क्या आप जानते हैं कि टपकते नल से प्रति सेकेंड गिरने वाली हर बूंद को मिला दिया जाए, तो एक महीने में लगभग 1000 लीटर पानी बर्बाद होता है।

साल 2007 में एक अखबार की ऐसी ही एक रिपोर्ट ने महाराष्ट्र के आबिद सुरती को परेशान कर दिया।

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित लेखक, कार्टूनिस्ट, पेंटर, पर्यावरणविद और एक्टिविस्ट, आबिद ने 87 साल की उम्र में ड्रॉप डेड फाउंडेशन, नाम के एक एनजीओ का गठन किया, जिसकी टैगलाइन थी-'Save every drop, or drop dead'

इस संगठन के तहत, आबिद खुद प्लंबर और वॉलंटियर्स के साथ, हर रविवार को मुंबई के इलाकों में घूमते हैं और लीक होने वाले नल को मुफ्त में ठीक करते हैं।

मुंबई में पले-बढ़े सुरती ने अपनी माँ को रोज़ सुबह 4 बजे पानी के लिए कतार में खड़े रहते और वहां लोगों को पानी के लिए लड़ते हुए देखा था।

यही कारण था कि वह पानी के एक-एक बूंद की कीमत को बखूबी जानते थे और बचपन की उन तकलीफों के कारण ही उन्होंने पानी बचाने की पहल की।

"मैं पानी की हर बूंद को बचाने में विश्वास करता हूं, क्योंकि मैं इसकी कीमत जानता हूं। मैं फुटपाथ पर पला-बढ़ा हूं और वहां मैंने लोगों को पानी की एक-एक बाल्टी के लिए लड़ते देखा है।"                               -आबिद सुरती

 "मेरा बचपन पीछे छूट गया, लेकिन पानी के लिए लड़ाई आज भी मेरे साथ है। इसलिए, हर बूंद और हर रिसाव मुझे परेशान करता है।”                      -आबिद सुरती

हर रविवार को वह मीरा रोड, मुंबई की इमारतों में टपकते नलों की मरम्मत के लिए जाते हैं और काम करने में कोई दिक्कत न हो, इसलिए वह 5-6 दिन पहले ही सचिव से इजाज़त ले लेते हैं।

इस उम्र में अगर आबिद ऐसा कर सकते हैं, तो क्या हम एक छोटी सी कोशिश नहीं कर सकते?

क्यों न हम खुद अपने घर के नलों का ध्यान रखें, अगर नल से पानी टपक रहा है, तो उसे ठीक कराएं और सोच-समझ कर ही पानी का इस्तेमाल करें?