बचपन से ही छाया को आर्ट और क्राफ्ट में रुचि थी। उन्होंने सोचा कि व्यस्त रहने के लिए क्यों न यही काम किया जाए? छाया ने ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स के ज़रिए कैनवास और लकड़ी पर पेंटिंग शुरू की।
शौक़ के तौर पर शुरू किया गया यह काम जल्द ही उनका बिज़नेस बन गया और आज वह लोगों को मंडला कला, वार्ली कला, लिप्पन कला, पिचवाई कला और मधुबनी कला जैसे आर्ट सिखाती भी हैं।
हालांकि यह सफर उनके लिए आसान नहीं था, एक होम्योपैथिक डॉक्टर रहीं छाया ने डॉक्टरी छोड़ कला को बिज़नेस बनाने का फैसला किया। उनका काम काफी अच्छा भी चल रहा था, लेकिन फिर जब उनके बच्चे हुए, तो उन्हें इस काम को भी छोड़ना पड़ा।
बच्चों के बड़े होने के बाद छाया ने एक बार फिर अपने पैशन को फॉलो करने की ठानी और साल 2016 में उन्होंने अपने पैशन को प्रोफेशन में बदला।
आज छाया कस्टमाइज़ आर्ट वर्क भी करती हैं। उनके आर्ट की अब मार्केट में इतनी डिमांड है कि उनके आर्ट वर्क 250 रुपए से लेकर 45 हजार रुपए तक में बिकते हैं।