Placeholder canvas

मेरठ: पॉकेट मनी बचाकर अब तक 500 पेड़ लगा चुके हैं ये बच्चे!

एक साधारण परिवार से आने वाले सावन के पास फंडिंग के नाम पर सिर्फ़ उनकी और उनके क्लब के सदस्यों की पॉकेट मनी में से बचत किए हुए पैसे हैं। इन्हीं पैसों से वे पौधे खरीदकर जगह-जगह लगाते हैं।

“अक्सर आठवीं कक्षा पास करने के बाद, हम अपने आप को बड़ा समझने लगते हैं। 9वीं कक्षा में आना, मतलब घूमने-फिरने की आज़ादी मिल जाना, दोस्तों के साथ मस्ती और साथ ही, अपने आगे के करियर की ज़िम्मेदारी का एहसास भी हमें होने लगता है। लेकिन उस समय मुझे इस मस्ती के साथ-साथ और भी मुद्दों का एहसास होने लगा था। इसलिए मैंने 9वीं क्लास में ही पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी मुहिम शुरू कर दी थी,” यह कहना है उत्तर-प्रदेश में मेरठ के रहने वाले 17 वर्षीय छात्र सावन कनौजिया का।

आज डिजिटल टेक्नोलॉजी की वर्चुअल दुनिया में बच्चे तो क्या, जहाँ बड़े भी वास्तविकता से दूर हो रहे हैं, वहाँ स्कूल के इस छात्र की सोच और पहल यकीनन आने वाले भविष्य के लिए उम्मीद की किरण जगाने वाली है।

हाल ही में 12वीं कक्षा पास करने वाले सावन बताते हैं कि हमेशा से उन्हें अख़बार पढ़ने की आदत रही है और खबरों के ज़रिए ही वे बहुत-सी समस्याओं और उन लोगों के बारे में जान पाए, जो समाज और देश के लिए कुछ कर रहे हैं। इनमें से ‘नीर फाउंडेशन‘ के संस्थापक रमनकान्त त्यागी के काम ने उन्हें बहुत प्रभावित किया।

 

सावन कनौजिया

सावन ने बताया, “रमन सर नदियों को पुनर्जीवित करने का काम कर रहे हैं और मैं जब भी उनके और उनके काम के बारे में पढ़ता तो मुझे बहुत ख़ुशी होती थी। उनसे ही प्रेरित होकर मैंने भी पर्यावरण-संरक्षण के लिए कुछ करने की ठानी।”

सावन ने अपने स्कूल से इसकी शुरुआत की। उन्होंने अपने जन्मदिन यानी 12 जुलाई 2015 को अपने स्कूल में पौधारोपण किया। इस अभियान में स्कूल प्रशासन ने भी उनका और दूसरे छात्रों का साथ दिया। इसके बाद धीरे-धीरे सावन ने स्कूल में अपने साथी छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना शुरू किया। जागरूकता के साथ ही उन्होंने पौधारोपण और पेड़ों की देखभाल का मिशन भी शुरू किया।

 

इसी क्रम में स्थापना हुई ‘एनवायरन्मेंटल क्लब’ की। इस क्लब से आज लगभग 20 सदस्य जुड़े हुए हैं। इनमें ज़्यादातर सावन के हमउम्र साथी हैं, तो कुछ उनके स्कूल के ही टीचर, जिन्हें अपने छात्रों की इस पहल पर गर्व है।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए सावन ने कहा, “पहले हमारा क्लब सिर्फ़ स्कूल तक ही सीमित था, लेकिन अब हम पूरे मेरठ में काम कर रहे हैं। हमारा क्लब अभी तक रजिस्टर्ड नहीं है, लेकिन हमें सिर्फ़ अपने काम से मतलब है। हम सभी साथी पूरे समर्पण से पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं।”

 

एक साधारण परिवार से आने वाले सावन के पास फंडिंग के नाम पर सिर्फ़ उनकी और उनके क्लब के सदस्यों की पॉकेट मनी में से बचत किए हुए पैसे हैं। इन्हीं पैसों से वे पौधे खरीदकर जगह-जगह लगाते हैं। साथ ही, अलग-अलग कॉलोनियों में जाकर वहाँ रहने वाले लोगों को पेड़ों की देखभाल करने के लिए जागरूक करते हैं। उनकी कोशिशों का ही परिणाम है कि आज मेरठ के बहुत से लोग उन्हें पौधे लगाने के लिए अपने यहाँ बुलाते हैं।

