पहाड़ों में नहीं, बेंगलुरु शहर की अपनी बालकनी में उगा रहे हैं सेब, जानिए कैसे

How To Grow Apples

57 वर्षीय कॉन्सेप्ट आर्टिस्ट और फोटोग्राफर विवेक विलासिनी, बेंगलुरु स्थित अपने घर की बालकनी में ही सेब और एवाकाडो जैसे फल उगा रहे हैं।

आप जब भी सेब के बारे में सोचते होंगे, तो आपको यही लगता होगा कि हिमालय जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में ही इसे उगाया जा सकता है। लेकिन 57 वर्षीय कॉन्सेप्ट आर्टिस्ट व फोटोग्राफर विवेक विलासिनी ने बेंगलुरु स्थित अपने घर की बालकनी में ही सेब उगाने में कामयाबी हासिल की है।

विवेक कहते हैं, “सात साल पहले, मैंने एक कॉन्सेप्ट-बेस्ड आर्ट प्रोजेक्ट के तहत फलों की विदेशी किस्मों को उगाना शुरू किया। मेरा फार्म केरल के मुन्नार में है, इसलिए मैं आमतौर पर पेड़-पौधे लगाने का काम परीक्षणों से शुरु करता हूँ। इसके बाद, इन पौधों को अपनी बालकनी में उगाता हूँ और फिर मैं उन्हें खेत में शिफ्ट कर देता हूँ। मेरी हालिया परियोजना में सेब की ‘लो चिल’ किस्मों को उगाना शामिल है, जो Tropical climate वाले क्षेत्रों के लिए हैं।”

उन्होंने 2018 में ‘अन्ना सेब’ किस्म के पौधे लगाए और सितंबर 2020 से पहले इसमें फल लग गए। विवेक ने द बेटर इंडिया को इसके बारे में विस्तार से बताया।

बालकनी में कैसे उगाए सेब?

Vivek from Bengaluru, How To Grow Apples
Vivek is Growing Apple in his balcony

उन्हें साउथ कैलिफोर्निया के एक फार्म में ‘अन्ना सेब’ की किस्म मिली, जिसे वह मुन्नार में अपने एक आर्ट प्रोजेक्ट के लिए खरीदना चाहते थे। लेकिन जब विवेक ने फार्म के मालिक से संपर्क किया, तो सैपलिंग्स की शिपिंग करना गैरकानूनी होने के कारण, उन्होंने इसे भारत में निर्यात करने से इनकार कर दिया। विवेक ने कहा, “उन्होंने मुझे भारत के कुछ फार्म के बारे में बताया, जहां ‘अन्ना सेब’ को उगाया जाता है। मैंने उन फार्म्स पर पता करना शुरू किया। उत्तर भारत के अधिकांश खेतों में तो वह किस्म नहीं मिली, लेकिन कूर्ग की एक नर्सरी मेंमिल गयी।”

विवेक ने ‘अन्ना सेब’ के एक पौधे को कोथनूर के अपने अपार्टमेंट लगाया। उन्होंने पौधों को छोटे स्पाइक्स या किनारों पर छेद वाले कंटेनर (एयर-पॉट्स) में लगाया। इसमें पौधे की जड़ों तक हवा पहुंचती है।
विवेक कहते हैं, “ये पॉट्स, पौधों को तेजी से बढ़ने देते हैं। तीन सालों का रूट डेवलपमेंट, दो साल के भीतर हासिल किया जा सकता है। इसके अलावा, ये पॉट्स यह भी सुनिश्चित करते हैं कि जड़ें लंबी न हों। जड़ों को किनारों पर काट दिया जाता है, जिससे वे और मोटी हो जाती हैं। ऐसा करने से, मुन्नार के मेरे फार्म में पौधे को शिफ्ट करते समय, पेड़ की जड़ें स्वस्थ होंगी और फल तेजी से पैदा होंगे। ”

विवेक जिन पॉट्स में इन्हें लगाते थे, उसमें मिट्टी नहीं होती थी। वह पॉट्स में पीट, पर्लाइट और खाद का मिश्रण डालते थे। उन्होंने पौधों में नियमित रूप से पानी दिया, लेकिन बहुत अधिक नहीं डाला।

फूल से फल तक का सफर

How To Grow Apples
Anna Apple

मार्च 2020 में, जब सेब के पेड़ में फूल आने लगे, तो विवेक और उनकी पत्नी को काम के लिए अमेरिका जाना पड़ा। उस समय, उन्होंने अपने दोस्तों से, जब तक वे तीन सप्ताह के बाद वापस नहीं आ जाते, तब तक पौधों को पानी देने में मदद करने के लिए कहा था। हालाँकि, भारत में लॉकडाउन की घोषणा के बाद, दोनों को अमेरिका में चार महीने तक रुकना पड़ा।

विवेक कहते हैं, “बाद के महीनों में, फूलों ने फल दिए, लेकिन मैं और मेरी पत्नी उन्हें नहीं देख पाए। उनमें से अधिकांश छोटे थे, क्योंकि हम उस समय पौधे के लिए ज़रूरी जैविक पोषक तत्व नहीं दे पाए। इसके बावजूद, फल स्वस्थ थे। हमने अपने दोस्तों से सभी फलों को तुड़वाने का अनुरोध किया। साथ ही, उनसे कहा कि  कुछ फलों को पेड़ पर ही छोड़ दें, ताकि जब हम वापस लौटें, तो उन्हें देख सकें।” आगे उन्होंने कहा कि वह मुन्नार में अपने खेत में इन्हें लगाने और उन्हें खुद फल बनते देखने के लिए उत्सुक हैं।

अन्ना सेब के अलावा, विवेक ने HRMN-99 किस्म, ग्रैनी स्मिथ, गाला और डोरसेट गोल्डन सेब भी उगाए हैं। एचआरएमएन-99 में तो फल भी लग गए हैं, जबकि बाकियों में अभी केवल फूल ही हैं। अब तक, विवेक ने 300 प्रकार के फल उगाने की कोशिश की है, जिसमें छह प्रकार के एवोकाडो और 40 प्रकार के खट्टे फल शामिल हैं।

मूल लेखः रौशनी मुथुकुमार

संपादन- जी एन झा

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