ड्रैगन फ्रूट, इंसुलिन, कॉफी और मुलैठी तक उगाते हैं छत पर, बाजार से खरीदते हैं सिर्फ आलू

Retired Bank Manager

भोपाल में रहने वाले रविंद्र जोशी, छत पर बागवानी करते हुए, लगभग हर तरह के फल और सब्जियां उगा रहे हैं।

भोपाल में रहने वाले 67 वर्षीय रविंद्र जोशी, पिछले लगभग 15 सालों से अपनी छत पर बागवानी कर रहे हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से रिटायर हुए, जोशी का कहना है कि अपनी नौकरी के दौरान, वह बहुत से ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में भी रहे हैं। जहाँ आवासीय परिसर काफी बड़े हुआ करते थे और घर में बागवानी के लिए अच्छी जगह भी हुआ करती थी। वहीं से, उनमें घर में पेड़-पौधे लगाने का शौक आया और फिर बढ़ता ही चला गया। आज रिटायरमेंट के बाद वह भोपाल में, अपने घर की लगभग 1200 वर्ग फ़ीट छत पर शानदार तरीके से गार्डनिंग (Growing Your Own Food) कर रहे हैं। 

जोशी ने द बेटर इंडिया को बताया, ” बागवानी में पहले मेरा रुझान सब्जियों की तरफ ज्यादा नहीं था। मैं तब फूल के पौधे ही लगाया करता था, सब्जियां तो पिछले डेढ़-दो साल से लगाना शुरू किया है। अब मौसमी सब्जियां हमारे यहाँ काफी उगती हैं और इसके अलावा, कुछ अलग-अलग तरह के पौधे लगाकर एक्सपेरिमेंट भी करता रहता हूँ।” 

उनकी छत पर लगभग 150 पेड़-पौधे हैं, जो मौसम के हिसाब से घटते-बढ़ते रहते हैं। अपने कुछ पौधों की कटिंग से नए-नए पौधे बनाकर भी वह लोगों को गिफ्ट करते हैं। उनका कहना है कि बागवानी करने से उनका समय अच्छा व्यतीत होता है और कसरत भी अच्छी हो जाती है। 

Growing Your Own Food
रविंद्र जोशी

आलू के अलावा नहीं खरीदते कुछ भी: 

जोशी बताते हैं कि वह जैविक तरीकों से गार्डनिंग करते हैं। वह अपने यहाँ गिलकी, कद्दू, लौकी, कुन्द्रु, पालक, मेथी, बीन्स, मटर, टमाटर, फूल गोभी, ककड़ी, करेला, खीरा, सहजन जैसी सब्जियां लगाते हैं। उनके किचन गार्डन से एक बार में कई किलो बीन्स, टमाटर और 13-14 लौकी आदि मिल जाते हैं। उन्होंने बताया, “घर के लिए सब्जियों की आपूर्ति हमारे गार्डन से ही हो जाती है। बाहर से हम सिर्फ आलू खरीदते हैं। बाकी सब्जियां इतनी मात्रा में होती हैं कि हम अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी बाँट पाते हैं।”

सब्जियों के अलावा उनके बगीचे में अमरूद, अनार, चीकू, चकोतरा, करौंदा, स्टार फ्रूट, आलूबुखारा, एप्पल बेर और नींबू जैसे फलों के भी पेड़ हैं। वह कहते हैं कि फल-सब्जियों के साथ-साथ, वह ऐसे पौधे भी उगाने की कोशिश करते हैं, जो घरों में ज्यादा दिखते नहीं हैं। यही वजह है कि उनकी छत पर आपको ड्रैगन फ्रूट, इंसुलिन प्लांट (राइज़ोम कोस्टस इग्नेयस), कॉफ़ी, मुलैठी, दाल चीनी, तेज पत्ता, रुद्राक्ष, इलायची और कपूर के भी पौधे दिख जाएंगे। 

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उन्होंने कहा, “मुझे जब भी किसी नए पौधे के बारे में पता चलता है तो मैं एक पौधा नर्सरी से लेकर, उसे अपने घर में लगा देता हूँ। फिर उसी की कटिंग से और पौधे बनाता हूँ। मैंने ड्रैगन फ्रूट से, 20 और पौधे बनाकर लोगों में बांटे हैं। इंसुलिन प्लांट से भी मैंने कई नए पौधे बनाए हैं।” 

