और दालों के माइक्रोग्रीन्स उगा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि माइक्रोग्रीन्स उगाने के लिए कोकोपीट सबसे अच्छा मीडियम है। साथ ही वह छोटे-छोटे छेद वाली ट्रे का इस्तेमाल करते हैं।
इसमें अच्छे से बीजों को फ़ैलाने के बाद उनको बंद करके कम लाइट में रखना होता है, जिसमें हवा भी अच्छी मिले।दो दिनों के बाद बीज जर्मिनेट हो जाएंगे और सात दिनों में माइक्रो ग्रीन्स लगभग तैयार हो जाएंगे।
वह हर दिन करीबन 5 किलों माइक्रोग्रीन्स हार्वेस्ट करते हैं और इसे 150 रुपये प्रति 100 ग्राम की कीमत पर बेचते हैं।
अजय इस बिज़नेस से महीने के तीन लाख रुपये कमा रहे हैं।