मेरी दादी के जीवन की कहानी लिखने के लिए मेरी माँ ने रायका सेनगुप्ता नाम की एक Writer को ढूंढा।
वे दो सालों तक हफ्ते में एक बार मिलते रहे। इससे मेरी दादी को बहुत खुशी मिली। मेरी माँ को रायका के बारे में भारत के एक Elderly Care Service के ज़रिए पता चला।
रायका सेनगुप्ता ने अभी कुछ समय पहले ही ग्रेजुएशन पूरा किया था। दादी के साथ रायका का मिलना-जुलना लॉकडाउन के खत्म होने के तुरंत बाद शुरू हुआ।
रायका हर हफ्ते दादी के पास जातीं, उनके मूड और Energy के मुताबिक, एक या आधे घंटे के लिए उनके साथ बैठती थीं। हर बार, वे वहीं से शुरू करते थे, जहां उन्होंने आखिरी बार बात को रोका था।
रायका बातचीत को रिकॉर्ड करतीं, फिर उसे ट्रांसक्राइब कर जहाँ बहुत ज़रूरी होता, वहां थोड़े बहुत सुधार कर देतीं। वह ज्यादातर बातों को मेरी दादी के अपने शब्दों में ही रखने की कोशिश करती थीं।
मेरी दादी कमाल की Storyteller हैं, इसलिए उनकी कहानी का Flow अपने आप बनता जाता था। उस समय जब कोविड के कारण लोगों के पास करने को ज़्यादा कुछ नहीं था, तब दादी सेशंस के लिए काफी उत्सुक रहती थीं।
इन Sessions ने उन्हें काफी स्पेशल महसूस कराया। एक बार जब लिखने का काम पूरा हो गया, तब मेरी माँ ने कहानियों के संपादन और उन्हें एक किताब की शक्ल देने का काम अपने हाथों में लिया।
उन्होंने मेरी दादी के साथ बैठकर Flow पर और Gaps को भरने का काम किया। हम किताब में तस्वीरें जोड़ना चाहते थे, इसलिए पूरा परिवार इस काम में शामिल हो गया।
इसी हफ्ते, मैंने अपने परिवार के साथ बैठकर किताब के लिए कुछ पुरानी और खूबसूरत तस्वीरें चुनीं। हमारे लिए यह बहुत अलग और सुकून भरा एहसास था। हम सबको ऐसा कुछ करना चाहिए, अपने लिए या फिर अपनों के लिए।