बस यहीं से भूदेवी के जीवन का सबसे कठिन दौर शुरू हुआ और उन्हे ससुराल में शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा।
इस संगठन की शुरुआत उनके पिता ने ही साल 1996 में की थी। संगठन के लिए काम करते हुए उन्होंने अपनी तीनों बेटियों की परवरिश की और साथ ही महिलाओं को कृषि उद्यमी बनने में मदद करना शुरू कर दिया।
साथ ही उन्होंने रागी बिस्किट बनाने शुरू किए और हर कोई इसे खरीद सके उनता ही दाम रखा। आज वह बड़े पैमाने और यह काम कर रही हैं और इससे समुदाय के लोगों को पोषण के साथ-साथ रोज़गार भी मिला है।