आंजनेय सैनी ने 13 साल पहले गाड़ी चलाना सीखा था। आम दिल्लीवासियों की तरह, उन्हें भी घूमने का शौक़ है। जब भी उन्हें मौका मिलता है, वह हिमाचल, लद्दाख जैसी खूबसरत जगहों के सफर पर निकल पड़ते हैं। उनकी लेटेस्ट यात्रा थी, हिमालय की ऊंचाई पर बसा ठंडा रेगिस्तान यानी स्पीति वैली, जो उन्हें काफी पसंद आई। आंजनेय ने यह सफर, टाटा नेक्सॉन इलेक्ट्रिक एसयूवी से तय किया। इस गाड़ी से उन्होंने कुल 1,900 किलोमीटर की दूरी तय की।
आंजनेय, 13 जून को दोस्तों के साथ लद्दाख के रोमांचक सफर पर निकले थे। ड्राइव करते हुए सोनीपत, करनाल और चंडीगढ़ के रास्ते से होते हुए, वह शिमला पहुंचे। उनका लक्ष्य हिक्किम में दुनिया के सबसे ऊंचे डाकघर और उसके बाद काजा के पेट्रोल पंप पर पहुंचना था।
स्पीति अपनी खूबसूरती के साथ-साथ रफ मौसम के लिए जाना जाता है। इसे ऊंचाई पर बसा ठंडा रेगिस्तान भी कहते हैं। ठंडी बर्फीली हवाओं के बीच के उबड़-खाबड़ रास्ते इतने संकरे हैं कि कब, कहां, कौन सी दुर्घटना हो जाए, कह नहीं सकते।
एक यात्रा, सिखा जाती है बहुत कुछ

बदहाल सड़के और बिना किसी चार्जिंग प्वाइंट के, इतने खतरनाक सफर पर इलेक्ट्रिक कार से जाना, सच में एक साहसिक कदम था। लेकिन इसमें जोखिम भी बहुत ज्यादा था। सैनी, रास्ते में आने वाली बाधाओं से निपटने और सफर को पूरा करने का मन बना चुके थे।
घर से निकलने से पहले, वह इस सबके लिए मानसिक रूप से तैयार थे। कहां रुकना है, कहां गाड़ी चार्ज करनी है, इसकी पूरी प्लानिंग थी और इसी प्लानिंग के आधार पर मामूली बाधाओं के साथ, उन्होंने शानदार ढंग से अपने इस सफर को पूरा किया।
सैनी ने द बेटर इंडिया को बताया, “यह मेरी अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण और रोमांचक यात्रा रही। अपने सफर के पांच दिनों में, मैंने बहुत कुछ सीखा और उसी के साथ आगे बढ़ने की योजना बनाता रहा। इलेक्ट्रिक यूनिट से लेकर, गाड़ी कितनी दूरी तय कर पाएगी? इसे लेकर तो बेचैनी थी ही, साथ में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग और लोगों की इलेक्ट्रिक कार देखने की ललक, यह सब कुछ मेरे लिए बिल्कुल नया था। इसने मेरी रोडट्रिप डिक्शनरी में नए आयाम और अनुभव जोड़ दिए।”
सफर पर निकलने से पहले की तैयारी
टाटा नेक्सॉन, सिंगल चार्जिंग पर 312 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है और बैटरी को पूरी तरह चार्ज होने के लिए लगभग 8 घंटे का समय चाहिए। सैनी को पता था कि उन्हें थोड़े धैर्य और प्लानिंग के साथ चलना होगा। वह अपनी सीमाएं जानते थे और इसके लिए अपने आपको मानसिक रूप से तैयार करके ही वह सफर पर निकले थे।
इलेक्ट्रिक कार ने उन्हें ड्राइविंग की बहुत सी बारीकियां सिखा दीं। सैनी बताते हैं, “अगर आस-पास के एरिया में कोई चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, तो ड्राइवर के लिए जरूरी है कि वह गाड़ी धीमी गति से चलाए। अगर आप 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं, तो नेक्सॉन से सिंगल बैटरी चार्ज में 200 किलोमीटर का सफर तय कर पाएंगें।”
उन्होंने बताया, “गाड़ी की गति को नियंत्रण में रखकर, मैं इसी बैटरी से 320 किलोमीटर की दूरी तय कर पाया था। पहाड़ियों के रास्ते पर, यह औसत 180 किलोमीटर था। अब इतनी कम स्पीड में बहुत सारी गाड़ियां आपको ओवरटेक करके आगे निकलती रहेंगी, लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है।”
बैटरी कम खर्च हो, इसके लिए स्पीड को रखा कम

