आगरा के रहनेवाले रिटायर्ट बैंककर्मी चंद्र शेखर शर्मा को हमेशा से ही प्रकृति और पेड़-पौधों से लगाव रहा है। 40 साल पहले, उन्होंने अपने घर के आंगन में एक बेल का पेड़ लगाया। इसके बाद, उन्होंने हर साल अपने घर के Garden में एक पेड़ और कुछ पौधे लगाने की प्रथा शुरू कर दी और यह परंपरा आज तक जारी है।
अब उनके पास लगभग 400 अलग-अलग किस्मों के 1,000 से भी ज्यादा पेड़-पौधे हैं। चंद्र शेखर शर्मा बड़े गर्व से अपने घर को ‘ग्रीनहाउस’ कहते हैं।
आगरा में वह काफी भीड़-भाड़ वाले इलाके में रहते हैं, जहां हरे-भरे पेड़ों से भरा उनका घर काफी सुकून देता है। द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताते हैं कि उन्होंने घर में कई पेड़ लगाए हैं और गमलों में लगे पौधों को अपने घर की दीवारों के तरफ रखा है।
इनमें कई तरह के फल, जैसे- अनार, नींबू, और नारंगी के अलावा, कई किस्मों की सब्जियां भी उगती हैं। इसके अलावा, उन्होंने चमेली, गुलाब, बोगनविला और ट्यूलिप जैसे फूल भी लगाए हैं, जो घर के वातावरण को खुशबू से भर देते हैं। आस-पास की हरियाली के कारण यहां अक्सर गौरैया, हमिंगबर्ड, कई तरह के कीड़े, बंदर और दूसरे जीवों का आना-जाना लगा रहता है।
“मेरे बगीचे में घर है, घर में बगीचा नहीं”

चंद्र शेखर शर्मा को अपने पेड़-पौधों से बेहद लगाव है। अपने घर के ज्यादातर हिस्सों में उन्होंने पेड़-पौधे लगा रखे हैं। उन्होंने वॉटर लिली भी लगाया है, जो यहां की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं। इसके अलावा, उनके घर की ज्यादातर बाहरी दीवारों पर वर्टिकल Garden बनाया गया है। वह कहते हैं कि आजकल वर्टिकल गार्डनिंग का कॉन्सेप्ट पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय हो रहा है।
वह, अपने घर में जब भी कोई नया बीज लगाते हैं, तो कुछ अहम बातों को ज़रूर ध्यान में रखते हैं, जैसे- सूरज की किरणें कहां गिरेंगी और किन जगहों में छाया रहती है? वह आगरा की जलवायु, मिट्टी, पानी का स्तर और गुणवत्ता से भली-भांति परिचित हैं। वह केवल सर्दियों में खिलने वाले फूलों के पौधों की बजाय उन पौधों को लगाना ज्यादा पसंद करते हैं, जो साल में करीब आठ से नौ महीनों तक खिलते हैं।
हालांकि उनके पास जापानी बोन्साई और अन्य विदेशी पौधे भी हैं, लेकिन वह मुख्य रूप से उन पौधों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो आगरा की गर्म जलवायु में आसानी से बढ़ सकते हैं। वह कहते हैं, “लोग अक्सर कहते हैं कि उनके घर में एक बगीचा है। मैं कुछ अलग करना चाहता था। मेरे बगीचे में एक घर है।”
Garden में लगे पेड़-पौधों की वजह से घर का तापमान रहता है ठंडा

