इनकी छत पर हैं 3000+ गमले, सब्जियों के साथ उगाते हैं स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, आड़ू जैसे फल

करनाल, हरियाणा के रहने वाले रामविलास कुमार, सूखे पत्तों से खाद बनाकर अपनी छत पर बागवानी कर रहे हैं।

आजकल लोग अलग-अलग तरीकों से पेड़-पौधे उगाते हैं। बहुत से लोगों में छत पर बगीचा (Rooftop Garden) लगाने का शौक बढ़ा है। कुछ लोग यूट्यूब चैनलों पर कई विडियो देख, बागवानी सीखते हैं तो कुछ सोशल मीडिया पर ग्रुप्स ज्वाइन करके। लेकिन, यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि बागवानी एक दिन में सीखने की चीज नहीं है। बल्कि यह एक प्रक्रिया है, जिसका अभ्यास करके ही आप मिट्टी, पेड़-पौधों और खाद आदि की समझ विकसित कर पाएंगे। अपने इस अनुभव के आधार पर ही आप दूसरों का भी मार्गदर्शन सकते हैं। 

आज हम आपको एक ऐसे ही बागवान की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लगभग 20 सालों से बागवानी कर रहे हैं। उन्होंने जो कुछ भी सीखा है, अपने अनुभव से सीखा है और अब इसी अनुभव को वह सैकड़ों लोगों के साथ साझा कर रहे हैं। यह बागवान हैं, हरियाणा के करनाल में रहने वाले रामविलास कुमार। पढ़ाई पूरी करने के बाद, कुछ दिन बतौर शिक्षक काम करने वाले रामविलास वर्तमान में कंस्ट्रक्शन बिजनेस से जुड़े हुए हैं। इसके साथ-साथ, वह अपने घर की चौथी मंजिल पर लगे अपने बगीचे (Rooftop Garden) को भी संभालते हैं। 

रामविलास ने द बेटर इंडिया को बताया, “बागवानी का शौक मुझे बचपन से ही था। मुझे हमेशा से ही फूलों के प्रति बहुत आकर्षण था। अगर मुझे कहीं रंग-बिरंगे फूल दिख जाते थे तो मन करता था की इन्हें अपने घर ले जाकर लगा दूं। इसी तरह, घर में धीरे-धीरे पेड़-पौधे बढ़ते गए। पिछले 10 सालों में, हमारे बगीचे में फूलों के अलावा बहुत सी मौसमी तथा सामान्य फल-सब्जियों के पेड़ भी जुड़ गए हैं। हमारी छत पर नींबू, अमरुद, चीकू आदि के पेड़ भी हैं।”

Rooftop Garden
Ramvilas in his Rooftop Garden

रामविलास के बगीचे में 3000 से ज्यादा गमले और ड्रम हैं। वह अपनी छत के लिए मिट्टी के गमले और बड़े ड्रम को काटकर इस्तेमाल करते हैं। वह कहते हैं कि उन्होंने अपनी छत पर सभी गमलों को ऐसे रखा है कि ये पूरी छत पर फैले हुए हैं। उन्होंने सारा वजन किसी एक जगह पर नहीं डाला है। साथ ही, इनमें पानी भी वह जरूरत के हिसाब से ही देते हैं ताकि छत पर पानी का भराव न हो। उनका मानना है, “जब आप बागवानी करते हैं तो आप धीरे-धीरे इससे जुड़ी सभी बातों का ख्याल रखना सीख जाते हैं। मुझे छत पर बागवानी करते हुए कई साल हो गए हैं लेकिन अब तक कोई समस्या नहीं हुई है।”

वह अपने बगीचे में टमाटर, मिर्च, ककड़ी, लौकी, मटर, पेठा, खीरा, तोरई, फलियां, बैंगन, गोभी, चुकंदर, मूली, पालक, धनिया, पुदीना, तुलसी, अश्वगंधा, एलोवेरा के साथ-साथ स्ट्रॉबेरी, मूंगफली, ड्रैगन फ्रूट, आड़ू जैसे पेड़-पौधे भी उगा रहे हैं। उनके घर की फल-सब्जियों की जरूरत, वह अपने बगीचे से ही पूरी कर लेते हैं। इसके अलावा, वह अपने आस-पड़ोस में भी साग-सब्जियां बांटते हैं। लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने कई घरों में सब्जियां पहुंचाई थीं। 

Rooftop Garden in Haryana
Summer veggies on his Rooftop Garden

कैसे करते हैं देखभाल:

इस बारे में वह कहते हैं, “इतने सालों के अपने अनुभव से मैंने बहुत कुछ सीखा है। इसलिए मैंने कुछ अपने तरीके भी बनाये हैं, जिनका उपयोग करके मैं अपने बगीचे से अच्छी उपज लेता हूँ। जैसे- लोग पौधों में मिनरल्स की कमी को पूरा करने के लिए रसायन डाल देते हैं लेकिन, मैं सिर्फ जैविक खाद पर ही भरोसा करता हूँ। मैं एक अलग तरीके से जैविक खाद तैयार करता हूँ।”

पौधों में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए वह बॉनमील की जगह पत्थरों का चूरा (स्टोन डस्ट) इस्तेमाल करते हैं। वह कहते हैं कि अगर आपको कहीं से स्टोन डस्ट मिल जाये तो आप इसे लें और अपने सभी गमलों में एक-एक मुट्ठी मिला दें। आपको यह सिर्फ एक बार ही डालना है और फिर दो-तीन साल तक के लिए, पौधों को कैल्शियम की कोई कमी नहीं होगी। “यह मेरा आजमाया हुआ तरीका है और मैं सभी लोगों को इसे इस्तेमाल करने की सलाह देता हूँ। आप चाहें तो पौधों के लिए पॉटिंग मिक्स बनाते समय थोड़ा सा स्टोन डस्ट मिला लें। क्योंकि, इसके बाद आपको पौधों में कैल्शियम के लिए, कुछ और डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी।” 

Haryana Gardening
Growing fruits as well on rooftop garden

इसके अलावा, वह गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट की बजाय बैक्टीरिया कल्चर में सूखे पत्तों की और रसोई से निकलने वाले जैविक कचरे की खाद तैयार करते हैं। इस खाद को बनाने के लिए आपको ‘डीकम्पोजर बैक्टीरिया‘ की जरूरत होती है जो पेड़-पौधों के लिए अच्छा होता है। आप यह बाजार से खरीद सकते हैं, जैसे वेस्ट डीकम्पोजर आप ले सकते हैं। वह कहते हैं, “डीकम्पोजर बैक्टीरिया आपको ‘स्लीपिंग मोड’ (सोते हुए) में मिलते हैं, जिन्हें एक्टिव करने के लिए आप इन्हें दही, पानी और गुड़ के घोल में मिलाएं। इस घोल को किसी बाल्टी में बनाएं और ढककर छांव में रख दें। लगभग सात-आठ दिन बाद आप देखेंगे कि इस घोल में बुलबुले उठ रहे हैं। इसका मतलब है कि बैक्टीरिया एक्टिव हो गए हैं।”

इस बैक्टीरिया कल्चर का उपयोग, वह घर पर खाद बनाने के लिए करते हैं। रामविलास बताते हैं कि पतझड़ के मौसम में, जब शहर में पेड़-पौधों से पत्ते गिरते हैं, तब निगम वाले इन सभी पत्तों को इकट्ठा करके आग लगा देते हैं। लेकिन पिछले कई सालों से वह एक-दो मजदूरों की मदद से, इन पत्तों को इकट्ठा करवा लेते हैं। पतझड़ के मौसम में, इतने पत्ते इकट्ठा हो जाते हैं कि वह अपने बगीचे के लिए अच्छी खाद बना सकें। 

  • सबसे पहले अपनी जरूरत के हिसाब से कोई बाल्टी या ड्रम लीजिए। 
  • इस बाल्टी या ड्रम में नीचे की तरफ से तीन-चार इंच छोड़कर, एक नल लगा दीजिए। 
  • अब इसमें सबसे पहले सूखे पत्तों या आपके रसोई से निकले जैविक कचरे की, लगभग छह इंच की एक परत डालिए। 
  • अब किसी कप या मग से इसके ऊपर तैयार किया गया बैक्टीरिया कल्चर डालिए। 
  • अब फिर से आप सूखे पत्तों या रसोई से निकले कचरे की परत डालिए तथा उसके बाद बैक्टीरिया कल्चर डालिए। 
  • इस दौरान, इसमें आपको पानी भी डालते रहना है। 
  • आपकी बाल्टी या ड्रम जब पूरा भर जाए तो आप इसे ऊपर से ढक्कन से बंद कर दीजिए और जिस दिन आपकी बाल्टी या ड्रम जैविक कचरे से भर जाए, उस तारीख को आप कहीं लिख लें। इस तारीख से चार-छह महीनों के अंदर, आपकी खाद इस्तेमाल करने के लिए तैयार हो जाएगी। अक्सर लोग उस दिन से गिनती करना शुरू करते हैं, जब वे पहली बार जैविक कचरा बाल्टी या ड्रम में डालते हैं। लेकिन यह गलत है। आपको गिनती उसी तारीख से शुरू करनी है, जिस दिन आपकी बाल्टी या ड्रम कचरे से भर जाए। 

Terrace Gardener
Growing Vegetables through Organic Ways on rooftop garden

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि इस जैविक कचरे में भूलकर भी आप पकी हुई रोटी, चावल या सब्जी न डालें। साथ ही, नींबू, संतरा, कीनू, प्याज और लहसुन के छिल्के या अन्य कोई ऐसा कचरा इसमें नहीं डालना है। रामविलास कहते हैं, “नींबू, संतरा, कीनू, लहसुन और प्याज में एंटी-फंगल, और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। अगर हम इसमें ये छिल्के डालेंगे तो बैक्टीरिया पनप नहीं पायेगा और खाद नहीं बनेगी। इसलिए आप कोशिश करें कि खट्टे फलों के छिल्कों से बायो-एंजाइम बनाएं क्योंकि, वे भी पौधों के लिए अच्छे होते हैं।”

चार से छह महीने बाद, आप देखेंगे कि ड्रम या बाल्टी में जो तरल है, वह बिलकुल गहरे रंग का हो गया है। आप नल से इस तरल खाद को निकालकर, अपने पौधों के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए, आपको एक भाग तरल खाद में, चार भाग पानी मिलाना है। तरल खाद के अलावा, आपको ड्रम या बाल्टी से ठोस खाद भी मिलेगी, जिसे आप सुखाकर गमलों की मिट्टी में मिला सकते हैं। 

रामविलास कहते हैं, “मैं हमेशा अपने बगीचे में यही खाद इस्तेमाल करता हूँ और मेरे यहाँ सभी पेड़-पौधे फल, फूल तथा सब्जियों से लदे रहते हैं। लोगों को यकीन नहीं होता लेकिन, मैं अपने एक गमले से चार से पाँच किलो टमाटर की उपज लेता हूँ।”

दूसरों के लिए बने प्रेरणा:

Haryana Terrace Gardener
Making Gardening Videos for People

खुद अपना खाना उगाने वाले रामविलास कुमार, आज सैकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। वह व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से लगभग 500 लोगों से जुड़े हुए हैं और नियमित तौर पर उनकी बागवानी से संबंधित परेशानियां हल करते हैं। उनकी प्रेरणा से बहुत से लोगों ने खुद अपना खाना उगाना भी शुरू किया है। लोगों से वह सीधा जुड़ सकें इसलिए, उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया। 

इसके अलावा, वह बागवानी के इच्छुक लोगों को शनिवार तथा रविवार को, गूगल मीट के जरिए भी कक्षाएं देते हैं। उनसे जुड़े हुए लोग उन्हें अपनी समस्याएं भेजते हैं और रामविलास गूगल मीट पर उन्हें, उनके हल बताते हैं। उनका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और जैविक उगाने व जैविक खाने के लिए प्रेरित करना है। 

उनसे प्रेरित होकर सब्जियों में हाथ आजमाने वाली अम्बाला की रीना जैन बतातीं हैं, “मैं लगभग एक-डेढ़ साल से गूगल मीट पर उनकी गार्डनिंग क्लास ले रही हूँ। उनके सिखाने से बहुत ज्यादा आत्म-विश्वास आया है। पहले मेरे यहां बस फूलों के पेड़ थे लेकिन अब मैं अपनी छत पर सब्जियां भी उगा रही हूँ। सर, बहुत ही धैर्य से समझाते हैं और हर तरह से मार्गदर्शन करते हैं।”

Rooftop garden
His Rooftop Garden

अंत में रामविलास बस यही कहते हैं, “आज के समय में अगर किसी के पास छत या बालकनी हैं तो हरी सब्जी उगाने की कोशिश जरूर करें। अगर हम अपने घरों में दस-बीस पौधे भी लगाएंगे तो अपनी ऑक्सीजन का इंतजाम खुद कर लेंगे। अगर हर घर की छत पर छोटा सा ही बगीचा हो तो हम बहुत हद तक वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं। मेरी बस यही गुजारिश है कि आप एक कोशिश जरूर करें।”

अगर आप रामविलास से सम्पर्क करना चाहते हैं तो उन्हें 9996928517 पर कॉल कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा 

यह भी पढ़ें: मौसमी सब्जियों के साथ सीताफल, केला, ड्रैगन फ्रूट और गन्ना तक, छत पर उगा रहीं हैं यह गृहिणी

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X