गेंदे के फूल के तेल ने बदली किसान की किस्मत, गरीबी को मिटा ले आये अच्छे दिन

70 वर्षीय किसान समर सिंह अपने बेटों को तो किसान नहीं बना पाए लेकिन वह अपने नाती को प्रशिक्षित करके एक सफल किसान बनाना चाहते हैं।

कानपुर के सवायपुर निवासी समर सिंह भदौरिया की उम्र भले ही 70 साल है, लेकिन वह आज भी खेती की नई-नई तरकीबों के बारे में न सिर्फ समझ रखते हैं, बल्कि कई किसानों को भी इसके बारे में जागरूक करते रहते हैं। समर सिंह ने खेती के नए-नए तौर तरीकों को किसी किताब से नहीं, बल्कि अपने अनुभवों से सीखा है। 70 वर्षीय सिंह ने द बेटर इंडिया से बातचीत के दौरान अपने उस आइडिया के बारे में बताया जिसने उनकी लाइफ बदल दी।

समर सिंह ने द बेटर इंडिया को बताया, “आज से लगभग 15 साल पहले की बात है। मेरी मुलाकात कृषि से संबधित शोध कर रहे अवस्थी जी से होती है। मैंने देखा कि इत्र और सुगंधित तेल निकालने के लिए उन्होंने एक छोटा प्लांट लगा रखा है। वह छोटी-छोटी बोतलों में फूलों से इत्र निकाल कर रख रहे थे। यहीं से मुझे फूल के पौधे से तेल बनाने का ख्याल आया।”

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समर सिंह भदौरिया

समर सिंह बताते हैं कि उनके गांव के करीब ही नागा बाबा का एक मंदिर है, जहाँ हर साल कार्तिक पूर्णिमा का मेला लगता है। वहाँ उनकी मुलाकात राजेश सिंह से हुई थी, जिनका पिपरमिंट का प्लांट था। मुलाक़ात के दौरान दोनों के बीच फूल के पौधे से तेल बनाने को लेकर चर्चा हुई।

समर सिंह बताते हैं, “जहां मेला लगा था वहीं पास में एक खेत था। खेत में गेंदे के फूल की खेती हुई थी। मेले में तकरीबन सारे फूल मंदिर में चढ़ाए जा चुके थे। फूल तोड़ने के बाद खेत में गेंहूं लगाने की तैयारी हो रही थी। गेंदे फूल सारे तोड़ लिए गए थे। इसके बाद उसमें सिर्फ पौधे बचे थे। गेंदे के फूल के पौधे से भी खुशबू आती है। हमने सारे पौधों को कटवा लिया और पिपरमिंट प्लांट में उसकी पेराई कराई। पेराई कर उसका तेल निकाला, जो कि काफी सुगंधित था। उस वक़्त दस क्विंटल पौधे से तकरीबन 750 ग्राम तेल निकला था।”

लगातार प्रयासों से निकाला उच्च क्वालिटी का सुगंधित तेल, बदल गए दिन

तेल लेकर समर सिंह अवस्थी जी के लैब में पहुंचे, जहां उसकी जांच की गई। तेल तो काफी साफ था, लेकिन जांच करने से पहले उन्होंने इसका तरीका पूछा। वह बहुत हैरत में थे। लेकिन जांच के बाद पता चला कि तेल बढ़िया क्वालिटी का नहीं है। इसके बाद उन्होंने फूल के सिर्फ ऊपरी हिस्से को काटकर और जड़ के बिना तेल की पेराई करवाई। इसमें तकरीबन एक किलो तेल निकला और उसे लेकर वह फिर पहुंच गए अवस्थी जी के लैब में। इस बार रिपोर्ट में तेल की क्वालिटी काफी अच्छी थी।

समर सिंह का आइडिया काम कर गया। इस सफलता के बाद उन्होंने तकरीबन पांच बीघा खेत में गेंदे के फूल लगवाए। 25 हजार रुपए में तेल निकालने के लिए प्लांट बनाया। इसके बाद तेल निकालने का सिलसिला शुरू हुआ। रिसर्च कर रहे अवस्थी ने एक कंपनी से बात की, जो कि 6000 रुपए प्रति लीटर की दर से तेल खरीद रही थी। समर सिंह ने कहा कि इससे उनके दिन बदल गए और यही उनकी लाइफ का टर्निंग पॉइंट था।

