कैसे बनायें अपना ‘बोनसाई गार्डन’, अपनी छत पर 550 बोनसाई पेड़ लगाने वाले मंगत सिंह से सीखिए

दिल्ली के 79 वर्षीय मंगत सिंह ठाकुर, रिटायरमेंट के बाद से ही, अपने घर की छत पर 'बोनसाई गार्डनिंग' कर रहे हैं, और उन्होंने लगभग 550 बोनसाई बनाए हैं!

अगर कहीं बोनसाई पेड़ (Bonsai tree) दिख जाए, तो शायद ही कोई होगा, जो चंद पल रुककर इसे निहारेगा नहीं। किसी बड़े पेड़ के ‘मिनिएचर फॉर्म’ (छोटा आकार) बोनसाई, दिखने में बहुत ही सुंदर होते हैं। कई बार लोगों को लगता है कि, बोनसाई सिर्फ घरों की साज-सज्जा, और सौंदर्य बढ़ाने के लिए रखे जाते हैं। कुछ हद तक, यह सच भी है। लेकिन कुछ लोगों के लिए, बोनसाई लगाना ‘पैशन’ होता है। ये लोग बोनसाई खरीदना ही नहीं, बल्कि खुद बनाना भी पसंद करते हैं। आज ऐसे ही एक, ‘बोनसाई प्रेमी’ से हम आपको मिलवा रहे हैं।

दिल्ली के रोहिणी में रहने वाले 79 वर्षीय, मंगत सिंह ठाकुर, साल 2001 से लगातार बोनसाई बना रहे हैं। इस सफर में, उन्होंने न सिर्फ अपनी कला को निखारा है, बल्कि दूसरे लोगों को भी बोनसाई बनाना सिखाया है। ठाकुर बताते हैं, “बोनसाई के साथ मेरा रिश्ता काफी पुराना है। मैंने पहला बोनसाई 1978 में बनाया था, यह बरगद का पेड़ है, और आज भी मेरे पास है। उस समय से ही, मैंने बोनसाई के बारे में पढ़ना, और बोनसाई बनाने की, इस कला को सीखना शुरू किया था। मैंने जितना पढ़ा, इसमें मेरी रूचि उतनी ही बढ़ती गई।”

हालाँकि, अपनी नौकरी, और घर-परिवार की ज़िम्मेदारियों में, उन्हें अपने इस शौक के लिए ज़्यादा समय नहीं मिल पाता था। इसलिए, साल 2001 में, जब वह ‘देना बैंक’ से बतौर मैनेजर रिटायर हुए, तो उन्होंने अपने इस शौक को पूरा करने का फैसला किया। पिछले 20 सालों से वह लगातार बोनसाई पर काम कर रहे हैं। उनके घर की छत पर लगभग 550 बोनसाई हैं। इसके साथ-साथ वह लगातार, दूसरे लोगों को भी बोनसाई बनाना सिखाते हैं। वह बोनसाई कला पर एक किताब भी लिख रहे हैं, जिसे वह इस साल के अंत तक प्रकाशित करना चाह रहे हैं।

Bonsai Maker
Mangat Singh Thakur, Bonsai Maker

मुश्किल नहीं है बोनसाई बनाना:

ठाकुर कहते हैं कि, “अक्सर लोगों को बोनसाई बनाना, बहुत मेहनत का काम लगता है। लेकिन ऐसा नहीं है, यह मेहनत से ज़्यादा, कला का काम है। अगर आपने बोनसाई की कला को समझ लिया, तो आप आसानी से बोनसाई बना पाएंगे। ज़रूरी है कि, आपके पास इसका हुनर हो। वह कहते हैं, “हमें सबसे पहले ‘बोनसाई’ शब्द को समझना होगा। यहां, ‘बोन’ का मतलब है ‘ट्रे,’ और ‘साई’ का मतलब है, ‘पेड़।’ यह पेड़ों की कोई अलग प्रजाति नहीं है, बल्कि किसी बड़े पेड़ का ‘मिनिएचर फॉर्म’ है। आप किसी भी बड़े पेड़ से बोनसाई बना सकते हैं। बस आपको इसे बनाने की सही प्रक्रिया आनी चाहिए।”

किसी बड़े पेड़, और बोनसाई के बीच के फर्क को समझने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। सबसे पहले ध्यान रखें कि, बोनसाई का आकार ज़्यादा से ज़्यादा 3 फ़ीट तक ही होता है। बड़े पेड़ों की तरह, इसकी शाखाएं फैली हुई, और लम्बी नहीं होती हैं। इसकी जड़ों को फैलने के लिए ज़्यादा जगह नहीं मिलती है। इसलिए, बोनसाई की मिट्टी का खास ध्यान रखना होता है।

ठाकुर कहते हैं कि, हम एक सीमित जगह, और सीमित मिट्टी में, बोनसाई लगाते हैं। बड़े पेड़ों की तरह इसकी जड़ें फैलती नहीं हैं, इसलिए इन्हें पोषण की ज़्यादा आवश्यकता होती है। यह पोषण हम इन्हें मिट्टी के ज़रिए ही दे सकते हैं।

Bonsai Plants
One of His Bonsai plants

कैसे बनाएं बोनसाई के लिए पॉटिंग मिक्स:

ठाकुर बताते हैं कि, “बोनसाई के लिए पॉटिंग मिक्स तैयार करते समय काफी बातों का ध्यान रखना होता है। यह हल्का हो, और साथ ही, पोषण से भी भरपूर हो। इसके लिए आप, नर्सरी की मिट्टी 15%, गोबर की खाद 10%, नीम की खाद 3%, चॉक 4-5%, रेत 10%, मोटा बदरपुर 10%, ईंट के टुकड़े 5%, कच्चे कोयले के टुकड़े 5%, राख 2%, कोकोपीट 10%, बोनमील 10%, सूखे पत्ते 15 % मिलाइए। इसमें आप अलग से, सड़ी-गली लकड़ियों के कुछ टुकड़े भी मिला सकते हैं।”

इन सभी सामाग्रियों को अच्छी तरह से मिलाइये। इसके बाद, आपको तीन तरह की छननी लेनी है। पहली, जिसमें बड़े छेद हों, दूसरी छननी के छेद पहले वाली से छोटे होने चाहिए, और तीसरी के इन दोनों से छोटे। वह आगे कहते हैं, “सबसे पहली वाली छननी से, आप पॉटिंग मिक्स को छानिये। छानने के बाद, जो मोटे पत्थर या लकड़ी के टुकड़े बच जाएं, उन्हें किसी प्लास्टिक के डिब्बे में अलग निकाल कर रख लें। यह पहले प्रकार की मिट्टी है।”

अब छानने के बाद जो पॉटिंग मिक्स बची है, उसे दूसरी छननी से छानें। इस छननी में जो मिट्टी बच गई है, उसे भी निकाल कर किसी दूसरे बर्तन में रख लें। यह दूसरे प्रकार की मिट्टी है।

अब दूसरी छननी से छानने के बाद जो मिट्टी मिलती है, उसे आपको तीसरी छननी से छानना है। तीसरी छननी से जो मिट्टी नहीं छनती है, वह तीसरे प्रकार की मिट्टी है। इससे छानने के बाद, जो पतली मिट्टी हमें मिलती है, वह चौथे प्रकार की मिट्टी है।

Making Soil Mix

इन सभी मिट्टियों को आप किसी पॉलिथीन में न रखें, बल्कि अलग-अलग बर्तनों या डिब्बों में इकट्ठा कर, धूप में सूखा लें।

ठाकुर कहते हैं, “बोनसाई के लिए हमें मोटी मिट्टी की ज़रुरत होती है। अगर हम इसकी मिट्टी को पॉलिथीन में रखते हैं तो, इसमें नमी हो जाएगी, और यह मिट्टी टूटने लगेगी, जो सही नहीं है। इसके अलावा, बोनसाई की मिट्टी में किसी भी तरह का केमिकल मिलाने से बचें, क्योंकि केमिकल के इस्तेमाल से बोनसाई की उम्र कम होती है।”

बोनसाई को गमले में लगाने से पहले आपको सबसे पहले, ‘मोटी मिट्टी’ मतलब पहले प्रकार की मिट्टी डालनी होती है। इसके बाद, दूसरे प्रकार की मिट्टी डालिए, और फिर तीसरे प्रकार की मिट्टी, और फिर इसे हाथ से दबाइये। गमले को पूरा भरना नहीं है।

अब इसमें बोनसाई को रखें। बोनसाई रखने के बाद, ऊपर से और मिट्टी डालें तथा किसी लकड़ी की मदद से दबाएं। अब बोनसाई को पानी से भरे टब या बाल्टी में रखें। तीन से चार घंटे तक पानी में रखने के बाद, बोनसाई को ऐसी जगह रखें, जहां छांव हो।

