इनकी तरह छत पर लगाएं ‘ऑन ग्रिड सौर प्लांट’, बिजली बिल होगा ज़ीरो

उत्तर-प्रदेश के मयंक चौधरी ने दो साल पहले घर की छत पर 'ऑन ग्रिड सौर प्लांट' लगवाया था और आज उनका बिजली बिल जीरो हो चुका है।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहने वाले मयंक चौधरी, पिछले दो साल से अपने घर में बिजली के लिए ‘ऑन ग्रिड सौर पैनल’ (On Grid Solar Plant) का इस्तेमाल कर रहे हैं। 400 वर्ग फुट में बने उनके दो मंजिला घर में तीन कमरे, एक रसोई और एक बगीचा है। उनके पूरे घर में बिजली का प्रबंध, उनकी छत पर लगे सौर पैनल से ही होता है। 

मयंक ने द बेटर इंडिया को बताया, “सौर पैनल बहुत ज्यादा महंगे नहीं होते हैं। यह एक बार पैसे लगाकर या इन्वेस्ट कर, उन्हें वापस लेते रहने का एक अच्छा तरीका है। मेरे घर की छत पर दो ‘सौर पैनल’ लगे हैं, जो 6,500 वाट ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। मेरे घर में सभी उपकरण सौर ऊर्जा से ही चलते हैं, जिनमें तीन एयर कंडीशनर (AC) और रसोई घर के सभी उपकरण शामिल हैं।”

उनके पहले पैनल में आठ सोलर प्लेट हैं तथा दूसरे पैनल में 12 सोलर प्लेट हैं। मयंक बताते हैं कि पहले पैनल की हर एक प्लेट से, 325 वाट ऊर्जा मिलती है। इस तरह, पहले पैनल से उन्हें 2,600 वाट ऊर्जा मिलती है और दूसरे पैनल से 3,900 वाट ऊर्जा मिलती है। 

नहीं है कोई रखरखाव का खर्च: 

31 वर्षीय मयंक बताते हैं, “ऑन ग्रिड सौर पैनल में कोई बैटरी नहीं है। इसलिए, इसे किसी तरह के रखरखाव की जरूरत नहीं होती है। सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सालों-साल तक उपलब्ध रहती है। एक तरफ, जहाँ सौर पैनल की वारंटी 25 साल है वहीं, मेरे इन्वर्टर की वारंटी सात साल है।”

इस ‘सौर सेट’ को खरीदने में उन्हें 3.5 लाख रुपये की लागत आई। वह कहते हैं, “हमें उत्तर प्रदेश सरकार से 30,000 रुपये की और केंद्र सरकार से 87,750 रुपये की सब्सिडी भी मिली है।”

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Mayank Chaudhary

सौर प्लांट को सेट अप करने में उन्हें सिर्फ पाँच दिन का समय लगा। बिजली बोर्ड ने उनका ‘नेट मीटर’ लगाया और ऊर्जा को ‘इलेक्ट्रिक ग्रिड’ में स्टोर करने की अनुमति दी। मयंक कहते हैं, “जब सौर पैनल आपकी जरूरत से ज्यादा, बिजली बनाता है, तो यह बिजली ग्रिड में चली जाती है। इसके बदले में आपको ‘क्रेडिट्स’ मिलते हैं। रात के समय या किसी दिन, जब सौर पैनल जरूरत से कम बिजली बनाता है तो इन्वर्टर ग्रिड से बिजली लेता है और बिजली की पर्याप्त जरूरत को पूरा करने के लिए इन ‘क्रेडिट्स’ का इस्तेमाल करता है।”

सौर पैनल के इस्तेमाल से, पिछले दो सालों में मयंक ने लगभग एक लाख रुपये की बचत की है। वह बताते हैं, “पहले मेरा बिजली बिल 10,000 रुपये तक पहुँच जाता था लेकिन, अब मुझे एक रुपया भी नहीं भरना पड़ता है।” साथ ही, यह स्वच्छ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) है, जो पर्यावरण के अनुकूल है और इससे कोई प्रदूषण नहीं होता है। यह सौर पैनल, शॉर्ट-सर्किट, बिजली गिरने और वोल्टेज में उतार-चढ़ाव से भी सुरक्षा प्रदान करता है। 

वह कहते हैं, “सौर प्लांट की उत्पादकता (प्रोडक्टिविटी) बढ़ाने के लिए नियमित तौर पर किसी साफ कपड़े से इसकी सफाई करते रहें। मुझे गर्व है कि अब मेरे दोस्तों तथा रिश्तेदारों ने भी अपने घरों में सौर पैनल लगवा लिये हैं।” 

मूल लेख: संजना संतोष

संपादन- जी एन झा

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