अक्सर जब हम काम करते-करते थक जाते हैं, तो बोझ कम करने के लिए मनोरंजन का सहारा लेते हैं। कोई फिल्में देखता है, तो कोई गानें सुनता है। वहीं, कई लोग कहीं बाहर घूमने निकल जाते हैं, लेकिन नोएडा के 24 वर्षीय यति गौर की कहानी कुछ अलग है। दरअसल, इस युवा को चलना पसंद है। वह कहते हैं कि अगर कभी भी उन्हें लगता है कि चीजें सही नहीं हो रही हैं या फिर मन बैचेन है, तो वह ईयर फोन लगाते हैं और गाने सुनते हुए छह-सात किलोमीटर टहल आते हैं।
उनकी यह आदत हमेशा से है। लेकिन साल 2020 से पहले तक उन्हें यह नहीं पता था कि यह आदत उनका पैशन बन सकती है। जी हां, आज देश-दुनिया में यति गौर को जाना जा रहा है और इसकी वजह है उनका पैदल चलना। यति पहले सिर्फ अपने घर के आस-पास की जगहों पर टहलते थे। लेकिन अब वह पैदल चलकर लंबी यात्राएं करते हैं। जैसे कोई बाइक से लद्दाख जाता है, तो कोई कार से कश्मीर और कन्याकुमारी घूम आता है। ठीक वैसे ही यति पैदल चलकर अलग-अलग जगहों की यात्रा करते हैं।
40 दिनों में 520 किमी की यात्रा
सितंबर 2020 से लेकर अब तक वह उत्तराखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश पैदल घूम चुके हैं। वह ट्रेन, बस या फ्लाइट तब तक नहीं लेते, जब तक उन्हें किसी दूसरे राज्य न जाना हो। जैसे, अपनी पहली ट्रिप के लिए वह दिल्ली से उत्तराखंड फ्लाइट से गए। लेकिन फिर उत्तराखंड में ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ और तुंगनाथ जैसे इलाकों को उन्होंने पैदल चलते हुए कवर किया। उत्तराखंड में उन्होंने पैदल चलते हुए 40 दिनों में 520 किमी की यात्रा की।
इस यात्रा के बाद उन्होंने ठान लिया कि वह भारत को पैदल चलते हुए ही देखेंगे। इसलिए वह एक-एक राज्य की यात्रा कर रहे हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने अपने इस सफर के बारे में बताया।
ट्रैवल इंडस्ट्री से लगा, घूमने का चस्का
सिनेमा विषय में ग्रेजुएशन करने वाले यति ने बताया कि पढ़ाई के बाद वह ट्रेवल इंडस्ट्री से जुड़ गए। एक अच्छी कंपनी के साथ उन्होंने लगभग तीन साल तक काम किया। अपने काम में वह अलग-अलग जगह घूमने वाले लोगों के लिए रहने, घूमने-फिरने और खाने-पीने का इंतजाम करते थे। कई बार उन्हें खुद भी अलग-अलग जगहों पर जाना होता था। अनजान जगहों पर, अनजान लोगों से मिलते हुए उन्हें मजा आने लगा। वह कहते हैं कि उन्हें नए-नए लोगों से मिलना, दोस्त बनाना अच्छा लगता था।
लेकिन साल 2020 में, कोरोना महामारी के कारण ट्रेवल इंडस्ट्री पर जो प्रभाव पड़ा है, वह किसी से नहीं छिपा। यति को भी जॉब छोड़नी पड़ी और उन्होंने तय किया कि अब वह कुछ अलग करेंगे। सबसे पहले उन्होंने खुद घूमने-फिरने का फैसला किया। इसलिए जैसे ही स्थिति सामान्य हुई, उन्होंने ट्रिप प्लान करना शुरू किया। उन्होंने बताया, “मैं देखता था कि बाइक, कार आदि से तो सब ट्रैवल कर रहे हैं, तो मैं क्या अलग करूं? तब मुझे लगा कि क्यों न पैदल चला जाए। वैसे भी बचपन से ही मुझे पैदल चलना बहुत पसंद है।”
सितंबर 2020 में उन्होंने पैदल चलते हुए उत्तराखंड की यात्रा की। यति का कहना है, “पैदल चलने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप उन रास्तों पर भी जा पाते हैं, जहां कोई गाड़ी नहीं पहुंच सकती है। इन रास्तों पर चलते हुए आप अक्सर बहुत सी खूबसूरत जगहों को ढूंढ लेते हैं।”
सीमित बजट और 2700+ किमी
इन यात्राओं के दौरान, कई बार यति के साथ ऐसा हुआ है कि चलते-चलते वह किसी ऐसे गांव या कस्बे में पहुंच गए, जिसके बारे में गूगल मैप पर भी जानकारी नहीं है। वह कहते हैं, “मुझे कहीं पहुंचने की कोई जल्दी नहीं है। मुझे इस बात की भी कोई चिंता नहीं है कि मैं आज रात कहां सोऊंगा। मुझे बस अपने सफर को यादगार बनाना है।”
सबसे दिलचस्प बात यह है कि यति की सभी यात्राएं काफी किफायती होती हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पहली ट्रिप लगभग दो-ढाई महीने की थी। जिसके लिए उन्होंने लगभग 10 से 15 हजार रुपए खर्च किए। इसमें उनकी फ्लाइट टिकट, कुछ साधन, जैसे- स्लीपिंग बैग, टेंट और खाना-पीना शामिल था। लेकिन इसके बाद उनकी अन्य दो ट्रिप पर इससे कम खर्च हुआ है।