इलेक्ट्रिक गाड़ी की बैटरी तेजी से ड्रेन आऊट न हो, इसका सबसे अच्छा तरीका है गाड़ी की स्पीड को कम रखना और अचानक से ब्रेक लगाने से बचना। सैनी का ध्यान मुख्य रुप से एनर्जी रिजेनेरेशन के ज़रिए बैटरी ऑप्टीमाइजेशन पर था।
वह कहते हैं, “मैंने रिजनरेटिव ब्रेकिंग के लिए ऐसे रास्तों को तलाशा, जहां चढ़ाई कम से कम हो। इससे कम बैटरी में, हम ज्यादा दूरी तय कर पाए। ऊंचाई वाली जगहों पर पेट्रोल की गाड़ी की पावर कम हो जाती है, लेकिन ईवी के साथ ऐसी कोई दिक्कत नहीं है।“
इसके बाद उन्होंने होटल्स में फ़ोन करके चार्जिंग की सुविधा की जानकारी ली। ताकि बाद में किसी तरह की कोई दिक्कत न आए। चार्जिंग के लिए उन्होंने अपने साथ, अर्थिंग किट और 15-एम्पियर का चार्जर रखा था। ऐप की मदद से उन्हें तीन डीसी (डायरेक्ट करंट) चार्जिंग स्टेशन- स्टेटिक, टाटाईजेड और फोर्टियम के बारे में पता चला। ये तीनों ही स्टेशन उनके रास्ते में ही थे।
यह जानते हुए कि ढाबे और रेस्टोरेंट में एसी (अल्टरनेट करंट) की चार्जिंग धीमी होती है, उन्होंने रुकने की प्लानिंग कुछ इस तरह की, जिससे उन्हें और उनके दोस्तों को खाने, सोने या आराम करने का समय मिल जाए और गाड़ी की बैटरी भी चार्ज हो जाए।
मीलों लंबा था यह सफर
सैनी और उनके दोस्त इस लंबे सफर पर दो गाड़ियों के साथ निकले थे। जिनमें से एक इलेक्ट्रिक थी और दूसरी पेट्रोल पर चलने वाली। क्योंकि उन्हें इस रास्ते की वीडियो शूट करनी थी और वैसे भी ब्लॉगिंग के लिए काफी सामान हो जाता है।
ऐसे में एक गाड़ी से जाना संभव नहीं था। इसलिए वे तीनों अपनी दो गाड़ियों के साथ सुबह पांच बजे दिल्ली से निकले। उनकी गाड़ी पूरी तरह चार्ज थी और दिल्ली से शिमला तक की 12 घंटे की यात्रा आराम से हो गई।
अब तक का सफर आसान था। लेकिन असली ड्राइविंग टेस्ट तो घाटी में जाने के बाद ही शुरू हुआ। घाटी की पहाड़ियों पर खड़ी चढ़ाई थी और इसके लिए सैनी ने पहाड़ों पर गाड़ी चलाने के सभी नियमों का पालन किया।
वह कहते हैं, “चढ़ाई वाली सड़क पर एक किमी की दूरी के लिए एक प्रतिशत बैटरी खर्च हो जाती है, जबकि नीचे की तरफ ढलान वाले रास्ते में इतनी बैटरी में चार किलोमीटर की दूरी तय कर ली जाती है। काईनेटिक एनर्जी के चलते स्टॉप-पैडल-एक्सेलरेटर मेरा मोटो बन गया था।“
प्लानिंग के साथ, बैटरी चार्ज कर बढ़ते रहे आगे

चंडीगढ़ से शिमला पहुंचने तक उनकी गाड़ी में सिर्फ 20 प्रतिशत बैटरी बची थी। शिमला में उन्होंने छह घंटे का स्टॉपेज लिया और गाड़ी को चार्ज किया। अब गाड़ी की बैटरी 60 प्रतिशत थी। इसका मतलब था कि वे 126 किलोमीटर की दूरी तय करके आसानी से रामपुर पहुंच जांएगें।
सैनी ने बताया, “40 प्रतिशत रास्ता ढलान वाला था, इससे हम 30 प्रतिशत बैटरी रिजेनरेट कर पाए। जब रामपुर पहुंचे, तो हमारे पास अभी भी 40 प्रतिशत बैटरी बची हुई थी। हम दो घंटे के लिए सड़क के किनारे बने ढाबे पर रुके और गाड़ी को 20 प्रतिशत चार्ज कर लिया। एक बार फिर से हमारी बैटरी 60 प्रतिशत चार्ज थी। रात को हमने छोटा सा ब्रेक लिया और गाड़ी को दो घंटे के लिए चार्जिंग पर लगाकर छोड़ दिया। इतनी देर में हमने डिनर किया और थोड़ा रेस्ट भी। रातभर गाड़ी चलाकर सुबह रिकॉंग पियो पहुंच गए। गाड़ी में अब सिर्फ 10 प्रतिशत बैटरी बची थी।”
किन्नौर की हरी-भरी वादियों में उन्होंने छह घंटे आराम किया और बैटरी को 80 प्रतिशत चार्ज करने के बाद, नाको के लिए निकल पड़े। यहां से नाको की दूरी लगभग 101 किलोमीटर थी। नाको में तापमान -2 डिग्री सेल्सियस था और सड़कें बर्फ से ढकी हुई थीं। लेकिन इसके बावजूद गाड़ी ने बिल्कुल परेशान नहीं किया। अब सिर्फ 13 प्रतिशत बैटरी बची थी।