जोशी खुद अपने गार्डन के लिए जैविक खाद बनाते हैं। वह अपने घर के जैविक कचरे का उपयोग, खाद बनाने के लिए करते हैं। सभी पौधों में, महीने में कम से कम दो बार खाद डाली जाती है। घर की खाद के अलावा, वह गोबर की खाद, सरसों खली, नीम खली और बोन मील का इस्तेमाल भी करते हैं। पौधों को सुबह-शाम नियमित तौर पर पानी दिया जाता हैं। उन्हें अपने घर में बोनसाई लगाने का भी शौक है। उनके पास 30 साल पुराना बरगद का बोनसाई है और एडेनियम (डेजर्ट रोज) के भी कई बोनसाई हैं। उन्होंने अपनी छत पर 12 से 18 इंच के आकार के गमलों में पेड़-पौधे लगाए हुए हैं। वह सब्जियों के लिए, थोड़े गहरे गमलों का इस्तेमाल करते हैं ताकि जड़ें अच्छे से फैलें। 

कुछ गार्डनिंग टिप्स: 

बागवानी का शौक रखने वाले या नए सिरे से बागवानी करने वालों के लिए, जोशी सलाह देते हैं कि आप अपने घर पर लाई हुई सब्जियों के बीजों से ही शुरूआत कर सकते हैं। वह कहते हैं कि टमाटर लगाने के लिए, आप किचन से ही टमाटर लें और इसे सुखा लें। सूखने के बाद, इसमें से बीज निकाल कर गमलों में लगा दें। इसी तरह, आप हरी मिर्च, गिलकी, शिमला मिर्च आदि सब्जियों को सुखाकर, इनके बीज इस्तेमाल कर सकते हैं। 

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कॉफी प्लांट और इन्सुलिन प्लांट

उन्होंने बताया, “सबसे पहले आप बीजों से एक जगह पौधे तैयार कर लें और फिर इन्हें अलग-अलग गमलों में लगा दें। अगर आप यह भी न कर पाएं तो अपने आसपास कोई भरोसेमंद नर्सरी या माली ढूंढ लें, जो सब्जियों के पौधे तैयार करते हैं। आप उनसे भी पौधे लाकर, अपने यहाँ लगा सकते हैं। भोपाल में ऐसी कई जगह हैं, जहाँ से मुझे कई बार तैयार पौधे मिल जाते हैं और मुझे बस उन्हें अपने यहाँ लाकर, गमलों में लगाना होता है।” 

जोशी कहते हैं, “हमेशा अपनी जगह और जरूरत के हिसाब से सब्जियां लगाएं। कई बार अंदाजा न होने के कारण, लोग बीज लाकर बस लगा लेते हैं। फिर बहुत ज्यादा पौधे हो जाने के कारण, दूसरे पौधे लगाने के लिए जगह ही नहीं बचती। क्योंकि, अगर आप दो-तीन पौधे भी लगाएं और अच्छे से देखभाल करें तो इससे काफी उपज मिलती है। जैसे- हमें सीजन में स्टार फ्रूट के पौधे से, कई किलो स्टार फ्रूट मिल जाते हैं। एक बार बरबटी लाकर लगाई तो कुछ पौधों से ही, हमें कई किलो बरबटी मिल गयी। इसलिए, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सभी कुछ लगाने की कोशिश करें।”  

अंत में वह सलाह देते हैं कि एक साथ ढेर सारे पौधे खरीदने से बेहतर कि आप एक-एक पौधा लेकर, उसी में से कटिंग द्वारा नए पौधे लगाएं। इससे आपको उस पौधे का व्यवहार भी समझ में आ जाता है और आप अच्छी तरह से देखभाल भी कर पाते हैं। बागवानी के लिए धैर्य बहुत जरूरी है। इसलिए, एक बार कोशिश करके हार न मान लें बल्कि धीरे-धीरे लगे रहें और अपने गार्डन को बढ़ाते रहें। बागवानी हर उम्र के लोगों के लिए बहुत लाभदायक है। क्योंकि, इससे आपके घर का वातावरण स्वच्छ रहता है और आपको जैविक भोजन मिलता है। 

रविंद्र जोशी से जुड़ने के लिए उन्हें फेसबुक पर संपर्क कर सकते हैं।

हैपी गार्डनिंग।

संपादन- जी एन झा

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