देश में हर साल 3.65 करोड़ टन कचरा इकट्ठा होता है और इसमें से बहुत ही कम रीसायकल या अपसायकल होता है। इसमें प्लास्टिक, कपड़ा, कांच, मेटल आदि से लेकर जैविक कचरा तक शामिल है। ऐसे में, हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इस कचरे की मात्रा को कम से कम करने की कोशिश करें। इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरी है कि हम खुद अपने घरों से निकलने वाले कचरे पर ध्यान दें और जितना हो सके इसका उचित प्रबंधन करने की कोशिश करें।
दूसरा और बेहतरीन आईडिया है कि कमर्शियल लेवल पर काम किया जाए। मतलब कि कचरे से कमाल। कहते है कि दुनिया में जो किसी के लिए ‘वेस्ट’ है, वह किसी दूसरे के लिए ‘साधन’ हो सकता है। जैसे कि मध्य प्रदेश के मेहुल श्रॉफ कर रहे हैं। वह केले के पेड़ के तने (Agriculture Waste) को प्रोसेस करके इको फ्रेंडली रेशे बना रहे हैं। इसी तरह और भी बहुत सारा कचरा हमारे आसपास है, जिसका इस्तेमाल करके आप छोटे से लेकर बड़े स्तर तक का बिज़नेस शुरू कर सकते हैं।
बिज़नेस आइडियाज के लिए भी आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है। आप बस हमारा यह लेख अच्छे से पढ़ें क्योंकि इसके माध्यम से आज हम आपको बता रहे हैं पांच सस्टेनेबल बिज़नेस आइडियाज, जो न सिर्फ आपकी कमाई का जरिया बन सकते हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार हैं।
1. अपसायकल्ड फर्नीचर बिज़नेस
लकड़ी और प्लास्टिक का फर्नीचर बहुत ही कॉमन है। लेकिन पिछले कुछ समय से लोगों में ‘अपसायकल्ड फर्नीचर’ के प्रति रुझान बढ़ा है। ‘अपसायकल्ड फर्नीचर’ से मतलब है कि किसी भी तरह के वेस्ट को नया रूप देकर मेज, कुर्सी, स्टूल, अलमारी आदि तैयार करना। बहुत से लोग इस काम के लिए लकड़ी के पुराने खिड़की-दरवाजों या अन्य फर्नीचर को ही इस्तेमाल में लेते हैं। इससे उन्हें नयी लकड़ी नहीं खरीदनी पड़ती है और पुरानी लकड़ी को भी कचरे में जाने से बचा लिया जाता है।
कई लोग ‘इंडस्ट्रियल वेस्ट’ जैसे कार, स्कूटर, बाइक के बेकार पुर्जे या बेकार ड्रम और टायर आदि का इस्तेमाल करके खूबसूरत और आकर्षक फर्नीचर तैयार कर रहे हैं। पुणे में अपना ‘अपसायकल्ड फर्नीचर’ बिज़नेस चलाने वाले प्रदीप जाधव कहते हैं कि उन्होंने यूट्यूब के जरिए यह काम सीखा कि कैसे आप टायर या बैरल से नया फर्नीचर बना सकते हैं। पिछले तीन सालों में उनका बिज़नेस बहुत आगे बढ़ा है और वह अबतक 500 से ज्यादा ऑर्डर्स पूरे कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले आपको यह जानकारी इकट्ठा करनी चाहिए कि आप कहां से कम से कम दामों पर इस तरह का वेस्ट खरीद सकते हैं। इसके बाद, आपको पता होना चाहिए कि आप किस चीज से क्या प्रोडक्ट बनाएंगे और इसके लिए आपको किन साधनों की आवश्यकता होगी। इसके बाद आपको वर्कशॉप के लिए जगह का चुनाव करना होगा।
इस बिज़नेस में शुरूआती इंवेस्टमेंट आपको करनी होगी। लेकिन अगर आप धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे तो अच्छी कमाई कर सकते हैं।
2. अपसायकल्ड होम डेकॉर बिज़नेस
हर त्यौहार पर या ख़ास मौकों पर लोग अपने घर का लुक बदलते हैं। इसके लिए उन्हें हमेशा कुछ न कुछ हटके होम डेकॉर चाहिए होता है। इसलिए होम डेकॉर से संबंधित उत्पादों का बिज़नेस भी आप शुरू कर सकते हैं। यह बिल्कुल भी जरुरी नहीं कि आप एकदम नए रॉ मटीरियल से ये उत्पाद बनाएं। बल्कि आप अपने आसपास बहुत से कचरे को इस काम के लिए इस्तेमाल में ले सकते हैं। जैसे पुरानी कांच या प्लास्टिक की बोतलों के साथ एक्सपेरिमेंट करें, पुराने बर्तनों पर कलाकारी करके इन्हें कोई अलग रूप दें या फिर पुराने कपड़ों को आप इस्तेमाल कर सकते हैं।
जैसे वाराणसी की शिखा शाह पुराने प्लास्टिक के डिब्बों से प्लांटर तो कांच की बोतलों से हैंगिंग होम डेकॉर बनाती हैं। कुछ इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट जैसे कीबोर्ड आदि को भी वह कभी डायरी का कवर तो कभी पेन स्टैंड बनाने के लिए उपयोग में ले लेती हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में वह सिर्फ कांच की बोतल इकट्ठा करके इन पर पेंटिंग करती थीं। धीरे-धीरे लोगों को उनका काम अच्छा लगने लगा और उन्हें ऑर्डर मिलने लगे। अब तो वह लोगों के घरों में रखी पुरानी से पुरानी चीज से भी उनके लिए डेकॉर बना देती हैं।
उनका कहना है कि अगर कोई यह बिज़नेस करना चाहता है तो:
- उन्हें थोड़ा क्रिएटिव होना चाहिए और साथ ही, कुछ न कुछ नया सीखने की चाह होनी चाहिए।
- सबसे पहले आप अपने आसपास उपलब्ध ‘वेस्ट’ चीजों को अपसायकल करके होम डेकॉर के प्रोडक्ट्स बनाएं।
- प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता बहुत अच्छी होनी चाहिए।
- इनकी मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें।
- लोगों का फीडबैक लें कि उन्हें किस चीज की जरूरत है जो आप बना सकते हैं।
हो सकता है शुरुआत में ऑर्डर मिलने में परेशानी आएं लेकिन अगर आप अपने हुनर पर काम करते रहेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी।
3. पॉलिथीन या पॉलीबैग से बनाएं बैग, चटाई जैसे प्रोडक्ट्स
ऐसा हो ही नहीं सकता है कि किसी आम भारतीय के घर में किसी तरह का कोई प्लास्टिक न आए। अगर हम सिंगल यूज प्लास्टिक को कम करें तो भी घर का बहुत सा राशन पॉलिथीन में ही पैक होकर आता है। खासकर कि दूध के पैकेट तो हर दिन घरों से निकलते हैं। लेकिन ज्यादातर यह प्लास्टिक कचरे के डिब्बे में ही पहुंचता है। लेकिन अगर कोई चाहे तो इस कचरे को पर्यावरण में जाने से रोक सकता है। जी हां, प्लास्टिक को सिर्फ रीसायकल ही नहीं बल्कि अपसायकल भी किया जा सकता है।
मुंबई की रीटा मेकर बताती हैं, “साल 2016 में मैंने फेसबुक पर एक वीडियो देखी, जिसमें एक महिला वॉलमार्ट के शॉपिंग बैग्स से एक मैट बना रही थी। बस वहीं से मुझे आईडिया मिला। मुझे क्रोशिया करना आता था। इसलिए मैंने घर की सारी पॉलिथीन और प्लास्टिक बैग इकट्ठा किए और काम पर लग गई।” आज वह तरह-तरह के बैग, चटाई और टोकरी जैसी चीजें बनाती हैं। वह कहती हैं कि कोई भी यह काम कर सकता है। हालांकि, रीटा अपने घर से ही सीमित मात्रा में यह काम करती हैं।
लेकिन पुणे के नंदन भट बड़े स्तर पर सिंगल यूज पॉलिथीन, चिप्स तथा बिस्कुट आदि के रैपर्स को अपसायकल करके तरह-तरह के उत्पाद बना रहे हैं। उन्होंने अपनी एक यूनिट भी सेट-अप की हुई है, जहां पर सबसे पहले सभी प्लास्टिक को धोकर सुखाया जाता है। फिर इन्हें पतली पट्टियों में काटकर, इन्हें चरखे पर काता जाता है और फिर हैंडलूम पर फैब्रिक तैयार किया जाता है। प्लास्टिक के इस ‘फैब्रिक’ से वह बैग, बैकपैक जैसी चीजें बनाते हैं। जिनकी कीमत हजारों में होती है।
इसलिए अगर आप ‘यूटिलिटी प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग’ का बिज़नेस करना चाहते हैं तो इससे अच्छा सस्टेनेबल बिज़नेस और क्या होगा।
4. पुराने कपड़ों को अपसायकल करना
यह ऐसा काम है जिसे आप घर से भी शुरू कर सकते हैं और वह भी कम से कम इन्वेस्टमेंट में। अगर आप अपने घर में पुराने कपड़ों को इस्तेमाल करके नई चीजें बनाने में माहिर हैं तो आपके लिए यह काम और आसान है। लेकिन अगर आप पहले से यह काम नहीं भी जानते हैं तब भी आप यूट्यूब वीडियोज से सीख सकते हैं। दिल्ली के सिद्धांत कुमार सिर्फ पुरानी डेनिम जीन्स को अपसायकल करके अलग-अलग चीजें बना रहे हैं और आज उनकी कमाई करोड़ों में है।
उनकी ही तरह, मीनाक्षी शर्मा भी पुराने कपड़ों को अपसायकल करके अपना बिज़नेस चला रही हैं। वह पुराने कपड़ों का इस्तेमाल कर बैग, पर्दे, कालीन जैसे नए उत्पाद बनाती हैं। वह आज न सिर्फ अपने बल्कि दूसरे घरों और बड़े उद्यमों से भी पुराने और बेकार कपड़े कचरे में नहीं जाने देती हैं। पिछले 10 सालों से वह हर महीने 200 किलो से ज्यादा पुराने-बेकार कपड़ों को लैंडफिल में जाने से रोक रही हैं। साथ ही, वह ऐसे प्रोडक्ट बनाती हैं जो प्लास्टिक का विकल्प हो सकते हैं। जैसे कपड़ों के बड़े कालीन, टेबल कवर आदि।
साथ ही, इस बिज़नेस को शुरू करने के लिए आपके हाथ में हुनर और दिमाग में ढेरों क्रिएटिव आइडियाज होने चाहिए। सबसे पहले आप अपने घर को पुराने कपड़ों से नई चीजें बनाकर सजाइये और फिर इसकी मार्केटिंग कीजिए। अगर आप कुछ हटके काम करेंगे तो यक़ीनन आपका बिज़नेस चल पड़ेगा।
5. इको फ्रेंडली क्रॉकरी बिज़नेस
हम सबको पता है कि बहुत से पेड़ों के पत्तों से आप पर्यावरण के अनुकूल प्लेट और कटोरी बना सकते हैं। इसके अलावा, आप कई तरह के कृषि अपशिष्ट जैसे गन्ने के कचरे से भी क्रॉकरी बना सकते हैं। प्लास्टिक से बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए इको फ्रैंन्डली क्रॉकरी की मांग बढ़ रही है। इसलिए अगर आप सस्टेनेबल बिज़नेस करना चाहते हैं तो यह एक अच्छा क्षेत्र है काम करने के लिए।
हैदराबाद में रहने वाले माधवी और वेणुगोपाल पिछले तीन वर्षों से साल और पलाश के पत्तों से इको-फ्रेंडली प्लेट और कटोरी बना रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि पलाश के पेड़ उन्होंने अपने खेतों में ही लगाए हुए हैं। खेतों पर ही उन्होंने एक छोटी सी यूनिट सेटअप की है, जहां पर प्लेट और कटोरी बनाई जाती है। इन इको-फ्रेंडली, सस्टेनेबल और प्राकृतिक प्लेट्स की मार्केटिंग वेणु और माधवी ने अपनी सोसाइटी से ही शुरू की। जिस भी दोस्त-रिश्तेदार ने अपने आयोजनों में इन प्लेट्स को इस्तेमाल किया, सभी ने सोशल मीडिया पर उनके बारे में लिखा और इस तरह से उन्हें एक अच्छी पहचान मिलने लगी।
उनका कहना है कि इस क्षेत्र में मांग बहुत बढ़ेगी क्योंकि जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। वे छोटे-बड़े आयोजनों के लिए इको फ्रेंडली क्रॉकरी ही मंगवाना पसंद करते हैं। साथ ही, सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की योजना पर सरकार काफी समय से काम कर रही है। ऐसे में, इको फ्रेंडली क्रॉकरी ही लोगों के पास एक बेहतर विकल्प होगा। इसलिए अगर कोई सस्टेनेबल बिज़नेस करना चाहता है तो इस क्षेत्र में भी आगे बढ़ सकते हैं।
इनके अलावा, आप हैंडमेड साबुन, शैम्पू, रीसाइकल्ड पेपर, डायरी, आदि का भी बिज़नेस शुरू कर सकते हैं। हमारे देश में रॉ मटीरियल की कमी नहीं है। जरूरत है तो बस सही आइडियाज की। इसलिए आज से ही शुरू करें अपने मनपसंद आईडिया पर काम और बन जाएं एक सफल व्यवसायी।
संपादन- जी एन झा
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