अपने बगीचे और वहां के हर एक पौधे से चंद्र शेखर को बेहद प्रेम है। उनकी सुबह का काफी समय इनकी देखभाल करने में जाता है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन पौधों की देखभाल के लिए उन्होंने कभी किसी माली की सहायता नहीं ली। बगीचे का सारा काम, ट्रिमिंग से लेकर इनकी देखभाल करना तक वह खुद ही करते हैं।
यहां तक कि पौधों में पाइप से पानी देने की बजाय, वह खुद बाल्टी और मग से पानी देना पसंद करते हैं, ताकि हर पौधे पर ध्यान दे सकें। वह कहते हैं, “हर सुबह मैं उठता हूं और अपने पौधों के साथ समय बिताता हूं। दूसरे लोग व्यायाम करते हैं। मेरे लिए, यही मेरी कसरत है।”
इसके अलावा, वह अपने पौधों के लिए किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं। वह अपने पौधों के लिए ज्यादातर रसोई के कचरे और गाय के गोबर का इस्तेमाल करते हैं।
चंद्र शेखर और उनके परिवार को अपने बगीचे से ताजा फल, सब्जियां और फूल तो मिलते ही हैं, साथ ही उन्हें कई और फायदे भी मिलते हैं। उन्हें ऑक्सीजन के साथ साफ, ताजी हवा मिलती है। साथ-साथ सामान्य वायु गुणवत्ता में सुधार भी हुआ है। इसके अलावा, उनके घर की दीवारें ठंडी रहती हैं। आगरा की भीषण गर्मी में भी उनके घर के अंदर का तापमान हमेशा 4 से 5 डिग्री ज्यादा ठंडा रहता है।
50 से ज्यादा लोगों की Garden बनाने में कर चुके हैं मदद

चंद्र शेखर शर्मा ने अब पौधों से जुड़ी अपना जानकारी दूसरों के साथ भी साझा करना शुरू कर दिया है। उन्होंने करीब 50 घरों में बागवानी से संबंधित सलाह दी है। वह लोगों को बगीचों के बारे में सिखाते हैं और उन्हें अपना बगीचा तैयार करने में मदद करते हैं। वह कहते हैं, “मैं चाहता हूं कि आगरा सुंदर हो।” उनका मानना है कि जब तक पेड़ नहीं लगाए जाएंगे, तब तक आगरा का तापमान बढ़ता रहेगा।
घर में बगीचा लगाने में उन्होंने जिन लोगों की मदद की है, उनमें से एक हैं इंदू बालासक्सेना। चंद्र शेखर ने इनके घर में एक वर्टिकल Garden लगाने में मदद की है। बालासक्सेना कहती हैं, “वह हमारे साथ बाजार तक आते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं कि किन पौधों को खरीदना है और उन्हें कैसे लगाना है।”
चंद्र शेखर न केवल यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि पौधे एक लंबा, स्वस्थ जीवन जी सकें, बल्कि यह भी बताते हैं कि इन्हें कैसे लगाया जाए, जिससे इसकी और घर की खूबसूरती बढ़े।
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जगह की कमी है, तो लगाएं वर्टिकल गार्डन

चंद्र शेखर शर्मा की तरह, बालासक्सेना का भी यह मानना है कि देश के वर्तमान में चल रहे जलवायु इमरजेंसी को देखते हुए पेड़ लगाना हमारा एक छोटा योगदान हो सकता है। वह कहती हैं कि देश के हर घर में वर्टिकल Garden होना चाहिए। पेड़ लगाने के लिए जगह कोई समस्या नहीं है। हर घर में दीवार होती है। लोग समय भी निकाल लेते हैं, बस इसके प्रति दिलचस्पी होनी चाहिए। कोई भी व्यक्ति 10 से 15 गमले आराम से लगा सकता है।
एक घर में और उसके आस-पास पौधों के होने का मतलब केवल बीज लगाना नहीं होता है। बीज लगाने के बाद, उसकी पूरी तरह देखभाल करनी पड़ती है, उनका ध्यान रखना पड़ता है, जिसके वे हकदार हैं। चंद्र शेखर जैसे लोग करीब आधी सदी से यह काम कर रहे हैं।
बालासक्सेना कहती हैं, “सरकार आती है और सार्वजनिक जगहों पर अधिक पौधे लगाती है। लेकिन यह काफी नहीं है। हर व्यक्ति को तीन से चार पौधों को अपनाना चाहिए, ताकि उनका ठीक से ध्यान रखा जा सके। शर्मा जी भी ऐसे ही हैं। वह पौधों से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देते हैं। उनका काम प्रेरणादायक और सराहनीय है।”
मूल लेखः आरुषी अग्रवाल
संपादनः अर्चना दुबे
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