नारियल पानी पीने के बाद उसके खोल का आप क्या करते हैं?  अगर आप भी इसे फेंक देते हैं, तो अब ऐसा करने की ज़रूरत नहीं...

मुंबई के रहनेवाले मनीष आडवाणी और जयनील त्रिवेदी ने एक तीर से दो समस्याओं पर निशाना साधा है - 

उन्होंने एक ओर, जहां कचरे से सस्ता सुंदर टिकाऊ घर बना दिया, वहीं दूसरी ओर उसी कचरे में पनपते डेंगू मच्छरों से बचाव भी कर लिया।

मनीष, काफ़ी समय से मुंबई में कचरे की समस्या से लड़ रहे हैं। ऐसे में, उन्होंने कचरा प्रबंधन के तरीके खोजने शुरू किए।  उन्होंने सबसे पहली शुरुआत अपने घर के कचरे को कम्पोस्ट करने से की।

"नारियल के खोल काफ़ी सख्त होते हैं और इसे डीकम्पोज़ होने में बहुत वक्त लगता है। नारियल के खोल अगर डीकम्पोज न हों, तो बहुत से बीमारी फैलाने वाले मच्छर-मक्खियों का घर बन जाते हैं।"

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मनीष ने इन खोलों को फिर से इस्तेमाल करने के तरीके ढूँढने शुरू किए। उनका पहला आईडिया खोल को पौधे लगाने के लिए इस्तेमाल करना था।

इसके अलावा, नारियल के खोल के और क्या इस्तेमाल हो सकते हैं, इस पर विचार- करने के दौरान, इनसे घर  बनाने का आईडिया मिला। मनीष ने अपने इस आईडिया को जयनील को बताया।

यह उन दोनों के आईडिया और मेहनत का ही नतीजा था कि नारियल के खोल से कम लागत वाले इको-फ्रेंडली घरों का कॉन्सेप्ट निकल कर आया।

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इन दोनों ने इस नारियल के घर का प्रोटोटाइप बनाने के लिए सोमैया कॉलेज के 20 छात्रों को अपने साथ जोड़ा। इन छात्रों ने वेस्ट में फेंके हुए नारियल के खोल को इकट्ठा किया और फिर 18 दिन तक उन्हें सुखाया।

जयनील बताते हैं कि उन्होंने इस नारियल के घर में एयर कैविटी के सिद्धांत का इस्तेमाल किया है। 

नारियल के खोल में प्राकृतिक तौर पर कैविटी होती है और इसलिए इससे बनी घर की दीवार और छत से अंदर का तापमान खुद-ब-खुद ही कम रहेगा।

इस प्रोटोटाइप को बनाने में सिर्फ़ 10 हज़ार रुपए का खर्च आया और यह बहुत ही कम लागत का हाउसिंग आईडिया है।

मनीष और जयनील के इस आईडिया को बहुत-सी जगह सराहा गया है।  इंटरनेशनल ग्रीन एप्पल अवॉर्ड्स में उन्हें ब्रॉन्ज़ मेडल मिला। यह अवॉर्ड दुनिया की सबसे बेहतर पर्यावरण पहल को दिया जाता है।

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