अगर कोई आपसे कहे कि उन्होंने अपने घर का निर्माण बिना ईंट या पत्थरों से किया है, तो आप यकीन करेंगे? शायद नहीं। क्योंकि हम सबको ऐसा ही लगता है कि बिना ईंट के कोई घर कैसे बना सकता है। लेकिन आज हम आपको केरल के मोबिश थॉमस से मिलवा रहे हैं, जिन्होंने अपने घर के निर्माण में ईंटों का प्रयोग नहीं किया है।
केरल के वायनाड जिले में सुल्तान बथेरी के रहने वाले मोबिश थॉमस ने ‘लाइट गॉज स्टील फ्रेम स्ट्रक्चर (LGSFS) तकनीक’ से अपने घर का निर्माण करवाया है। घर निर्माण के लिए यह तकनीक पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल है। 1400 वर्गफ़ीट में बने इस घर में मोबिश अपनी पत्नी, दो बच्चे और माता-पिता के साथ रहते हैं। उनका घर खूबसूरत और स्टाइलिश होने के साथ-साथ प्रकृति के अनुकूल और आरामदायक भी है। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने LGSFS तकनीक, घर निर्माण में लगने वाली सामग्री और इसकी खासियत के बारे में बताया।
उन्होंने कहा, “जब मैंने घर निर्माण का फैसला किया तो कुछ बातें मेरे मन में थीं। जैसे मैं चाहता था कि घर बनने में कम से कम समय लगे। साथ ही, घर के निर्माण के लिए रेत, मेटल, और क्रेशर जैसी सामग्रियां भी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रही थीं तो मैं इन चीजों का भी कम से कम इस्तेमाल करना चाहता था। इसलिए मैंने अपने कुछ दोस्तों को इस बारे में बताया और पूछा कि क्या कोई आर्किटेक्ट या कंपनी है जो इस तरह से काम कर सकती है।”
मोबिश को ‘LGSFS’ तकनीक के बारे में पता चला। जिसमें घर का निर्माण ईंट-पत्थरों से नहीं बल्कि स्टील या मेटल से होता है। सबसे पहले घर के नक्शे के हिसाब से स्टील का इस्तेमाल करके घर का ढांचा तैयार कर लिया जाता है। फिर इस ढांचे को घर की साइट पर लाकर स्थापित किया जाता है।
उन्होंने बताया, “मुझे कई लोगों ने कहा कि इस तकनीक से मात्र तीन महीने में घर बन जाता है। साथ ही, घर मजबूत और टिकाऊ बनता है क्योंकि स्टील काफी मजबूत होता है। इसलिए मैंने दो-तीन कंस्ट्रशन कंपनी से इस तकनीक की जानकारी ली और इसके बाद ओडीएफ ग्रुप को घर बनाने का कॉन्ट्रेक्ट दिया।”
क्या है LGSFS तकनीक
ओडीएफ ग्रुप से माजिद ने उनके घर की डिजाइनिंग की और हाशिम मोहम्मद उनके आर्किटेक्ट थे। उन्होंने बताया, “LGSFS तकनीक में घर, दफ्तर या अन्य किसी भी बिल्डिंग का ढांचा मुख्य तौर पर स्टील से तैयार किया जाता है। इसके बाद घर की साइट पर इसे स्थापित करते हैं और क्लाइंट की जरूरत के मुताबिक इस ढांचे पर अन्य सामग्रियों का इस्तेमाल करके घर को पूरा बनाया जाता है। इस काम में सामान्य घर निर्माण की तुलना में बहुत कम समय लगता है। अगर किसी भी तरह की कोई रुकावट न हो तो तीन महीने या इससे भी कम समय में घर बनाया जा सकता है।”
हालांकि, 2020 में जब मोबिश के घर का कॉन्ट्रैक्ट उन्हें मिला तब कोरोना महामारी फैलने लगी थी और इसके कुछ ही दिनों में लॉकडाउन लग गया। इसलिए सितंबर, 2020 के अंत में उन्होंने काम शुरू किया और जनवरी 2021 में घर पूरी तरह से बनकर तैयार था। इस घर को बनाने में कुल साढ़े चार महीने लगे, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा और वे ज्यादा लेबर भी नहीं लगा पाए। फिर भी सामान्य घरों की तुलना में उन्होंने काफी जल्दी इस घर का काम पूरा कर लिया था।