बोनसाई की देखभाल के कुछ अन्य टिप्स:

Bonsai

ठाकुर कहते हैं, “बहुत से लोग शौक से बोनसाई खरीदकर लाते हैं, लेकिन वह इनकी देखभाल नहीं कर पाते हैं। इसलिए उनके हज़ारों के पेड़, चंद महीनों में सूखने तथा मरने लगते हैं। बोनसाई की देखभाल, अन्य पौधों से कुछ अलग होती है, जिसका ध्यान रखना हमारी ज़िम्मेदारी है।”

* बोनसाई को पानी देना भी, एक कला का काम है। आप इसमें, दूसरे पेड़ों की तरह ज्यादा पानी नहीं डाल सकते हैं। ध्यान रखें कि, आप पानी इस तरह से दें कि, वह बिल्कुल भी गमले में न ठहरे। बोनसाई की जड़ें छोटी होती हैं, अगर पानी गमले में रुकने लगता है, तो जड़ें खराब होने लगतीं हैं।

*किसी भी तरह की केमिकल खाद देने से बचें। हमेशा जैविक खाद का ही बोनसाई में प्रयोग करें।

*एक बार में बहुत ज़्यादा खाद न दें। आप एक महीने में एक-एक हफ्ते के अंतराल पर, तीन से चार बार में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाद दें। इससे बोनसाई ज़्यादा स्वस्थ रहता है।

*बोनसाई बनाने के लिए तारों का उपयोग किया जाता है। इसलिए, आपको बीच-बीच में यह भी देखना है कि, कहीं कोई तार बोनसाई को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है। अगर आपको लगे कि, तार बोनसाई को काट रहा है, तो आप तार निकालकर, दोबारा से लगाएं।

*बीच-बीच में बोनसाई की कटाई-छंटाई और ‘रीपॉटिंग’ करते रहें।

* ‘रीपॉटिंग’ के बाद, लगभग एक महीने तक, आपको बोनसाई को किसी भी तरह की कोई खाद नहीं देनी है। इसके एक महीने बाद ही, आप बोनसाई को खाद दें। कोशिश करें कि, आप शाम को ही लिक्विड खाद दें। जड़ों के साथ-साथ, बोनसाई के पत्तों पर भी स्प्रे करें।

बोनसाई के बारे में लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए, मंगत सिंह ठाकुर ने, साल 2019 में अपने यूट्यूब चैनल, ‘बोनसाई फैक्ट्री’ की शुरुआत की। वह अपने यूट्यूब चैनल पर, बोनसाई से जुड़़ी जानकारियों की वीडियो बनाकर लोगों से साझा करते हैं। वह बताते हैं, “मुझे बहुत ज़्यादा तकनीक नहीं आती है, लेकिन बच्चों ने कहा तो, मैंने वीडियो बनाकर डाल दी। मेरे वीडियोज को बहुत से लोगों ने सराहा, और ज़्यादासे ज़्यादा जानकारी साझा करने के लिए कहा। तब से मैं लगातार, बोनसाई से जुड़़ी जानकारियां साझा करता रहता हूँ।”

ठाकुर को बहुत ख़ुशी मिलती है, जब लोग उनसे बोनसाई के बारे में पूछते हैं। वह कहते हैं कि, आप हज़ारों रुपए खर्च करके बोनसाई लेकर आएं, उससे बेहतर है कि, आप खुद यह कला सीखें। जब आप खुद बोनसाई बनाएंगे तो, आपको अलग ही ख़ुशी महसूस होगी। यह कला बच्चों से लेकर बड़ों तक, सबको सीखनी चाहिए।

अंत में, वह कहते हैं, “मैं अक्सर लोगों से यही कहता हूँ कि, बोनसाई ऐसी कला है, जो आपकी उम्र बढ़ा देती है। मैं 79 साल में, खुद को बस 60 साल का ही महसूस करता हूँ। यह एक अद्भुत कला तो है ही, और अगर कोई चाहे तो, इसे पैसे कमाने का ज़रिया भी बना सकता है। आप के दिल में बस इस कला को सीखने, और अमल करने की इच्छा होनी चाहिए।”

अगर आप मंगत सिंह ठाकुर से सम्पर्क करना चाहते हैं, तो उन्हें 9312406601 पर मैसेज कर सकते हैं।

संपादन – प्रीति महावर

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