समर सिंह ने कहा, “मैंने अपने प्रयासों से ही काफी कुछ सीखा। हमने देखा कि ठंड के मौसम में जब पाला पड़ता है तो तेल कम निकलता था। गर्मी में तकरीबन ढ़ाई किलो तेल निकलता था। इतना ही नहीं गर्मी में गुणवत्ता भी बढ़ जाती है।”

हालाँकि आज 18-20 साल बाद प्रतिलीटर तेल की कीमत तो घट गई है लेकिन आज भी जो किसान यह काम कर रहे हैं उन्हें भी काफी मुनाफा हो रहा है।

किसानों को सीखनी चाहिए बीज बनाने का तरीका

लागत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसान अगर बीज बनाने का तरीका सीख लें  तो खेती में लागत काफी कम हो जाती है। गेंदे के लिए बीज भी उन्होंने खुद ही बनाने शुरू किये थे। उन्होंने देश के कृषि विश्वविद्यालयों से किसानों को हाइब्रिड बीज बनाने के लिए ट्रेनिंग देने की अपील की। समर सिंह का कहना कि इससे किसानों को कभी भी खेती में घाटा नहीं होगा।

समर सिंह ने कहा कि अगर किसान खेती के उत्पाद का रूप परिवर्तन करना या पैकेजिंग करना जान ले तो कभी घाटा नहीं होगा। उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि आलू का उत्पादन करने वाले किसान अगर उससे उससे चिप्स, पापड़, लच्छा, पाउडर बनाना सीख लें, तो फिर आलू की खेती में कभी घाटा नहीं होगा। उसी प्रकार गन्ने की खेती में किसान उससे गुड़, राब, इथेनॉल, सिरका बनाना सीख ले। सिरका बनाना काफी आसान है। इससे आमदनी भी काफी होती है, क्योंकि इसकी मांग काफी है।

 नई तरकीब से हल्दी की खेती में काफी फायदा

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समर सिंह अपने घर में भी काफी औषधीय पौधे लगाते हैं।

एक और अनुभव के बारे में समर सिंह ने कहा कि हल्दी की पत्तियों से भी सुगंधित तेल निकाला जा सकता है। एक क्विंटल पत्तियों में एक किलो के करीब तेल निकलता है। फिर पत्तियों में बैक्टीरिया का प्रवेश करा दिया जाए तो किसानों के हित की कई चीजें बन जाती हैं। इससे दीमक रोधी दवाई भी बनाई जा सकती है।

उन्होंने कहा कि हल्दी की गांठ से भी औषधीय और सुगंधित तेल निकलता है। लोग भाप द्वारा तेल निकालने की विधि जानते हैं, लेकिन अब आधुनिक विधि भी आ गई है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मदद से भी तेल निकलता है। इसकी गुणवत्ता और मात्रा भाप वाले ततकनीक से बेहतर होती है। समर सिंह बताते हैं कि इसी विधि से नैचुरल कलर भी बनाया जा सकता है। एक क्विंटल हल्दी की गांठ से छह-सात किलोग्राम रंग निकलता है।

अपने नाती को एक सफल किसान बनाना चाहते हैं

अमर सिंह के तीन बेटे और एक बेटी हैं। उनकी काफी इच्छा थी कि उनके बच्चे खेती को आगे बढ़ाएं लेकिन दो ने पुलिस की नौकरी को चुना और एक प्राइवेट जॉब करते हैं। समर सिंह ने कहा कि बेटों को तो वह किसान न बना सके लेकिन अपने  नाती को खेती के लिए ज़रूर प्रशिक्षित करेंगे। उनका मानना है कि देश से अगर बेरोजगारी को दूर करना है तो उसके लिए खेती से बढ़ियां माध्यम कुछ नहीं हो सकता है। इसके लिए किसानों को नई-नई तरकीबों को अपनाना होगा।

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