कम बजट के साथ, उनका ध्यान इस बात पर भी होता है कि यात्रा के दौरान वह कोई प्रदूषण न फैलाएं। इसलिए उनकी कोशिश अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम से कम रखने की होती है।
यति का दिन आमतौर पर सूर्योदय से शुरू होता है। कहीं नाश्ता करने के बाद, वह प्रतिदिन औसतन 20 किमी पैदल चलते हैं। इस दौरान, यति अपने साथ कुछ जरूरी सामान से भरा 18 किलो का बैग रखते हैं। जिसके अंदर कुछ कपड़े, एक कैमरा, एक स्लीपिंग बैग, टेंट, पानी, गुड़, आदि होता है। वह कहते हैं कि वह अपना ‘पोर्टेबल घर’ साथ लेकर चलते हैं और जैसे ही शाम होने लगती है, तो वह रात गुजारने का ठिकाना ढूंढने लेते हैं।
होटल या कैफे में नहीं खाते खाना
वह कहते हैं, “मैं पैदल ही घूमता-फिरता हूं, तो ट्रांसपोर्ट का कोई खर्च नहीं आता है। खाने के लिए भी मैं कभी किसी फैंसी होटल या कैफ़े में नहीं जाता। बल्कि ज्यादातर स्थानीय ढाबों पर ही खाना खाता हूं। इससे आपको उस इलाके के खान-पान की संस्कृति का भी पता चलता है। रही बात रुकने और सोने की, तो बहुत कम ऐसा होता है, जब मुझे कभी कोई कमरा लेना पड़ा हो। मैं अपना टेंट लगा लेता हूं और स्लीपिंग बैग में सोता हूं, यही मेरा ‘पोर्टेबल घर’ है।”
यति कहते हैं, “हमारा देश जितना खूबसूरत है, उतने ही खूबसूरत यहां के लोग भी हैं।” कितनी ही बार उन्हें अनजान लोगों ने अपने घर में खाना खिलाया है। कई बार वह किसी गांव में रुके, तो गांववालों ने अपने घर में सोने की जगह दी है। वह कहते हैं कि लोगों की इंसानियत के सामने, उन्हें अपने सफर की थकान भी कम लगने लगती है। उत्तराखंड की यात्रा के बाद, उन्होंने जनवरी 2021 में राजस्थान के 10 जिलों की पैदल यात्रा की। वह नोएडा से जयपुर पहुंचे और वहां से अपनी पैदल यात्रा शुरू की।
राजस्थान में उन्होंने जयपुर, अजमेर, जोधपुर, जैसलमेर, माउंट आबू, बाड़मेर, चित्तौड़, पुष्कर और भीलवाड़ा की यात्रा की। इस दौरान, उन्होंने लगभग 800 किमी का सफर तय किया। राजस्थान की यात्रा के कुछ दिन बाद, उन्होंने हिमाचल प्रदेश की यात्रा की। उन्होंने बताया कि अब तक वह 2700 किमी से ज्यादा पैदल चल चुके हैं।
फ्रीलांसिंग है कमाई का जरिया
अब बात आती है कि यति आजीविका के लिए क्या काम करते हैं? उन्होंने कहा कि पहली ट्रिप के लिए वह अपनी बचत पर ही निर्भर थे। लेकिन इसके बाद, उन्होंने अलग-अलग कंपनियों के साथ फ्रीलांसिंग करना शुरू किया। वह लोगों को ट्रेवल से जुड़े विषयों पर ऑनलाइन क्लास और वर्कशॉप देते हैं।
उन्होंने कहा, “इससे इतनी कमाई हो जाती है कि मैं आसानी से अपनी यात्रा कर सकता हूं। लेकिन मेरे लिए यह इसलिए भी आसान हो जाता है, क्योंकि मेरे परिवार का इसमें पूरा सहयोग है। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मेरे माता-पिता मेरे सपनों को समझते हैं। वे मेरे हर फैसले में मेरा साथ देते हैं। मुझे पता है कि इस राह में अगर कभी कोई मुश्किल आई, तो मेरा परिवार मेरे साथ खड़ा होगा।”
YouTube चैनल भी चलाते हैं यति
फ्रीलांस क्लास के साथ-साथ यति ने अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है। इस चैनल पर वह अपनी यात्राओं के बारे में वीडियोज पोस्ट करते हैं। वह कहते हैं कि उनकी वीडियोज देखकर बहुत से लोगों ने उनसे संपर्क किया है। ये लोग उनके साथ पैदल यात्रा करना चाहते हैं। लेकिन यति का कहना है कि अभी वह इस स्टेज पर नहीं हैं कि अपने साथ किसी और को भी ले जा सकें। लेकिन अगर कोई बजट ट्रेवल, कैंपिंग आदि से जुड़ी जानकारी चाहता है, तो वह उनके लिए वर्कशॉप कर सकते हैं।
अंत में यति बस यही कहते हैं कि अपनी अगली यात्रा के लिए वह उत्तर-पूर्वी राज्यों में जाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।
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संपादन- जी एन झा
तस्वीर साभार: यति गौर
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