भारतीय वायुसेना की 10 जांबाज़ महिला पायलट्स

आज से 90 साल पहले 8 अक्टूबर 1932 को देश में वायुसेना की नींव रखी गई थी। तब से अब तक हमारी जाबांज़ वायुसेना ने अपने शौर्य और पराक्रम का लोहा मनवाया। एयरफोर्स में दमदार लड़ाकू विमानों के साथ उन्हें उड़ाने वाले हीरोज़ का नाम जुड़ा हुआ है।

चलिए जानते हैं भारतीय वायुसेना की महिला पायलट्स के बारे में..

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हरिता कौर देओल

हरिता का जन्म 10 नवंबर 1971 को पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ के एक सिख परिवार में हुआ था। जब वह 22 साल की हुईं, तब  कड़ी ट्रेनिंग लेने के लिए येलहंका वायुसेना स्टेशन पहुंची। 

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2 सितंबर, 1994 को हरिता ने Avro HS-748 प्लेन को 10,000 फ़ीट की ऊंचाई तक अकेले उड़ाया और भारतीय वायुसेना का इतिहास बदल दिया. वह बिना को-पायलट के विमान चलाने वाली पहली महिला बन गईं।

शिवांगी सिंह

साल 2020 में फ्रांस से राफेल की पहली खेप भारत आई थी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की रहने वाली भारतीय वायुसेना की पायलट शिवांगी सिंह को फाइटर विमान राफेल के स्क्वाड्रन गोल्डन ऐरो में पहली महिला फ्लाइट लेफ्टिनेंट के तौर पर शामिल किया गया। 

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जून 2016 में, फ़्लाइंग ऑफ़िसर

अवनी चतुर्वेदी

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भावना कंठ

मोहना सिंह

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IAF फ़ाइटर स्क्वाड्रन में शामिल होने वालीं पहली महिला पायलट्स बनीं।

Flight Path

फाइटर पायलट्स मोहना, अवनि और भावना को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

माव्‍या सूदन

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23 साल की माव्‍या सूदन जम्‍मू-कश्‍मीर की पहली बेटी हैं जिन्होंने इंडियन एयरफोर्स में महिला फाइटर पायलट बनने का गौरव हासिल किया है। माव्‍या ऐसा करने वाली देश की 12वीं महिला फाइटर पायलट हैं।

कारगिल युद्ध की दमदार महिला योद्धा...

दोनों पहली भारतीय महिला पायलट थीं, जो वॉर ज़ोन में जाकर एयर फोर्स के रेस्क्यू मिशन का हिस्सा बनीं।

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गुंजन सक्सेना

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श्रीविद्या राजन

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'कारगिल गर्ल', गुंजन व श्रीविद्या ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन की मिसाइलों का मुकाबला किया, और इस मिशन के लिए छोटे चीता हेलीकॉप्टर से पहली बार युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरी।

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शालिजा धामी

विंग कमांडर शालिजा देश की पहली भारतीय महिला वायुसेना अधिकारी हैं जो फ्लाइट कमांडर बनीं। वह चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के लिए पहली महिला फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं।

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मिंटी अग्रवाल

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युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित पहली महिला मिंटी अग्रवाल अंबाला की रहने वालीं हैं। अपनी बहादुरी व समझदारी की बदौलत बालाकोट एयर स्ट्राइक में अभिनंदन के संग एफ-16 गिराने के साथ-साथ अहम भूमिका निभाने के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला।