क्विनोआ (Quinoa) को देश-दुनिया में ‘सुपरफूड’ के नाम से जाना जाता है। क्विनोआ ग्लूटेन-फ्री है, इसमें काफी ज्यादा मात्रा में प्रोटीन होता है, जिस कारण इसे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उम्दा माना जाता है। वैसे तो, यह एक विदेशी आहार है, लेकिन लोगों में फिटनेस और स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते भारत में भी इसका प्रचलन बढ़ने लगा है। बस समस्या यह है कि क्विनोआ बहुत से लोगों के लिए किफायती विकल्प नहीं है। इसलिए सिर्फ कुछ लोग ही इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
गुरुग्राम में पिछले 12 सालों से बतौर डायटीशियन और डायबिटीज एजुकेटर काम कर रहीं अर्चना बत्रा कहती हैं, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि क्विनोआ से काफी पोषण मिलता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत में इसका कोई स्थानीय विकल्प नहीं है। ऐसे कई स्थानीय आहार हैं, जिन्हें लोग क्विनोआ की जगह अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं। इनमें उतना ही पोषण मिलेगा, जितना कि क्विनोआ से मिलता है। यहां तक कि राजगिरा में तो क्विनोआ से ज्यादा पोषण होता है।”
अर्चना अक्सर लोगों को सलाह देती हैं कि वे सबसे पहले अपने आस-पास स्थानीय तौर पर उगने वाली पोषक चीजों पर ध्यान दें। ये चीजें उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके लिए बजट फ्रेंडली भी रहेंगी। अर्चना ने बताया कि क्विनोआ की जगह किन स्थानीय और देसी आहारों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं:
1. राजगिरा/चौलाई (Amaranth)

अर्चना कहती हैं कि राजगिरा या चौलाई आपको भारत में आसानी से मिल जाता है। अक्सर लोगों को यह जानकर हैरानी होती है कि राजगिरा में क्विनोआ से ज्यादा पोषण होता है। क्विनोआ की तरह, राजगिरा भी ग्लूटेन-फ्री है। इसलिए जिन लोगों को ग्लूटेन एलर्जी की समस्या है, वे भी इसे अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। इसमें सभी जरुरी अमीनो एसिड मौजूद होते हैं और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी ज्यादा होती है। यह क्विनोआ से ज्यादा प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन देता है। साथ ही, इसमें मैंगनीज, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम जैसे सभी माइक्रोन्यूट्रिएंट होते हैं। यह आसानी से मिल जाता है और काफी किफायती भी होता है।
इसे आप अलग-अलग तरह से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं जैसे- बहुत से लोग इसे स्मूदी, लड्डू आदि बनाने में इस्तेमाल करते हैं। कई जगह राजगिरा के आटे की रोटियां भी खाई जाती हैं।
2. जौ (Barley)

अर्चना कहती हैं कि जौ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है, जिस कारण यह डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयुक्त है। जौ में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और इस कारण यह सभी के लिए पोषण से भरपूर आहार है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी अच्छी मात्रा में होते हैं। अगर किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो जौ को डाइट में शामिल किया जा सकता है। जौ को आप दलिया के रूप में या फिर इसके आटे की रोटियां अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। इसमें विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है, जो रोगों से लड़ने में सहायता करता है और इम्युनिटी को मजबूत बनाता है।
3. दलिया

दलिया में भी क्विनोआ के बराबर मात्रा में ही प्रोटीन होता है और इसमें फाइबर की मात्रा भी अच्छी होती है। हालांकि, यह ग्लूटेन-फ्री नहीं है। लेकिन पोषण के लिए क्विनोआ का किफायती और अच्छा विकल्प है। अर्चना कहती हैं कि मिनरल्स और विटामिन की मात्रा दलिया और क्विनोआ में लगभग बराबर ही होती है। दलिया को आप अलग-अलग तरह से बनाकर अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। इसे आप नाश्ते या डिनर में भी ले सकते हैं। यह हल्का, लेकिन पोषण से भरपूर होता है और आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है।
4. कुटू (Buckwheat)

कुटू को ज्यादातर व्रत या उपवास में खाया जाता है, लेकिन इसे अपने दैनिक आहार में भी आप शामिल कर सकते हैं। इसकी वजह है इससे मिलने वाला पोषण। यह ग्लूटेन-फ्री है और इसमें मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा होती है। इसमें मैग्नीशियम, मैंगनीज, जिंक और आयरन जैसे तत्व मिलते हैं। कुटू को अलग-अलग तरह से डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है। आप कुटू के आटे की रोटियां भी बना सकते हैं।
5. ब्राउन राइस (Brown Rice)

ब्राउन राइस भी क्विनोआ का अच्छा विकल्प हो सकता है। इसमें प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम है। इसलिए यह डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छा विकल्प है। अर्चना बताती हैं कि ब्राउन राइस भी ग्लूटेन फ्री होते हैं।
हालांकि, अर्चना कहती हैं कि सभी के लिए पोषण की जरूरत अलग-अलग हो सकती है। इसलिए किसी भी चीज़ को बहुत ज्यादा मात्रा में अपने आहार में शामिल करने से पहले डायटीशियन से सलाह जरूर लें।
संपादन- जी एन झा
यह भी पढ़ें: दादी-नानी के दावे को मिला वैज्ञानिक आधार, पखाला भात बन गया सुपर फूड
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: