कोरोना महामारी के बाद कई लोगों का ऑर्गेनिक फल-सब्जियों के प्रति रुझान बढ़ा है। ऐसे में घर में उगे फल-सब्जियों की बात ही कुछ और होती है। गार्डनिंग का शौक रखने वाले अक्सर अपनी बागवानी में हरी सब्जियां भी उगाते हैं। आज हम आपको सूरत के एक ऐसे परिवार से मिलाने वाले हैं, जहां तीन पीढ़ी मिलकर गार्डनिंग कर रही है। साथ ही, यह परिवार लताओं में आलू (Potato plant) उगाने के लिए मशहूर है।
हम बात कर रहे हैं सुभाष सुरती के परिवार के बारे में। सालों से डायमंड सिटी सूरत में रहने वाला यह परिवार मिलजुल कर घर में पेड़-पौधे उगाता है। उनके घर में हमेशा से पेड़-पौधे उगाने के लिए अच्छी जगह थी। लेकिन 15 साल पहले जब उन्होंने अपना खुद का घर खरीदा तब से उन्होंने गार्डनिंग पर विशेष ध्यान दिया है। आज उनके घर में 400 से ज्यादा पेड़-पौधे लगें हैं। सुभाष ने गार्डनिंग की बारीकियों को ठीक से सिखने के लिए, सूरत कृषि विज्ञान केंद्र से टेरेस गार्डनिंग का एक हफ्ते का कोर्स भी किया है।
इस कोर्स में उन्हें अच्छा पॉटिंग मिक्स तैयार करना और मौसम के अनुसार पौधे लगाना सिखाया गया था। फिलहाल वह पांच से छह किस्मों के फल और मौसमी सब्जियां उगाते हैं। उनके घर में अनार, फालसा, अमरुद, आंवला, स्टार फ्रूट, केला, शहतूत, बेल जैसे फल भी उगते हैं।
सुभाष ने द बेटर इंडिया को बताया, “गार्डनिंग का शौक मुझे मेरे माता-पिता को देखकर हुआ और आज मेरे बच्चे भी मेरे साथ मिलकर गार्डनिंग करते हैं। हमारे परिवार की जरूरत के अनुसार तक़रीबन 30 प्रतिशत सब्जियां गार्डन से ही मिल जाती है।”
वहीं उन्होंने कहा कि शहतूत, अमरुद और स्टार फ्रूट जैसे फल तो वे बाजार से खरीदते ही नहीं हैं।
सूरज की रौशनी के अनुसार उगाते हैं पौधे
वह अपने छत की तक़रीबन 1000 स्क्वायर फीट जगह का इस्तेमाल पौधे उगाने के लिए करते हैं। साथ ही घर के किनारे 3×14 फुट की एक क्यारी बनी हैं।
क्यारी का इस्तेमाल मौसमी सब्जियां उगाने के लिए किया जाता है। कुछ बड़े पेड़ जैसे मोरिंगा, अमरुद और आंवला उन्होंने घर के सामने के हिस्से में लगाएं हैं। वहीं सभी पौधे छत पर उगें हैं।
पेशे से इंजीनियर सुभाष कहते हैं, “चूंकि फलों को अच्छी सूरज की रौशनी की जरूरत होती हैं इसलिए मैं उन्हें छत में उगाता हूं। जबकि बाकि की सब्जियां धूप को ध्यान में रखकर क्यारी में लगी हैं।”
हाल में उन्होंने सर्दियों के समय उगने वाली सब्जियों की तैयारियां कर ली है। उन्होंने फिलहाल फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकोली, मेथी, बैगन, सेम, धनिया, मिर्च,करेला आदि उगाया है। वहीं उनके घर में भिंडी, तुरई, लौकी, प्याज, बरबटी, अरवी आदि भी नियमित रूप से उगते है। इसके अलावा उनके घर में 15 औषधीय पौधे भी लगे हैं।
सुभाष और उनके पिता हरीशचंद्र सुरती को औषधीय पौधों का भी बेहद शौक है। आपको उनके गार्डन में हल्दी, लेमनग्रास, पांच प्रकार की तुलसी, गिलोय, अडूसा, ब्राह्मी, अजवाइन, कपूरी पान, पुदीना, बड़ी इलाइची सहित अपराजिता के दो किस्मों के पौधे मिल जाएंगे।
साथ ही उन्होंने घर के अंदर कुछ सजावटी पौधे भी लगाएं हैं। सुभाष की पत्नी रक्षा सुरती को फूल के पौधों का शौक है। रक्षा खुद भी गांव से ताल्लुक रखती हैं इसलिए वह समय-समय पर गार्डन में नए फूल उगाती रहती हैं। फूलों में उनके पास रात की रानी, गुलाब, मोगरा, गेंदे आदि पौधे लगे हैं।
दो साल मेहनत करके उगाएं एयर पोटैटो (Potato plant)
ट्रैकिंग के शौक़ीन सुभाष जब भी जंगलों और पहाड़ों में घूमने जाते हैं वहां से कुछ दुर्लभ पौधे लाते हैं। ऐसा ही एक पौधा है एयर पोटैटो का। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले गिर के जंगल में यात्रा करने के दौरान, उन्हें लताओं में उगे आलू (Potato plant) दिखे। स्थानीय लोगों से पूछने पर पता चला कि यह आलू (Potato plant) की ही एक किस्म है, जिसमें स्टार्च काफी ज्यादा रहता है। उन्होंने गिर से लाकर इसका एक पौधा लगाया था। जिसमें एक साल तक अच्छा विकास था लेकिन आलू नहीं उगें। लगभग दो साल देखभाल करने के बाद अब इनकी लताओं में आलू (Potato plant) उगने लगें हैं।
उन्होंने इसका पौधा नीचे क्यारी में लगाया था, दो साल में इसकी लताएं 25 फ़ीट बड़ी होकर छत तक पहुंच गई हैं।
वह गिर से मात्र एक लता लाए थे जिसके बाद उन्होंने एक-दो लाताएं तैयार की हैं। उन्होंने बताया, “यह आलू (Potato plant) की एक ऐसी किस्म है जो जैन समुदाय के लोग आलू के एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। मैंने अपने कुछ जैन दोस्तों को भी इसके छोटे पौधे बनाकर दिए हैं।”
पूरा परिवार मिलकर उगाता हैं ऑर्गेनिक सब्जियां
सुभाष कहते हैं, “घर में उगी सब्जियों का स्वाद इतना मीठा होता है कि बच्चे इसे कच्चा ही खा लेते हैं। वहीं बाहर से आई सब्जियों की तुलना में यह सब्जियां जल्दी पक जाती हैं इसलिए जो भी सब्जी बच्चों को पसंद होती हैं वे हम घर में ही उगा लेते हैं।”
उनके दोनों बच्चे हेतव और स्वरा ने लॉकडाउन के दौरान गार्डनिंग के लिए समय निकलना शुरू किया और अब वे नियमित रूप से पौधों में पानी डालने का काम करते हैं।
सुभाष के पिता हरिश्चंद्र की उम्र 78 वर्ष है और इस उम्र में भी वह अपने परिवार के साथ मिलकर गार्डन में काम करते हैं। वह कहते हैं, “हम पहले कुछ मौसमी सब्जियां ही उगाते थे लेकिन आज घर में इतने सारे पौधे देखकर मुझे बेहद ख़ुशी मिलती हैं। हालांकि अपनी उम्र के कारण मुझे पीठ का दर्द रहता है। लेकिन घर में उगी ताज़ा सब्जियां खाने के लिए थोड़ी मेहनत करना मुझे अच्छा लगता है।”
अंत में सुभाष कहते हैं, “हमारी सोसाइटी में 16 घर हैं। 15 साल पहले जब मैं यहां रहने आया तब मेरे अलावा कोई भी गार्डनिंग नहीं करता था। लेकिन आज तक़रीबन सभी घरों में एक छोटा गार्डन है। कोरोनाकाल ने तो सभी को घर में फल-सब्जियां उगाना सीखा दिया है।”
आशा है आपको भी इस परिवार की गार्डनिंग की कहानी पढ़कर अच्छा लगा होगा और आप भी अपने परिवार के साथ मिलकर कुछ पौधे जरूर लगाएंगे।
हैप्पी गार्डनिंग !
संपादन- जी एन झा
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