नाको में दो घंटे का ब्रेक लेकर गाड़ी की 30 प्रतिशत बैटरी चार्ज कर ली और फिर चांगो के लिए निकल पड़े। चांगो यहां से 26 किलोमीटर दूर था। सड़कें ढलान वाली थीं, इसलिए अभी भी 20 प्रतिशत बैटरी बची थी। उनके सभी दोस्तों ने रात में एक होटल में रुकने का निर्णय किया और उन्होंने गाड़ी को फुल चार्ज कर लिया।
खराब मौसम में भी नहीं छोड़ा साथ
अगली सुबह उन्हें स्पीति वैली की राजधानी काजा जाना था। करीब 120 किलोमीटर चलने के बाद भी उनकी गाड़ी में 42 प्रतिशत बैटरी बची हुई थी। दोपहर करीब तीन बजे उन्होंने एक होटल में चेक इन किया और अगले दिन उनकी गाड़ी, विश्व के सबसे ऊंचे पेट्रोल पंप और पोस्ट ऑफिस पर पहुंच चुकी थी।
सैनी कहते हैं, “अब हम काफी ऊंचाई पर थे, यहां ऑक्सीजन कम था। मौसम बद से बदतर होता जा रहा था। बर्फबारी भी हो रही थी। लेकिन मुझे गाड़ी की बैटरी और बचे हुए रास्ते को लेकर बिल्कुल भी चिंता नहीं थी, मैं निश्चिंत था। क्योंकि मैंने 18 प्रतिशत बैटरी में 68 किलोमीटर सफर तय कर लिया था।”
उन्होंने बताया, “लौटते समय हमारा अगला चार्जिंग स्टॉप रामपुर में था। कार को 70प्रतिशत चार्ज करने के बाद, हम शिमला के लिए निकल पड़े। यहां से शिमला 110 किलोमीटर दूर था। शिमला से चंडीगढ़ तक पंहुचने का रास्ता ढलान वाला है। यहां मेरी गाड़ी बेहतर परफॉर्मेंस दे रही थी। हम चंडीगढ़ से करनाल पहुंचे और एक घंटे का ब्रेक लिया। साथ ही कार की बैटरी भी चार्ज कर ली, यह अब 40 प्रतिशत चार्ज थी। घर पहुंचने के बाद भी 20 प्रतिशत बैटरी बची हुई थी। जबकि आखिर में मैंने एस (स्पोर्ट्स) मोड पर गाड़ी ड्राइव की थी।”
सफर से जुड़ी कुछ रोचक बातें

हम इस सफर में दो गाड़ी लेकर गए थे। मेरे पास इलेक्ट्रिक कार और दोस्तों के पास पेट्रोल वाली गाड़ी थी। 1900 किमी की दूरी के लिए दोस्तों ने जहां पेट्रोल पर लगभग 18 हजार रुपये खर्च किए, वहां मेरी गाड़ी का खर्च आया सिर्फ दो हजार रुपये। सैनी ने जिस भी होटल और रेस्टोरेंट में अपनी गाड़ी चार्ज की थी, उन्होंने उसका प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान किया था।
सैनी कहते हैं, “गाड़ी का खर्च एक रुपए प्रति किलोमीटर आया। कुल मिला कर यह ट्रिप काफी किफायती रही। इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण था कि यह पर्यावरण के अनुकूल रही।” इस सफर की सबसे अच्छी यादो में उनकी इस कार को देखने के लिए लोगों की जिज्ञासा रही। वह जहां भी जाते, लोग उनका स्वागत करते। यहां तक कि पुलिसवालों ने भी उन्हें पूरा सम्मान दिया।
EV के प्रति लोगों ने दिखाई दिलचस्पी
सैनी कहते हैं, “रेस्टोरेंट के मालिक, स्थानीय लोग, पर्यटक या फिर पुलिस- सभी यह जानना चाहते थे कि बिना चार्जिंग स्टेशन के दिल्ली से स्पीति तक की इस यात्रा को हम कैसे पूरा कर रहे हैं। जब हम ढाबे पर अपनी गाड़ी चार्ज करते थे, तो वे बड़ा खु़श होते थे। यहां तक कि होटल वालों ने भी पूरा सहयोग किया। इससे पता चलता है कि ईवी को लेकर लोगों में कितनी दिलचस्पी है।”
आखिर में, आंजनेय ने बड़ी ही खुशी से अपनी अगली ट्रिप के बारे में भा बात की। अभी कुछ दिन पहले ही वह नेक्सॉन से दिल्ली से गोवा तक की रोड ट्रिप करके आए हैं। उन्होंने लगभग चार राज्यों को पार किया और उनका यह सफर भी काफी रोमांचक रहा। अगर आप उनके गोवा के सफर को जानना चाहते हैं उन्हें यहां फॉलो करें।
मूल लेखः- गोपी करेलिया
संपादनः अर्चना दुबे
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