देश की एकमात्र महिला कॉन्सटेबल जिन्हें मिला अशोक चक्र!
13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर आतंकी हमला हुआ; जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस हमले में पांच आतंकवादी मारे गये, दिल्ली पुलिस के छह अफसर, संसद में तैनात दो सुरक्षा अधिकारी और एक माली भी शहीद हुए।
इन शहीद हुए लोगों में कॉन्सटेबल कमलेश कुमारी भी थीं, जो आज एकमात्र महिला कॉन्सटेबल हैं जिन्हें अशोक चक्र से नवाज़ा गया।
जब आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया तब CRPF के 88 महिला बटालियन से कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी की पोस्टिंग संसद के बिल्डिंग गेट नंबर 11 के बगल में आयरन गेट नंबर 1 पर थी।
सभी राजनेताओं और अधिकारियों के लिए संसद में प्रवेश करने के लिए इसी गेट 11 का इस्तेमाल किया जाता था। उस समय वह सभी आने-जाने वालों की चेकिंग करने के लिए स्टाफ के साथ तैनात थीं।
तभी उन्होंने सुबह के लगभग 11:40 बजे गोलियाँ चलने व बम विस्फोट की आवाज़ सुनी। उनके पास उस वक़्त सिर्फ़ उनका वायरलेस था। दुर्भाग्य से उस समय संसद में किसी भी महिला कॉन्सटेबल को कोई हथियार नहीं दिया जाता था।
लोग गोलियों की आवाज़ से घबराकर होकर तितर-बितर हो रहे थे। ऐसे समय में भी कमलेश ने पूरी सूझ-बुझ से काम लिया और तुरंत अपने वायरलेस पर अपने ड्यूटी ऑफिसर और गार्ड कमांडर को ‘मानव बम’ के बारे में सूचित किया।
शायद वह मानव बम गेट नंबर 11 तक पहुंच जाता, जहाँ से संसद भवन में जाना बहुत आसान था। लेकिन कमलेश ने कुछ CRPF जवानों को आतंकवादियों से लड़ते देखा और बिना अपनी जान की परवाह किये खुद भी सुरक्षा स्थान से बाहर निकली और चिल्लाकर दूरसे कॉन्सटेबल, सुखविंदर सिंह को चेताया।
कमलेश की आवाज़ सुन जवानों का ध्यान इस मानव बम पर गया। लेकिन कमलेश बिना किसी हथियार और सुरक्षा के थीं और उनकी आवाज़ आतंकवादियों ने भी सुनी थी। उन्हें चुप कराने के लिए एक आतंकवादी ने उनपी गोलियां बरसा दीं।
उन्हें 11 गोलियां लगीं लेकिन फिर भी जान गंवाने से पहले कमलेश ने अलार्म भी बजा दिया जिससे कि संसद में सब चौकन्ने हो गये और साथ ही, सुखविंदर सिंह ने इस मानव बम को गेट तक पहुंचने से रोक लिया और उसे ढेर कर दिया।
तुरंत संसद के अंदर जाने वाले सभी दरवाजे बंद कर दिए गये। इसके बाद सेना और आतंकियों के बीच 45 मिनट तक लड़ाई चलती रही।
कमलेश कुमारी उत्तर-प्रदेश के कन्नौज में सिकंदरपुर से ताल्लुक रखती थीं। उन्होंने साल 1994 में पुलिस फाॅर्स ज्वाइन की थी। आज उनके परिवार में उनके पति और दो बेटियाँ हैं।
कमलेश की इस शहादत ने उस दिन कई लोगों की जान बचाई और उस समय उन्होंने अपनी ममता से पहले देश के प्रति अपने कर्तव्य को रखा। महिला कांस्टेबल कमलेश कुमारी की इस बहादुरी के लिये देश हमेशा उनका कर्ज़दार रहेगा।