मृत्यु के बाद भी रखा पिता की इच्छा का मान, कड़ी मेहनत से बगीचा बनाकर दिया पक्षियों को आसरा

Natural Eco Friendly Living And Gardening At Home By Planting Trees

गुजरात के रजनीकांत कंसारा हमेशा से अपने घर पर एक बगीचा बनाना चाहते थे। उनके जाने के बाद उनके बेटे ने 'रजनी उपवन' बनाकर उनका सपना पूरा किया।

पेड़-पौधे और प्रकृति के पास रहना किसे नहीं पसंद? ऐसे में अगर घर में ही सुन्दर गार्डन हो, जहां परिवारवालों के साथ प्रकृति का आनंद उठा सकें तो कितना अच्छा हो? पेटलाद (गुजरात) के रहनेवाले सेजल कंसारा के घर पर ऐसा ही एक गार्डन बना हुआ है। हालांकि इस खूबसूरत गार्डन को बनाने के पीछे की वजह और भी शानदार है। उनके घर के पीछे यह जगह सालों से खाली पड़ी थी। लेकिन समय और गार्डनिंग की जानकारी की कमी के कारण, वह कुछ खास नहीं कर पा रहे थे। 

उनके पिता रजनीकांत कंसारा, एक सरकारी अधिकारी थे और वह हमेशा से वहां एक सुन्दर बगीचा बनाना चाहते थे। आज रजनीकांत तो इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके नाम से बना ‘रजनी उपवन’ जरूर है। लॉकडाउन के दौरान उनके बेटे ने यह सुन्दर गार्डन बनाना शुरू किया और आज यहां सैकड़ों पेड़-पौधे लगे हुए हैं। परिवारवालों के साथ कई पक्षी भी इस सुन्दर उपवन का आनंद उठा रहे हैं।  

जनरल स्टोर चलानेवाले सेजल को गार्डनिंग का कोई खास अनुभव नहीं था। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया,  “चूँकि यह गार्डन मैं पिता की याद में बना रहा था। इसलिए मैंने इंटरनेट और नर्सरी से सही जानकारी लेकर इस 1600 स्क्वायर फ़ीट की जगह को सही तरिके से डिज़ाइन करके, पौधे लगाना शुरू किया।”

home garden

परिवारवालों को मिला घरपर ही पिकनिक स्पॉट

उनके घर के पीछे की यह जगह सालों से खाली पड़ी थी। रजनीकांत चाहते थे कि इसका उपयोग घर बनाने में नहीं, बल्कि गार्डन बनाने में किया जाए। सेजल ने बताया कि  वह कभी-कभी वहां शौक़ से कुछ-कुछ उगाते रहते थे। उस जगह पर उनका घर था, जो सालों पहले टूट गया था। बाद में उन्होंने  वहां कुछ कंस्ट्रक्शन नहीं किया। सेजल बताते हैं, “जब भी हम वहां सफाई करने जाते थे, तो  पापा हमेशा उस जगह पर गार्डन बनाने की बात किया करते थे। लॉकडाउन के दौरान, जब मैं वहां सफाई का काम कर रहा था, तभी मुझे पापा की बात याद आई और मैंने काम शुरू कर दिया।”

हालांकि पहले,  उन्होंने अपने घरवालों को भी यह बात नहीं बताई थी। वह अपनी माँ को सरप्राइज़ देना चाहते थे। फरवरी 2021 में अपने पिता के जन्मदिन के दिन उन्होंने अपनी माँ के हाथों ‘रजनी उपवन’ नाम से गार्डन का बकायदा उट्घाटन करवाया। यह गार्डन सभी को काफी पसंद आया। सेजल ने बताया कि परिवारवाले  इस बेकार पड़ी जगह का कायाकल्प देखकर चौंक गए। 

इस उपवन में हैं सैकड़ों पेड़-पौधे

eco friendly  garden

इस बगीचे को बनाने की शुरुआत उन्होंने जमीन तैयार करने से की थी। तक़रीबन एक महीने बाद सेजल ने पौधे रोपना शुरू किया। फ़िलहाल उनके बागीचे में तुलसी, एलोवेरा, अपराजिता, अजवाइन जैसी हर्ब्स के साथ-साथ, 3-4 प्रकार के गुड़हल, नीम, अशोक, आम, नींबू सहित कई पौधे लगे हैं। पौधों के सही विकास के लिए वह इसमें वर्मीकम्पोस्ट डालते हैं। साथ ही उन्होंने अब सब्जियां लगाना भी शुरू किया है। 

कुछ पौधे जमीन में उगे हैं, तो कुछ को उन्होंने गमले में लगाया है। चूँकि सेजल को पेंटिंग का शौक है, इसलिए उन्होंने अपने बड़े भाई की बेटियों के साथ मिलकर कई गमले और गार्डन की दीवारों पर वर्ली पेंटिंग भी बनाई है, जिससे इस सुन्दर गार्डन में चार चाँद लग गए हैं। 

वह कहते हैं, “अब जब भी घर पर रिश्तेदार या दोस्त आते हैं, तो हम उन्हें रजनी उपवन में खाना खाने ले जाते हैं।”

एक साल में तैयार किया सुंदर ईको-सिस्टम 

gardening

सेजल को घूमना-फिरना काफी पसंद है। साथ ही उन्हें पक्षियों से भी बेहद लगाव है। इसलिए जब उन्होंने गार्डन बनाने के बारे में सोचा, तो वह चाहते थे कि गार्डन  उनके परिवारवालों के साथ-साथ पक्षियों का भी घर बने। उन्होंने इंटरनेट से जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया कि किस पेड़ पर पक्षी ज्यादा आते हैं और यही कारण है कि उन्होंने फलों के पौधे ज्यादा लगाए। इसकी खुशबु से काफी पक्षी यहां आन लगे। आज उनके गार्डन में 50 से 60 चिड़िया और कई दूसरे पक्षी आने लगे हैं। उनके लिए सेजल ने कई घोंसले भी बनाए हैं। 

एक समय तक उन्हें पौधे उगाने की कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन आज वह इन सभी पौधों की देखभाल खुद करते हैं। वह नियमित रूप से बगीचे में गिरने वाले सभी पत्तों को इकट्ठा करके खाद बनाते हैं। सभी पौधों को हर 15 दिन में खाद देते हैं। कीटनाशक के तौर पर नीम के तेल का छिड़काव करते हैं। 

gardening at home with colorful pots

घर में बने इस सुन्दर बागीचे से उनकी माँ को हरदिन पूजा के लिए तरह-तरह के फूल मिलते हैं। वहीं छुट्टी के दिन सभी मिलकर गार्डन में खाना खाते हैं।  इसके लिए सेजल ने विशेष डाइनिंग व्यवस्था भी की है। 

पिता की याद में बना यह सुन्दर उपवन सही मायने में अनोखा है। आप रजनी उपवन के बारे में ज्यादा जानने के लिए उनके फेसबुक पेज विज़िट कर सकते हैं।  

संपादन- अर्चना दुबे

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