माहवारी के कारण लड़कियां छोड़ देती हैं स्कूल, Whisper का अभियान कर रहा बदलाव लाने की कोशिश

Whisper's campaign is changing lives of Girls drop out of school due to menstruation

अक्सर माहवारी/पीरियड्स से जुड़े मिथक और शर्म युवा महिलाओं को सही जानकारी से दूर करके, गलत सूचनाओं के जाल में खींच लेते हैं।

यह लेख व्हिस्पर (Whisper) द्वारा प्रायोजित किया गया है।

भारत में महिलाओं को माहवारी होना, एक तरह के शर्म और भेदभाव से जुड़ा हुआ है। माहवारी या पीरियड को लेकर लोगों में आज भी जानकारी की कमी है। देशभर में कई इलाके ऐसे हैं, जहां माहवारी के दौरान लड़कियों को बाकी लोगों से अलग रखा जाता है। उन्हें रसोई तक में घुसने की इजाज़त नहीं होती। कई जगह माहवारी शुरु होने का मतलब है लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी, तो कई जगहों पर उनकी जबरदस्ती शादी कर दी जाती है।

माहवारी से जुड़े मिथक और जानकारी की कमी के कारण, सदियों से लाखों महिलाएं प्रभावित होती आ रही हैं। यही कारण है कि देश में 35.5 करोड़ महिलाओं को माहवारी होती है, लेकिन उनमें से केवल 36 प्रतिशत ही मासिक धर्म स्वच्छता यानी मेंस्ट्रुअल हाईजिन के लिए आवश्यक सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं।

मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन यानी मेंस्ट्रुअल हाईजिन मैनेजमेंट (MHM) की कमी का मुख्य कारण, शिक्षा की कमी है। मेंस्ट्रुअल हाईजिन मैनेजमेंट की कमी उन प्रमुख कारणों में से एक है, जिस वजह से भारत के कई हिस्सों में महिलाएं अभी भी हानिकारक मासिक धर्म प्रथाओं का सहारा लेती हैं। कई महिलाएं आज भी अपने मासिक धर्म के दौरान गंदे कपड़े, राख, मिट्टी और पत्ते का इस्तेमाल करती हैं।

शायद यही कारण है कि महीने के इस समय पर, ज्यादातर लड़कियों को स्कूल से छुट्टी कराकर, घर में बैठा दिया जाता है। 

Whisper ने की #KeepGirlsInSchool अभियान की शुरुआत

इस समस्या को देखते हुए, एक प्रमुख मेंस्ट्रुअल हाईजिन ब्रांड, व्हिस्पर ने #KeepGirlsInSchool अभियान शुरू किया है। इस अभियान के जरिए व्हिस्पर, लगातार माहवारी से जुड़े मिथकों को दूर करने और जागरुकता फैलाने की कोशिश कर रहा है, ताकि लड़कियां स्कूल न छोड़ें। 

1 in 5 Girls Drop Out After Their Period; How One Program is Keeping Them in Schools
यह पेंटिंग, युवा लड़कियों के लिए मेंस्ट्रुअल हेल्थ हाईजिन की बारीकियों को समझने में मदद करेगी

इंडियन सब-कॉन्टिनेंट, प्रॉक्टर एंड गैम्बल में व्हिस्पर® के सीनियर डायरेक्टर एवं कैटेगरी लीडर, अखिल मेश्राम कहते हैं, ”पिछले दो वर्षों में इस अभियान के ज़रिए हमने देखा है कि पीरियड शुरु होने के बाद, 5 में से 1 लड़की स्कूल छोड़ देती है। Whisper® का मानना ​​है कि जागरूकता और स्वच्छता प्रथाओं को अपनाने से 100% मेंस्ट्रुअल हाईजिन प्राप्त की जा सकती है।

लेकिन इस रास्ते में सबसे बड़ी चुनौती स्कूल के सिलेबस में मेंस्ट्रुअल हाईजिन और पीरियड शिक्षा से जुड़े किसी पाठ का शामिल न होना था। स्कूल के सिलेबस में इससे जुड़ी जानकारियों को शामिल करने से लड़कियों को न केवल सही सूचनाएं मिलेंगी, बल्कि इसे ‘टैबू’ समझनेवाली मानसिकता से भी वे बाहर आएंगी। इस तरह पीरियड के दौरान भी लड़कियों को घर बिठाने की बजाय, उन्हें आगे बढ़ते रहने में मदद करना हमारा मिशन बन गया।”

टीवी पर सैनिटरी नैपकिन का विज्ञापन दिखाने वाला पहला ब्रांड Whisper

पिछले कुछ सालों में, माहवारी से जुड़ी टैबू और मिथकों को खत्म करने के लिए व्हिस्पर के मिशन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। भारत में टेलीविजन पर सैनिटरी नैपकिन दिखाने वाला और विज्ञापन में ‘पीरियड्स’ शब्द का इस्तेमाल करने वाला यह पहला ब्रांड था। इस तरह के टैबू और स्टिरियोटाइप को तोड़ने के लिए व्हिस्पर ने एक लंबा सफर तय किया है।

चुनौतियों के बारे में बात करते हुए अखिल कहते हैं कि जब व्हिस्पर, प्राइम टाइम पर विज्ञापन देना चाहता था, तो टीवी चैनलों ने सोचा कि सैनिटरी पैड प्राइम-टाइम स्लॉट पर विज्ञापन देने के लिए एक सही प्रोडक्ट नहीं है।

