घर बनाने में बहुत समय और मेहनत लगती है। वायनाड के एक सरकारी कर्मचारी और सामाजिक कार्यकर्ता, मोबिश थॉमस के लिए भी चीज़ें अलग नहीं थीं। मोबिश, याद करते हुए बताते हैं कि ऑफिस और सामाजिक काम के बीच घर बनाने के लिए पर्याप्त समय निकालना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे में उन्होंने सोचना शुरू किया कि कैसे एक ऐसा ईको फ्रेंडली घर बनाया जाए, जिससे समय भी कम लगे और पैसे भी ज्यादा खर्च न हों। फिर उन्होंने एक वैकल्पिक और सस्ती तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला किया।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए मोबिश बताते हैं कि उनके लिए कंस्ट्रक्शन की निगरानी कर पाना एक मुश्किल काम था। दूसरी तरफ, वह अपने पुश्तैनी घर में रह रहे थे और मानसून आने से पहले उन्हें घर का रेनोवेशन भी करना था। वह कहते हैं, “चूंकि हमने एक नया घर बनाने का फैसला किया था, इसलिए हमारे लिए इसे कम समय में तैयार करना ज़रूरी था, ताकि बारिश शुरू होने से पहले घर तैयार हो सके।”
उन्होंने लाइट गेज स्टील फ्रेम स्ट्रक्चर या LGSF को चुनने का फैसला किया। यह एक ऐसी तकनीक है, जो निर्माण सामग्री के रूप में कोल्ड-फॉर्म्ड स्टील का उपयोग करती है। मोबिश कहते हैं कि इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने केवल तीन महीनों में अपना दो मंजिला घर तैयार कर लिया और इस घर को बनाने की लागत केवल 34 लाख रुपये आई।
कम खर्च, कम समय और पर्यावरण को कम नुकसान

वायनाड के सुल्तान बाथेरी में 1,440 वर्ग फुट में बना मेबिश का ईको फ्रेंडली घर, उन लोगों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है, जो कम समय और कम पैसे में घर बनाने की तकनीक तलाश रहे हैं।
मोबिश बताते हैं, “यह एक इको-फ्रेंड्ली और टिकाऊ तकनीक भी है, क्योंकि इसमें स्टील का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे भविष्य में रिसायकल किया जा सकता है। इसके अलावा, निर्माण करते समय किसी तरह का ठोस मलबा उत्पन्न नहीं होता, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता।”
शोध करते समय, मोबिश को कुछ ऐसे फर्म्स मिले, जो केरल में LGSF तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बेहतरीन काम करते हैं। उनसे संपर्क करने और उनकी कुछ प्रोजेक्ट्स देखने के बाद, उन्होंने कोझीकोड के ओडीएफ ग्रूप के साथ काम करने का फैसला किया, जो 2015 से इस क्षेत्र में काम कर रहा है।
पेशे से इंजीनियर और ओडीएफ ग्रुप के संस्थापक माजिद टी बताते हैं कि LGSF का आमतौर पर रेजिडेंशिअल बिल्डिंग में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह मुख्य रूप से कमर्शिअल बिल्डिंग के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
क्या हैं LGSF तकनीक से ईको फ्रेंडली घर बनाने के फायदे?

माजिद बताते हैं कि मोबिश को घर के निर्माण के लिए सिर्फ दो या तीन मजदूरों को ही काम पर लगाना पड़ा था। वह कहते हैं, “इस आकार का एक पारंपरिक कंक्रीट का घर बनाने में आमतौर पर लगभग 10 से 12 महीने लगते हैं। जबकि, LGSF तकनीक का उपयोग करके, कम बजट और कम श्रम के साथ, केवल तीन महीनों में काम पूरा किया जा सकता है।”
माजिद कहते हैं कि पारंपरिक तरीकों की तुलना में LGSF को चुनने के कई फायदे हैं। आमतौर पर, देरी और लंबी प्रक्रिया के कारण अक्सर कंक्रीट का घर बनाने का खर्चा अनुमानित बजट को पार कर जाता है। लेकिन इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए, आप अपने तय किए हुए बजट पर टिके रह सकते हैं।
वह कहते हैं, “ईंट और मोर्टार का उपयोग करने के बजाय, हम निर्माण के लिए स्टील और सीमेंट फाइबर बोर्ड या पैनल का उपयोग करते हैं। सबसे पहले, हम नींव के ऊपर एक स्टील फ्रेम बनाते हैं, जिससे हम दीवारों के निर्माण के लिए फाइबर सीमेंट बोर्ड लगाते हैं।” वह आगे बताते हैं कि पूरा घर इन बोर्ड्स का उपयोग करके बनाया गया, जो मजबूत और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं, जिससे सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री का उपयोग कम हो जाता है।
इसके अलावा, पारंपरिक तरीके से बनाए गए घरों के विपरीत, इन इमारतों को बिना किसी तरह का मलबा उत्पन्न किए आसानी से तोड़ा जा सकता है। माजिद ने बताया, “इस घर के इंटिरियर में बदलाव करना आसान है, क्योंकि इसकी नींव को छोड़कर कहीं भी कोई ठोस चीज़ इस्तेमाल नहीं की गई है। यह संरचना लचीली है और इसे आसानी से एक अलग स्थान पर फिर से बनाया जा सकता है।”
इस ईको फ्रेंडली घर में भुकंप और आग का जोखिम है कम

