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Carnivorous Plants बेचने को बनाया पार्ट टाइम बिज़नेस, हर माह कमा लेते हैं 25 हज़ार रुपये

Carnivorous Plants

केरल के एर्नाकुलम में रहने वाले 28 वर्षीय निर्मल कुमार, पेशे से इंटीरियर डिज़ाइनर हैं और साथ ही, कैक्टस, आर्किड और कीड़े खाने वाले पौधों की गार्डनिंग भी करते हैं।

क्या आपको पता है कि मांसाहारी जीव-जंतुओं की तरह ‘मांसाहारी पौधे’ (Carnivorous Plants) भी होते हैं। ऐसे पौधे जो अपने खाने के लिए, सूरज की रोशनी, मिट्टी और पानी पर नहीं, बल्कि कीड़ों पर निर्भर करते हैं, ‘कीटाहारी पौधे‘ कहलाते हैं। इन पौधों में न केवल छोटे कीड़ों को पकड़ने, बल्कि उन्हें पचाकर उनमें मौजूद पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता भी होती है। इन पौधों के बारे में, आपने या तो कहीं सुना होगा या फिर किताबों में पढ़ा होगा। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवा रहे हैं, जो न सिर्फ कीटाहारी पौधे (Carnivorous Plants) अपने गार्डन में लगाते हैं, बल्कि इन पौधों का बिज़नेस भी कर रहे हैं। 

केरल के एर्नाकुलम में रहने वाले 28 वर्षीय निर्मल कुमार, पेशे से इंटीरियर डिज़ाइनर हैं। साथ ही, वह लगभग आठ-नौ सालों से गार्डनिंग भी कर रहे हैं। गार्डनिंग का शौक, उन्हें अपनी माँ से मिला है। वह कहते हैं कि उन्हें हमेशा से ही सामान्य पेड़-पौधों के साथ-साथ, कुछ एग्जॉटिक पेड़-पौधे लगाने का शौक भी रहा है। लेकिन, ये एग्जॉटिक पौधे काफी महंगे होते हैं और हर जगह उपलब्ध नहीं होते हैं। इसलिए, निर्मल ने जब नौकरी शुरू की, तो उन्होंने अपने गार्डन के लिए, ऐसे पौधे खरीदना शुरू किये। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे गार्डन में ज्यादातर फोलिएज, फूल और कुछ अलग किस्म जैसे- कीटाहारी पौधे आदि आपको मिल जायेंगे। मैंने कीटाहारी पौधों (Carnivorous Plants) के बारे में, पहली बार स्कूल में पढ़ा था। उस वक्त, मुझे यह सोचकर बहुत हैरानी हुई थी कि पौधे भी कीड़ों को खा सकते हैं! मैं हमेशा से ही इन पौधों को लगाना चाहता था, लेकिन ये पौधे मिलना आसान नहीं है। साथ ही, ये काफी महंगे भी होते हैं।” 

Carnivorous Plants
Nirmal Kumar

करते हैं टेरेस गार्डनिंग: 

वैसे तो, निर्मल अपनी माँ के साथ बचपन से गार्डनिंग कर रहे हैं। लेकिन, कीटाहारी पौधे (Carnivorous Plants) खरीदना और अपने गार्डन में लगाना, उन्होंने कुछ साल पहले ही शुरू किया। वह बताते हैं, “हमारे घर के आसपास काफी खाली जगह है। पहले, मैं वहीं गार्डनिंग करता था, लेकिन 2018 में केरल में आई बाढ़ के कारण, बहुत से पौधे खराब हो गए। जिनमें कई कीटाहारी पौधे भी थे। इसके बाद से, मैं छत पर गार्डनिंग करने लगा।” 

वह बताते हैं कि पहली बार, उन्हें शिमला की एक नर्सरी में कीटाहारी पौधे (Carnivorous Plants) मिले थे। उन्होंने कहा, “कीटाहारी पौधों की बहुत सी प्रजातियां हैं। इन सभी प्रजातियों की देखभाल, अलग-अलग तरीकों से होती है। लेकिन, आम तौर पर सभी कीटाहारी पौधों को अच्छी रोशनी की जरूरत होती है। कीटाहारी पौधों की कुछ-एक प्रजातियां ही हैं, जिन्हें छांव में रखा जाता है। इसके अलावा, बात अगर ग्रोइंग मीडियम मतलब पॉटिंग मिक्स की करें, तो कीटाहारी पौधों को ऐसी मिट्टी में लगाया जाता है, जिसमें कोई पोषण न हो। मतलब कि इन्हें किसी तरह की खाद की जरूरत नहीं होती है। लेकिन, फिर भी अगर आप पॉटिंग मिक्स डालना ही चाहते हैं, तो वह पॉटिंग मिक्स ऐसा होना चाहिए, जिसमें हर समय नमी बनी रहे जैसे- कोकोपीट।” 

कीटाहारी पौधों (Carnivorous Plants) को हर दिन पानी देने की जरूरत होती है, क्योंकि अगर एक दिन भी इन्हें पानी न मिले, तो ये पौधे सूखने लगते हैं। निर्मल कहते हैं कि ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है। कीटाहारी पौधों में घटपर्णी (Pitcher Plant), सनड्यूज़ (Sundews), ब्लैडरवॉर्ट (Bladderwort), वीनस फ्लाईट्रैप (Venus flytrap), सैरासीनिया (Sarracenia), कोबरा लिली (Cobra lily) आदि शामिल होते हैं। 

Carnivorous Plants Gardening
Carnivorous Plants- Nepenthes Ampullaria Hybrid (Left), Sarracenia Purpurea (Right)

उन्होंने आगे कहा कि आज उनके गार्डन में लगभग 800 पौधे हैं, जिनमें से ज्यादातर पौधे कीटाहारी हैं। उन्होंने कुछ कीटाहारी पौधे (Carnivorous Plants), शिमला की नर्सरी से ख़रीदे हैं और कुछ पौधे, अलग-अलग प्रकृति प्रेमियों से मंगवाए हैं। उन्होंने कहा, “मैं कई फेसबुक ग्रुप के जरिये, गार्डनिंग करने वाले लोगों से जुड़ा हुआ हूँ। इन ग्रुप में मैंने ऐसे लोगों को खोजा, जो मेरी तरह अलग-अलग किस्म के पौधे लगाते रहते हैं। इनमें से ही मुझे कुछ ऐसे भी लोग मिले, जो कीटाहारी पौधे (Carnivorous Plants) उगा रहे हैं और उन्हीं से मैंने पौधे भी मंगवाए। इन पौधों की कीमत, तीन से चार हजार रुपए तक होती है। 

करते हैं कीटाहारी पौधों का बिज़नेस 

निर्मल कहते हैं कि नए पौधे खरीदने के साथ, वह पुराने पौधों को कटिंग से भी लगाते हैं। अपने गार्डनिंग के बारे में जानकारी साझा करने के लिए, उन्होंने अपना फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल, Nandanam Exotics भी शुरू किया। जिनके जरिए, दूसरे लोग भी उनसे जुड़ने लगे और 2019 में पहली बार, किसी ने उन्हें कीटाहारी पौधे (Carnivorous Plants) खरीदने के लिए ऑर्डर दिया। 

वह बताते हैं, “उस ऑर्डर के बाद, मुझे लगा कि मैं इस क्षेत्र में भी अपना करियर बना सकता हूँ। क्योंकि, गार्डनिंग करना मुझे बहुत ही पसंद है। लेकिन एकदम से नौकरी छोड़कर, बिज़नेस शुरू करना भी संभव नहीं है। इसलिए, मैंने छोटे स्तर पर ही अपने काम की शुरुआत की। पहले, मुझे महीने में पाँच-छह ऑर्डर मिल जाते थे। लेकिन, पिछले लॉकडाउन से बहुत से लोग मुझसे संपर्क करने लगे और ऑर्डर्स की संख्या भी बढ़ गयी है। फिलहाल, हर दिन पाँच से छह लोग मुझे कीटाहारी पौधों (Carnivorous Plants) के बारे में, जानने के लिए संपर्क करते हैं।” 

Carnivorous Plants
Carnivorous Plants- North American Pitcher Plant (Left), Venus Fly Trap (Right)

उन्होंने अब तक देश के लगभग सभी राज्यों में, लोगों को कीटाहारी पौधे (Carnivorous Plants) पहुंचाए हैं। जब भी उन्हें कोई कीटाहारी पौधों के लिए संपर्क करता है, तो निर्मल सबसे पहले यही पूछते हैं कि वह कहाँ रहते हैं और इन पौधों को कहाँ लगाया जाएगा? उस स्थान के तापमान और जलवायु के बारे में जानने के बाद ही, वह कीटाहारी पौधे भेजते हैं। वह कहते हैं कि उनकी कोशिश, लोगों को ऐसी प्रजाति के पौधे देने की होती है, जो उनके इलाके के तापमान और जलवायु में विकसित हो सकते हैं। अपने इस पार्ट-टाइम बिज़नेस से निर्मल, महीने में 25 हजार रुपए से ज्यादा की कमाई कर लेते हैं। 

निर्मल की आगे की योजना है कि वह कीटाहारी पौधों के इस बिज़नेस को ‘फुल-टाइम’ करें। कीटाहारी पौधे लगाने की चाह रखने वाले लोगों के लिए वह सलाह देते हैं, “अगर आप पहले से गार्डनिंग कर रहे हैं और आपको पौधों की अच्छी समझ है, तो आपके लिए कीटाहारी पौधे लगाना शायद आसान रहे। लेकिन, अगर आप गार्डनिंग की शुरुआत कर रहे हैं और पेड़-पौधों का ज्यादा अनुभव नहीं है, तो मैं सलाह दूंगा कि आप कीटाहारी पौधों से शुरुआत न करें। क्योंकि, ये पौधे काफी महंगे होते हैं और इन्हें सही देखभाल की जरूरत होती है। इसलिए, जब आपको गार्डनिंग का अच्छा अनुभव हो जाए, तभी इन पौधों पर पैसे खर्च करें।” 

अगर आप निर्मल कुमार से संपर्क करना चाहते हैं तो उनका फेसबुक पेज देख सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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