वह कहते हैं, “हमें अधिकारियों से विशेष अनुमति मिली और 90 के दशक के शुरुआत में व्हिस्पर, भारतीय टीवी पर प्राइम टाइम पर विज्ञापन देने वाला पहला सैनिटरी पैड ब्रांड बन गया। साल 2014 में हमने व्यापक रुप से #TouchThePickle अभियान चलाया था। यह उन अभियानों में से एक था, जब भारत में किसी भी ब्रांड या संस्थान ने बड़े पैमाने पर पीरियड्स से जुड़े टैबू और मिथकों पर फोकस किया था। इस अभियान ने न केवल पीरियड्स टैबू पर बातचीत को बढ़ावा दिया, बल्कि इन मिथकों और परंपराओं को सबसे ज्यादा मानने वाली पुरानी पीढ़ी के बीच भी इस बातचीत को सहज बनाने और स्वीकार कराने की कोशिश की।”

मीडिया और विज्ञापन का इस्तेमाल कितना ज़रूरी?

अखिल ने बताया, “हमने #SitImproper और #MeriLifeMereRules जैसे अभियानों के माध्यम से ऐसा करना जारी रखा, जहां हम उपभोक्ताओं को पीरियड्स से जुड़े टैबू को तोड़ने और अपनी व्यक्तिगत कहानियां साझा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

हालांकि, पीरियड्स से जुड़ी सार्वजनिक धारणाओं को बदलने के लिए मीडिया और विज्ञापन का इस्तेमाल, एक बड़ा कदम है। वहीं व्हिस्पर (Whisper) ने जमीनी स्तर पर, एक बड़ी चुनौती को पहचाना (माहवारी से जुड़ा पाठ ना होना) जिस कारण मेंस्ट्रुअल हाईजिन के बारे में लोगों के पास कम जानकारियां थीं। इसकी अनुपस्थिति में  युवा लड़कियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और कई लड़कियों ने स्कूल जाना भी छोड़ा।

आज भी हम ऐसे समाज में रह रहे हैं, जहां अक्सर माहवारी से जुड़े मिथक और शर्म युवा महिलाओं को सही जानकारी से दूर करके, गलत सूचनाओं के जाल में खींच लेते हैं। इसी बात पर प्रकाश डालते हुए, यूनिसेफ के एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 71 प्रतिशत किशोर लड़कियां पीडियड्स के बारे में तब तक अनजान रहती हैं, जब तक कि उन्हें पहली बार पीरियड्स हो नहीं जाते। जब पहली बार उन्हें पीरियड्स होते हैं, तो कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं।

5.4 करोड़ से ज्यादा लड़कियों को किया शिक्षित

#KeepGirlsInSchool के अपने तीसरे एडिशन में, व्हिस्पर (Whisper) इस चेन को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। इस अभियान के जरिए पीरियड्स से जुड़ी जानकारियां और शिक्षा को बढ़ावा देकर 5 में से 1 स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों को रोकने की कोशिश की जा रही है।

यह देखते हुए कि स्कूल छोड़ना, अवसर छोड़ने के बराबर है, अपने ऑन-ग्राउंड जागरूकता और पीरियड शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से, यह उन 1 करोड़ लड़कियों की भी मदद करने की कोशिश कर रहा है, जिनकी माहवारी के दौरान पढ़ाई छूट गई थी। ये दोनों कार्यक्रम 1995 में शुरु हुए थे।

उसके बाद से, ब्रांड ने सकारात्मक प्रभाव पैदा करते हुए एक लंबा सफर तय किया है। अब तक, उन्होंने 5.4 करोड़ से ज्यादा लड़कियों को मेंस्ट्रुअल हाईजिन पर शिक्षित किया है और मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट मुफ्त में दिए हैं। साथ ही, इस वर्ष के अंत तक अतिरिक्त 71 लाख लड़कियों तक पहुंचने की उम्मीद भी है।

दीवारों पर पेंटिंग बना, कर रहे शिक्षित

अखिल कहते हैं, “हम समग्र दृष्टिकोण की शक्ति को समझते हैं। यही कारण है कि हम जो पाठ सिलेबस में शामिल नहीं हैं, उसके संदेश को सामने लाने के लिए क्षेत्रों में दीवारों पर प्रभावशाली पेंटिंग बना रहे हैं और इनके माध्यम से ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। ये पेंटिंग्स, युवा लड़कियों के लिए मेंस्ट्रुअल हेल्थ हाईजिन की बारीकियों को समझने में मदद करेगी।

उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, मार्च के महीने में, हम उपभोक्ताओं को अपने अभियान संदेश – “Buy 1 Pack and Help Keep 1 Girl in School”  के माध्यम से योगदान करने का मौका भी दे रहे थे। व्हिस्पर® पैक (Whisper Pack) की एक सीमित श्रृंखला थी, जिसका कवर, हमारे ब्रांड एंबेसडर भूमि पेडनेकर को दिखाया गया था। यह युवा लड़कियों को यह समझने में मदद करने के लिए दिया जा सकता है कि पीरियड्स क्या है और पैड का उपयोग कैसे किया जाता है?”

अपने फोन पर इंस्टाग्राम या फेसबुक पर जाएं और उनके मिशन में शामिल होने के लिए व्हिस्पर के AR फिल्टर का उपयोग करके अपनी कहानी अपलोड करें।

यह भी पढ़ेंः पाँच सितारा होटल की नौकरी छोड़ झारखंड में माहवारी के प्रति महिलाओं को सजग कर रहे है ‘मंगरु पैडमैन’

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X