चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग के साथ भारत चंद्रमा पर यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा।

इसरो के शुरुआती दो अभियानों के बाद यह तीसरा प्रयास है जिसे चंद्रयान-2 के फ़ॉलोअप मिशन के रूप में देखा जा रहा है। 

इस मिशन में चांद की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग की कोशिश की जाएगी, यह मुक़ाम केवल तीन देशों रूस, अमेरिका और चीन को हासिल है।

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा. इसका प्रक्षेपण एलएमवी 3 रॉकेट के ज़रिए किया जाएगा, जिसे पहले जीएसएलवी मार्क 3 के नाम से जाना जाता था। 

चंद्रयान-3 का कुल बजट क़रीब 615 करोड़ रुपये बताया गया है, इसरो ने इस मिशन का तीन अहम लक्ष्य बताया है।

चंद्रयान- 3 के लैंडर की चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ़्ट लैंडिंग इसके रोवर को चांद की सतह पर चलाकर दिखाना, और वैज्ञानिक परीक्षण करना।  

चंद्रयान- 2 की तरह चंद्रयान- 3 के पास भी एक लैंडर (वो अंतरिक्ष यान जो चांद की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग करेगा) और एक रोवर होगा (वो अंतरिक्ष यान जो चांद की सतह पर घूमेगा)

इसरो ने सितंबर 2019 में चंद्रयान- 2 को चांद पर उतारने का प्रयास किया था लेकिन तब उसका विक्रम लैंडर क्षतिग्रस्त हो गया था। 

वैज्ञानिक परीक्षण के लिए यह अंतरिक्ष यान अपने साथ कई उपकरणों को ले जा रहा है, जिसमें सिस्मोमीटर भी शामिल है ताकि चांद के भूकंप को मापा जा सके। वैज्ञानिक इस तरह के परीक्षण से चांद की सतह के तापमान और वहां के वातावरण के अन्य तत्वों को जान सकेंगे।

चंद्रयान-3 पर स्पेक्ट्रो-पोलारिमेट्री ऑफ़ विजेटेबल प्लैनेट अर्थ (एसएचएपीई) भी लगा होगा,  जिससे हमारे वैज्ञानिकों को चंद्रमा की कक्षा के छोटे ग्रहों और हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित ऐसे अन्य ग्रहों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए  डेटा हासिल हो सकेगा जहां जीवन संभव है।

यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि Chandrayaan-3 के साथ भारत इतिहास रचने को तैयार है।