राजस्थान के जयपुर की रहने वाली वंदना जैन पेशे से एक फैशन डिजाइनर हैं और साथ ही उनका औषधीय तेल बनाने का कारोबार भी है। 48 वर्षीय वंदना को बचपन से ही पेड़-पौधों से बेहद ही खास लगाव रहा है। शायद यही कारण है कि जिंदगी की तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वह अपने दिन की शुरूआत अपने घर में लगे सैकड़ों पेड़-पौधों के साथ करती हैं।
वंदना ने द बेटर इंडिया को बताया, “350 वर्ग गज के मेरे घर में हर तरफ पौधे लगे हैं। मेरे पिता जी और दादी माँ को बागवानी का काफी शौक था और उन्होंने हमें अपनी जिंदगी में पेड़-पौधों के महत्व की सीख दी। मैं बचपन से ही बागवानी कर रही हूँ।“
आज वंदना अपने घर में 700 से अधिक फलदार, सजावटी पौधों के साथ-साथ कई सब्जियों की बागवानी करती हैं।
इसे लेकर वह कहती हैं, “मेरे पास पीपल, बरगद, अनार, संतरा, आदि के बोनसाई पेड़ हैं। वहीं फूलों में एडिनियम, गुलाब, गेंदा आदि हैं। मैं लौकी, पालक, बैंगन, आदि जैसी कई सब्जियों को भी घर पर ही उगाती हूँ, जिससे मुझे बाजार से इन सब्जियों को खरीदने की जरूरत नहीं होती है।“
वंदना ग्राफ्टिंग (कलम काटना) के जरिए अपने घर में ही एक पौधे से कई पौधे बनाती हैं। खास बात यह है कि उनके घर में 45 साल का एक बोनसाई पेड़ भी है।
इसके बारे में वह बताती हैं, “मैंने ग्राफ्टिंग तकनीक अपने पिताजी से सीखी और बचपन से ही मेरी उनसे बोनसाई पेड़ों को बनाने को लेकर एक होड़ लगी रहती थी। जब मेरी शादी हो रही थी, तो उन्होंने मुझे एक बोनसाई बरगद उपहार के रूप में दिया। आज यह पेड़ 45 साल का हो गया है।“
वंदना बताती हैं, “जब मेरे पिताजी की हालत बेहद नाजुक थी, मैं उस वक्त आस्ट्रेलिया में थी। मैं उनसे मिल न सकी, लेकिन उन्होंने मुझसे फोन पर एक ही बात कही कि मैंने तुम्हें जो चीज दी है, मैं हमेशा उसी में रहूँगा… इसलिए बरगद का यह पेड़ मेरे लिए पिता समान है, यह हमेशा मेरे साथ रहेगा।“
कैसे करती हैं बागवानी
वंदना बताती हैं, “मैं अपने पौधों को पुणे या बेंगलुरू से मँगवाती हूँ, लेकिन जहाँ मैं रहती हूँ, वह बहुत सूखा क्षेत्र है। इसलिए मुझे पौधों की देखभाल के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है। जैसे ही बरसात आती है, मैं अपने बोनसाई पेड़ों को बेहद सावधानी से मिट्टी से अलग कर देती हूँ। अलग करने के बाद अन्य जड़ों को बचाते हुए, मैं इसके मुख्य जड़ को थोड़ा काट देती हूँ। क्योंकि, उम्र बढ़ने के साथ मुख्य जड़ों का ज्यादा काम नहीं रह जाता है।“

वंदना कहती हैं, “मैं बोनसाई पौधों के लिए मिट्टी का निर्माण – बालू, मिट्टी, वर्मी कम्पोस्ट या किचन वेस्ट को समान अनुपात में मिलाकर करती हूँ। साथ ही, जड़ों के जल्द विकास के लिए इसमें एक चम्मच बोनामील (जानवरों की हड्डियों का पाउडर) डाल देती हूँ।“
वहीं, वंदना गमले में पौधा लगाने से पहले इसमें ईंट के छोटे-छोटे टुकड़े डाल देती हैं, इससे गमले के अतिरिक्त पानी को सोखने में मदद मिलती है।
सब्जियों व फलों की बागवानी कैसे करती हैं वंदना
वंदना के अनुसार, “बाजार में उपलब्ध रसायनयुक्त सब्जियों के सेवन से स्वास्थ्य को काफी नुकसान होता है। इसलिए घर में कुछ सब्जियों और फलों को उगाना जरूरी है।“
वह बताती हैं, “सब्जियों की बागवानी के लिए किचन वेस्ट और वर्मी कम्पोस्ट ही पर्याप्त है। लेकिन, सब्जी वाले पौधे को धूप की अधिक जरूरत होती है, इसलिए मैं कोशिश करती हूँ कि इन्हें हर दिन 7-8 घंटे की पर्याप्त धूप मिले।“
वंदना हर हफ्ते 25 लीटर पानी में 8-10 चम्मच नीम के तेल को मिलाकर अपने हर पौधे पर स्प्रे करती हैं, ताकि पौधों को कीड़ों से बचाया जा सके।
- पहली बार बागवानी कर रहे लोगों को सब्जियों से शुरूआत करनी चाहिए। इससे आपका बागवानी से लगाव बढ़ेगा।
- बीजों को सीधे गमले में न बोएं, इसके बजाय जूट के बोरे पर मिट्टी और खाद डालकर पहले पौधा तैयार करें, जब यह 2-3 इंच का हो जाए, तो इसे गमले में लगाएं।
- कीटों से बचाने के लिए नीम तेल का स्प्रे करें।
- सितंबर से मार्च के दौरान, बागवानी शुरू करें। क्योंकि इस दौरान पौधा जल्दी विकसित होता है।
- घर पर बोनसाई पेड़ों को तैयार करने का विचार है, तो पेड़ों को लगाने के 3-4 वर्षों के बाद ही पेड़ों की ग्राफ्टिंग करें।
- हर दूसरे दिन, मिट्टी की नमी को देखते हुए सिंचाई करें।
शुरू करें बागवानी

वंदना सभी लोगों से बागवानी शुरू करने की अपील करतीं हैं। वह कहती हैं कि शहरी क्षेत्र में अधिकांश लोग तनाव में रहते हैं और तनाव कम करने का सबसे सरल उपाय बागवानी है, क्योंकि बागवानी करते हुए सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!
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