हाशिम कहते हैं, “स्टील काफी मजबूत होता है और साथ ही, भूकंप व आग जैसी आपदाओं में प्रतिरोधी भी रहता है। साथ ही, अगर बहुत सालों बाद कोई अपने घर को फिर से बनाना चाहे तो इस स्टील को फिर से इस्तेमाल में लिया जा सकता है। इसलिए यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है। एक और बात इस तकनीक को ख़ास बनाती है और वह है कि यह ‘डेबरिस-फ्री’ है। अक्सर सामान्य तरीके से घर बनने के बाद, निर्माण के समय का बहुत-सा कचरा बच जाता है। जो हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है। लेकिन इस तकनीक से घर बनाने में कोई हानिकारक कचरा नहीं होता है।”
नहीं किया ईंटों का इस्तेमाल
मोबिश ने घर के निर्माण में ईंटों का इस्तेमाल नहीं किया है। ईंटों की जगह उन्होंने सीमेंट फाइबर बोर्ड का इस्तेमाल किया है। सीमेंट फाइबर बोर्ड मजबूत और टिकाऊ होने के साथ-साथ नमी, आग और दीमक प्रतिरोधी होते हैं। इनका उपयोग दीवार और छत बनाने के लिए किया जा रहा है। “मेरे घर में सभी दीवारें बनाने के लिए और पहले फ्लोर की छत बनाने के लिए सीमेंट फाइबर बोर्ड का इस्तेमाल हुआ है। स्टील के ढांचे के दोनों तरफ सीमेंट फाइबर बोर्ड लगाए गए हैं,” उन्होंने कहा।
घर में ग्राउंड फ्लोर पर एक बेडरूम है, जिसमें अटैच बाथरूम है। इसके अलावा दो रसोई, एक लिविंग रूम, डाइनिंग रूम, और कॉमनरूम है। वहीं, पहले फ्लोर पर दो बेडरूम और एक कॉमन बाथरूम है। ग्राउंड फ्लोर की छत के लिए, उन्होंने आरसीसी का प्रयोग किया है। जबकि, पहले फ्लोर की छत सीमेंट फाइबर बोर्ड से बनाई गयी है। उन्होंने कहा, “घर बनाने में हमने कॉन्क्रीट का बहुत कम इस्तेमाल किया है। दरअसल इस तकनीक से हम पहली बार घर बना रहे थे, इसलिए हमने ग्राउंड फ्लोर की छत बनाने के लिए आरसीसी का प्रयोग किया, क्योंकि मेरे माता-पिता को सीमेंट फाइबर बोर्ड पर संदेह था।”
लेकिन अब उनका परिवार बहुत खुश है। क्योंकि घर सुंदर होने के साथ-साथ बहुत आरामदायक है। उनके घर के अंदर का तापमान संतुलित रहता है, जिस कारण गर्मी में उन्हें एसी की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि उनके घर की दीवारों के बीच में खाली जगह है, जिस कारण ये थर्मल एफ्फिसिएंट हैं। साथ ही, दीवारों पर कोई प्लास्टर भी नहीं किया गया है। उनके घर के निर्माण में कम से कम सीमेंट का इस्तेमाल हुआ है। साथ ही, उन्होंने ग्राउंडवाटर रिचार्ज के लिए 2000 लीटर की क्षमता का रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाया हुआ है।
सिर्फ 34 लाख में बन गया यह आलिशान मकान
मोबिश कहते हैं, “घर बनाने के लिए सभी सामग्री, घर निर्माण और फर्निशिंग का खर्च लगभग 34 लाख रुपए तक आया था। हालांकि, अगर सामान्य तरीके से घर बनवाया जाता तो शायद और अधिक लागत आती। खासकर कि कोरोना महामारी के दौरान। क्योंकि, उस समय ट्रांसपोर्टेशन भी काफी मुश्किल हो रहा था, तो ऐसे में किसी दूसरी जगह से रेत, ईंट आदि लाने का खर्च और अधिक बढ़ जाता।” हालांकि, उनका मानना यह भी है कि अगर ज्यादा लोग इस तरह की तकनीकें अपनाएं तो इस लागत को और कम किया जा सकता है।
अंत में वह सबको यही सलाह देते हैं कि अपना खुद का घर बनवाने का विचार कर रहे लोगों को पहले घर निर्माण की सभी तकनीकों और तरीकों के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। इसके बाद, अच्छे से सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए। अगर इस तकनीक के बारे में आप अधिक जानकारी चाहते हैं तो आप info@odfgroup.in पर ईमेल कर सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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