केरल की रिटायर्ड टीचर, करुस्सरिल एन थंकम्मा अपने 200 साल पुराने घर में बुजुर्ग महिलाओं के लिए डे केयर चलाती हैं

ताकि इस उम्र में उन्हें अपने जैसे और साथी मिल सकें।

साल 2004 में अपने पति के निधन के बाद, वह अकेली रह गई थीं।     तब उन्हें अपने जैसे दूसरे बुजुर्गों के लिए ऐसा एक डे केयर खोलने का ख्याल आया था।

"इस उम्र में हम जैसे लोगों को एक सहेली या साथी की जरूरत होती है लेकिन हमारे बच्चे अपने-अपने अपने काम में बिज़ी होते हैं। इसलिए हमें अकेले ही पूरा दिन बिताना पड़ता है।" - अम्मा 

आख़िरकार, साल 2017 उन्होंने Manavodaya Pakalveedu नाम से एक संस्था बनाकर इस डे केयर की शुरुआत कर दी।

अम्मा के 84वें जन्मदिन पर इस डे केयर की शुरुआत हुई थी  और अब हर साल अम्मा डे केयर के अपने 30 दोस्तों के साथ अपना बर्थडे मनाती हैं।

बुजुर्गों की देखभाल के लिए डे केयर में 5 लोग नियमित रूप से काम करते हैं।

 यहां आएं बुजुर्ग मिलकर साबुन, पेपरबैग्स और अगरबत्ती जैसी चीजें भी बनाते हैं।  

अपने बनाएं प्रोडक्ट्स को वे आस पास की दुकानों में बेचते भी हैं।

प्रोडक्ट्स की पैकिंग का काम भी यहाँ आने वाली महिलाएं ही करती हैं।

इस तरह यह डे केयर एक सस्टेनेबल मॉडल के तहत काम करता है।  

इनके दिन की शुरुआत सुबह 8 बजे होती है जब डे केयर की गाड़ी इन्हें घर से लेने जाती है और शाम के 5 बजे की कॉफी के बाद सभी अपने घर वापस चले जाते हैं।  

अम्मा का मानना है कि इस उम्र में इन महिलाओं का मिलजुलकर इस तरह काम करना, महिला सशक्तीकरण का उत्तम उदहारण भी है।