पूरे मेरठ से लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं

सावन और उनकी टीम का लक्ष्य सिर्फ़ हरियाली को बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि वे पर्यावरण से जुड़े हर एक मुद्दे पर जो कुछ भी कर पाना संभव हो, करना चाहते हैं। इसलिए चाहे पक्षी दिवस हो, पृथ्वी दिवस हो या फिर विश्व पर्यावरण दिवस, इन सभी मौकों पर वे न सिर्फ़ एक दिन, बल्कि पूरा सप्ताह काम करते हैं। ऐसे मौकों पर वे अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक लोग इन कार्यक्रमों से जुड़ें। सावन अपनी टीम के सदस्यों के साथ पर्यावरण के मुद्दे पर एक मुहिम छेड़ने की कोशिश में हैं।

सावन ने बताया, “विश्व पक्षी दिवस पर हम सबने थोड़े-थोड़े पैसे इकट्ठा करके मिट्टी के कसौरे खरीदे और साथ ही लकड़ी के घोंसले भी बनवाए। फिर अपने आस-पड़ोस में एक जागरूकता रैली की और लोगों को ये सब बांटे। साथ ही, उनसे घरों के बाहर और छतों पर पक्षियों के लिए दाना और पानी रखने का आग्रह किया।”

इसी तरह, ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर भी उन्होंने 1 जून से लेकर 6 जून तक प्रोग्राम किए। उन्होंने मेरठ के एक चौक पर नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद एक स्थानीय एनजीओ ‘कदम फाउंडेशन’ से मिली कुछ आर्थिक मदद से लोगों के बीच मिट्टी के कसौरे बांटे। फिर तीसरे दिन प्रदूषण पर एक जागरूकता रैली की और स्वच्छता अभियान चलाया। दो दिन तक अलग-अलग जगहों पर जाकर पौधारोपण भी किया। इस दौरान मेरठ में बेहतरीन कार्य कर रहे संगठनों को सम्मानित भी किया।

पर्यावरण दिवस पर नुक्कड़ नाटक
सफाई अभियान

यह पूरा कार्यक्रम इन बच्चों द्वारा ही संचालित किया गया। इनके कार्यक्रमों में आने वाले लोग भी इन बच्चों का पर्यावरण और समाज के लिए इतना ज़िम्मेदारी भरा रवैया देखकर दंग रह जाते हैं। वाकई जो काम बड़ों को करने चाहिए, वह  ये बच्चे कर रहे हैं।

सावन बताते हैं कि यह सब करते हुए उन्हें बहुत-सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अभी भी बहुत ही कम लोग हैं, जो उनकी इस पहल को सराहते हैं। काफ़ी लोग तो उनके माता-पिता से यही कहते हैं कि इस तरह के कामों में पड़कर उनका बेटा पढ़ाई में बिल्कुल भी अच्छा नहीं कर पाएगा। यहाँ तक कि किसी को उम्मीद नहीं थी कि सावन 12वीं कक्षा पास कर लेगा।

सावन कहते हैं, “पर मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ। हमारे घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, इसलिए मेरे मम्मी-पापा की चिंता मुझे समझ में आती है। वे बस यही चाहते हैं कि मैं ज़िंदगी में अच्छा करूँ। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मैं अपनी पढ़ाई और अपना करियर समाज-सेवा के साथ आगे बढ़ा सकता हूँ।”

सावन ने अपने क्लब के लिए सिर्फ़ कोई एक ही मुद्दा तय नहीं किया है, बल्कि जिस भी मुद्दे पर उन्हें लगता है कि काम करना चाहिए, वे उसके लिए आगे बढ़ते हैं।

 

स्कूल के बाद अब वे मास कम्युनिकेशन में आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं। वे अपने हमउम्र साथियों से कहते हैं कि इंटरनेट का सिर्फ़ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान के लिए इस्तेमाल करें। स्मार्टफ़ोन की दुनिया से कुछ देर बाहर निकलकर दूसरों के लिए कुछ करें।

“ऐसा नहीं है कि मैं स्मार्टफ़ोन नहीं चलाता या फिर सोशल मीडिया पर नहीं हूँ। लेकिन हमें सोचना होगा कि हम कैसे इस तकनीक का अच्छाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। बस कुछ वक़्त निकालकर, समाज और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्ट्स पढ़ें। तब आपको लगेगा कि अगर हमने अभी से कुछ नहीं किया तो आगे जाकर कुछ भी नहीं बचेगा। अगर दिन के 2 घंटे भी आप किसी अच्छे काम में लगाएं, तो यकीनन हम बदलाव ला सकते हैं।”

सावन कनौजिया से जुड़ने के लिए उनके फेसबुक पेज पर जाएँ!

संपादन: मनोज झा 


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X