भारतीय क्रिकेटर अर्शदीप सिंह ने केवल 7 साल की उम्र में पहली बार अपने पिता के सामने गेंदबाजी की थी और आज वह अपने माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर रहे हैं।

 आज अगर अर्शदीप, भारतीय क्रिकेट टीम में एकमात्र बाएं हाथ के पेसर हैं और शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, तो उनकी इस शपलता के पीछे उनके माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है।।

जब अर्शदीप ने ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, उस समय उनकी माँ उन्हें साइकिल पर बैठाकर प्रैक्टिस के लिए ले जाया करती थीं।

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4 साल तक लगातार उनकी माँ सुबह उठकर पहले सभी के लिए खाना बनातीं, फिर चंडीगढ़ से 13 किलोमीटर दूर उन्हें प्रैक्टिस पर लेकर जाती थीं। 

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जब तक वह प्रैक्टिस करते, उनकी माँ वहीं बैठी रहतीं और शाम को उन्हें वापस साइकिल पर घर लेकर आती थीं।

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आज अर्शदीप सिंह जिन बुलंदियों पर हैं, उसमें अर्श की मेहनत, माँ का त्याग और पिता का साथ शामिल है।