मिस्त्र की राजधानी काहिरा के माडी इलाके में डॉ. चंद्रशेखर बिरादर अपने छत पर मल्टीलेयर फार्मिंग में अनोखा प्रयोग कर रहे हैं। अपने देश से हजारों मील दूर रह रहे इस अंतरिक्ष वैज्ञानिक के 50 वर्ग फुट के रूफटॉप गार्डन में आपको 50 तरह के फल, फूल और सब्जियाँ मिल जाएँगी। टमाटर, चेरी, रूसी पर्सिमोन, बैंगन, मटर, केला, सेम, मिर्च, भिंडी, शकरकंद,एग प्लांट, गोभी, गाजर, ब्रोकोली, लौकी, खीरा, पालक, सलाद साग से लेकर प्याज, गोल मिर्च,मूली, कद्दू और सेब भी आपको उनकी छत पर मिल जाएँगे।
घर की छत पर इतनी अधिक पैदावार होती है कि परिवार के पाँच के सदस्य आराम से खा सकते हैं। वह अक्सर अपने दोस्तों और पड़ोसियों को अतिरिक्त फल और सब्जियाँ देते हैं।
डॉ. बिरादर को आखिर बड़े पैमाने पर बागवानी करने की प्रेरणा कैसे मिली?
इस बारे में उन्होंने द बेटर इंडिया से वीडियो कॉल पर बात की। उन्होंने अपने फोन के कैमरे से खूबसूरत बगीचे को दिखाते हुए बताया, “यह जीन, जज्बा और जरूरत इन तीनों का परिणाम है।”
कर्नाटक के एक किसान परिवार में पले-बढ़े डॉ. बिरादर स्पेस साइंस एंड एप्लिकेशन में पीएचडी हैं। उन्हें हमेशा से रसायन और कीटनाशक रहित फल और सब्जियाँ उगाना खूब भाता था। वर्ष 2000 में अमेरिका जाने के बाद उन्हें यह मौका मिला।
उन्होंने बताया, “वहाँ मैं हरी सब्जियों के ऊंचे दाम देखकर हैरान रह गया। सब्जियों की कुछ ही किस्में उपलब्ध थी, जिनमें एक भी भारतीय सब्जी नहीं थी। मेरे पास अपनी खुद की सब्जी उगाना एकमात्र विकल्प था। शायद मेरा भाग्य मुझे एक नए जुनून की तरफ ले जा रहा था। हो सकता है कि सब्जियों की जरूरत के कारण मैंने बागवानी शुरू कर दी हो लेकिन सेहत के लिए इनके अद्भुत फायदों के कारण ही मैं एक दशक से भी अधिक समय से लगातार बागवानी में लगा हुआ हूँ।”
अपने काम के कारण डॉ. बिरादर ने 33 देशों की यात्रा की। वर्तमान में वह अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ काहिरा में बस गए हैं।
डॉ. बिरादर खुद को खुशनसीब मानते हैं कि उनके पास बागवानी के लिए जगह है। वह कहते हैं कि शहरों में रहने वाले लोग भी जगह की कमी होने के बावजूद यह तरीका अपनाकर घर की छत पर अपना बगीचा बना सकते हैं।
डॉ. बिरादर कहते हैं, “आपको 50 प्रकार की सब्जियों को उगाने के लिए 2×6 वर्ग फुट की बालकनी चाहिए। इसके साथ ही बिना केमिकल वाला आहार, उगाने के लिए कड़ी लगन और मेहनत भी चाहिए।”
घर के बगीचे में मल्टी लेयर विधि
डॉ. बिरादर के बगीचे में 3.5 फीट वाले गमले (पॉट्स) हैं जिसमें वह अलग अलग साइज और गुणों वाले चार-पाँच पौधे बोते हैं।
एक उदाहरण देते हुए वह कहते हैं, “सबसे ऊपरी परत में मोरिंगा जैसे ऊँचे पेड़ लगे हैं, इसके बाद खीरा, रिज और लौकी जैसी लतायें लगी हैं। तीसरी परत में टमाटर और बैंगन जैसे फल देने वाले पौधे होते हैं। हमने पालक, मेथी, सलाद पत्ते, और अरुगुला जैसी पत्तेदार सब्जियों से जमीन को कवर किया है। सबसे अंतिम परत में हमने मूली, अदरक, और गाजर जैसे भूमिगत पौधे लगाए हैं। “

इस तरह की बागवानी के कई फायदे हैं, जैसे कम पानी और जगह की जरूरत। एक दूसरे के नजदीक लगी सब्जियों की जड़ें मिलने के कारण इनका स्वाद अलग होता है। जैसे कि सलाद के पत्ते, तुलसी और चमेली के बगल में होने के कारण काफी अनोखे हैं। डॉ. बिरादर कहते हैं कि बागवानी की शुरूआत करने वाले लोगों को छोटे गमलों (पॉट्स) से शुरू करना चाहिए।
पॉट्स में मिट्टी, कोकोपीट और खाद जैसे हेल्दी और प्राकृतिक मिश्रण डालने के बाद वह टमाटर, पालक, मेथी, बैंगन और मिर्च जैसे पौधों से बागवानी शुरू करने का सुझाव देते हैं। अन्य पौधों को लगाने से पहले यह देखना जरूरी है कि पहले से लगाए गये पौधे मौसम, मिट्टी और पानी की स्थिति के अनुसार कैसे व्यवहार करते हैं।
डॉ. बिरादर कहते हैं, “बहुत अधिक देखरेख के कारण भी पौधे नष्ट हो जाते हैं। इसलिए उन्हें अत्यधिक पानी देने से बचना चाहिए। गर्मियों के दौरान प्रत्येक तीन दिन में एक बार पानी देना पर्याप्त होता है। मिट्टी के पैटर्न को समझें और देखें कि आपके पौधों को कितने पोषक तत्वों की आवश्यकता है। इसके बाद जैविक खाद या खाद डालें। बागवानी को एक मज़ेदार गतिविधि बनाएँ और शौक से करें, न कि इसे रूटीन काम समझें। ”
एक बार जब अपने पौधों की जरूरत समझने के बाद अगले चक्र में पौधे लगाना शुरू करें और इसी तरह धीरे-धीरे सभी परत में पौधे रोपें।
डॉ. बिरादर हमें सीमित जगह में वर्टिकल गार्डनिंग के महत्व के बारे में भी बताते हैं। दरअसल, उन्होंने तुलसी, अजवायन, रोजमैरी और लहसुन लगाकर अपनी छत की दीवारों का उपयोग किया है। उन्होंने दोपहर में अन्य पौधों को अतिरिक्त धूप से बचाने के लिए स्नेक प्लांट और अन्य लतायें लगायी हैं। आगे वह एक ही बर्तन में उगाए गए पौधों के बीच सहजीवी संबंध के बारे में बताते हैं।
उदाहरण के लिए, तुलसी के बगल में टमाटर लगाएँ क्योंकि यह कीट से बचाने वाला पौधा है। इसी तरह, सलाद या पालक जैसे पत्तेदार सब्जियों के बगल में हवा से नाइट्रोजन नोड्यूल्स बनाने वाली फलियाँ लगाएँ। पालक (जिसे अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है) और मिट्टी इसकी पत्तियों से नाइट्रोजन अवशोषित कर लेते हैं। यह मिट्टी और पौधों को समृद्ध पोषक तत्व प्रदान करते हुए मिट्टी में स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ाता है।
पानी और खाद देना
बागवानी का एक और महत्वपूर्ण पहलू पानी है। अगर आपके बगीचे में लगभग 100 गमले (पॉट्स) हैं तो यह माना जाता है कि आपको अधिक पानी की जरूरत पड़ेगी।
हालाँकि, डॉ. बिरादर ने इस धारणा को आसानी से दूर कर दिया क्योंकि वह दो सिंचाई विधियों के माध्यम से 90 प्रतिशत पानी बचाने का दावा करते हैं। जबकि हममें से अधिकांश ड्रिप सिंचाई से ही परिचित हैं, यह ‘ क्ले पॉट डिफ्यूजन इरिगेशन‘ विधि है जिसमें आपको ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
इसके लिए उन्होंने मिट्टी में गड्ढा करके मिट्टी के बर्तन जैसा आकार (क्ले पॉट) बनाया है जिसमें पानी को स्टोर किया जा सके।
डॉ. बिरादर बताते हैं कि मिट्टी के बर्तन (क्ले पॉट) में पानी को लंबे समय तक बनाए रखने की क्षमता होती है। पौधों की आवश्यकता के आधार पर, मिट्टी के बर्तन की दीवार संग्रहित पानी को छोड़ देती है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक संयंत्र को पर्याप्त रूप से पानी उपलब्ध कराया जाए। वह कहते हैं, “मिट्टी का घड़ा प्रति सप्ताह सिर्फ एक लीटर पानी का उपयोग करता है, जबकि पारंपरिक रुप से 10 घड़े पानी की जरूरत होती है। इस प्रकार 90 प्रतिशत पानी की बचत होती है।”
डॉ बिरादर रसोई कचरे को जैविक खाद में बदलने के लिए “पाइप कम्पोज़िंग” विधि के उपयोग के बारे में भी बताते हैं। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कम जगह की आवश्यकता होती है और यह लता वाले पौधों को सहायता भी प्रदान करता है।
उन्होंने मिट्टी में 6 × 3 फीट लंबे पीवीसी पाइप को फिट कर दिया है। इस प्रणाली के बारे में वह कहते हैं, “हम रसोई के कचरे या बचे हुए कचरे को पाइप में डालते हैं। कचरे से तरल पदार्थ निकलकर मिट्टी में प्रवेश करती है। यह पोषक तत्वों से भरपूर है और पौधों के विकास में सहायक है।”
प्रभाव और फायदे
डॉ. बिरादर बागवानी के प्रति उत्साह देखकर हमेशा गर्व महसूस करते हैं। वह कहते हैं, “मेरे तीनों बच्चे बगीचे में ताजा साग, गाजर, और चेरी टमाटर की कटाई से अपना दिन शुरू करते हैं। बागवानी एक मजेदार गतिविधि है जहां वे जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता की भूमिका के बारे में भी सीखते हैं। इसके अलावा, स्वस्थ और जैविक भोजन ने इम्यूनिटी मजबूत करने में मदद की है जिससे वायरल आदि बीमारियों से बचाव भी होता है।”
डॉ. बिरादर के नौ वर्षीय बेटे रोहन कहते हैं, “मुझे पौधों को पानी देना और अपने बगीचे की ताज़ी सब्जियाँ खाना बहुत पसंद है।“ लॉकडाउन ने उन्हें बागवानी गतिविधियों में शामिल होने का समय दिया है। वास्तव में, तीनों अपने छोटे से बगीचे को और तराश रहे हैं और पक्षियों के लिए घोंसले भी बना रहे हैं।
डॉ. बिरादर एक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े हैं जिसमें दुनिया भर के भारतीय हैं। अपने बागवानी टिप्स और चित्रों को शेयर करके वह बागवानी करने वालों की सहायता भी करते हैं।
डॉ. बिरादर का मानना है, “यदि प्रत्येक परिवार एक किलो सब्जी भी उगाना शुरू कर देता है तो हम हर दिन हजारों मील के ट्रांसपोर्ट को कम कर सकते हैं, इस प्रकार कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं। बागवानी प्रकृति को बढ़ाती है, तनाव कम करती है और हमारी संपूर्ण प्रतिरक्षा में सुधार करती है।”
गार्डनिंग से जुड़ी और भी जानकारियों के लिए डॉ. बिरादर से C.Biradar@cgiar.org पर संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेख-GOPI KARELIA
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