माजिद कहते हैं, ‘स्टील की अच्छी रीसेल और स्क्रैप वैल्यू है। इसलिए, अगर कोई इसे तोड़ने या नष्ट करने की योजना भी बनाता है, तो इसे बिना किसी झंझट और कम लागत में कर सकते हैं और इसे अच्छे पैसे में बेच भी सकते हैं, जो कि कंक्रीट घरों में संभव नहीं है। ”
वह कहते हैं कि जब लोग पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए घर बनाने की सोचते हैं, तो उनके दिमाग में सबसे पहला सवाल सुरक्षा को लेकर उठता है। स्टील से बने बिल्डिंग में भूंकप और आग से नुकसान होने का जोखिम कम होता है और इसलिए यह पारंपरिक इमारतों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होते हैं।
इस घर की दीवारें दो बोर्ड को समानांतर रूप से फिक्स करके बनाई गई हैं। फिर बोर्ड्स के बीच की जगह एक थर्मल और अकूस्टिक इन्सुलेशन सामग्री से भरी जाती है, जिससे यह साउंडप्रूफ बन जाता है, साथ ही यह दीवार मौसम के अुनकूल बनी रहती है।
मोबिश अपने माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों के साथ पिछले डेढ़ सालों से अपने नए घर में रह रहे हैं। वह कहते हैं कि वायनाड का मौसम आमतौर पर ठंडा होता है और घर के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि बाहर जब ठंड रहती है, तो यह अंदर से गर्म रहता है और गर्मियों में यह घर बाहर की तुलना में काफी ठंडा रहता है।”
“परिवार वालों को समझना था मुश्किल”

मोबिश कहते हैं कि पारंपरिक तरीके को छोड़, ईको फ्रेंडली घर बनाने के लिए एक वैकल्पिक तरीका चुनना चुनौतीपूर्ण था। वह कहते हैं, “लोगों के लिए अपरंपरागत तरीकों को स्वीकार करना अक्सर मुश्किल होता है, खासकर जब घर बनाने की बात आती है। मेरे लिए अपने परिवार, विशेष रूप से अपने माता-पिता और मेरी पत्नी को समझाना बहुत मुश्किल था। उनके मन में तकनीक को लेकर बहुत सारे संदेह और सवाल थे।”
वह आगे बताते हैं कि वह अपनी पत्नी को लेकर त्रिशूर गए और वहां एक प्रोजेक्ट दिखाया जहां इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा था। उन्होंने अपनी पत्नी को समझाया कि यह घर सुरक्षित होते हैं और कंक्रीट घर की तुलना में काफी फायदेमंद भी। अब उनका परिवार एक साल से ज्यादा समय से इस घर में रह रहा है और किसी को अब तक कोई शिकायत नहीं है।
मोबिश कहते हैं कि इस घर को बनाने में एक दूसरी बड़ी चुनौती महामारी के कारण लगने वाले प्रतिबंध और लॉकडाउन थे। उन्हें घर बनाने की शुरुआत मार्च 2020 में करनी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा नहीं हो नहीं पाया। वह कहते हैं, “फाइबर बोर्ड्स थाईलैंड से इंपोर्ट होने थे और कुछ सामग्रियां बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहरों से खरीदी गई थीं। महामारी के कारण प्रक्रिया में देरी हुई। उन्होंने अक्टूबर में निर्माण करना फिर से शुरू किया और अंत में दिसंबर 2020 में घर बन कर पूरा हो सका।“
क्या-क्या है इस घर में?

LGSF तकनीक से बने इस ईको फ्रेंडली घर के ग्राउंडफ्लोर पर लीविंग रूम, डाइनिंग एरिया, किचन, और अटैच्ड बाथरूम के साथ एक बेडरूम है। वहीं पहली मंजिल पर एक कॉमन बाथरूम और एक खुली टैरेस के साथ दो बेडरूम हैं।
मोबिश बताते हैं कि यहां ईंटें या किसी भी तरह के प्लास्टर का इस्तेमाल नहीं किया गया है, इसलिए दीवारें पतली हैं, जिसका मतलब है कि कमरे का कारपेट एरिया ज्यादा है और ये काफी बड़े लगते हैं।
घर में विट्रीफाइड टाइल्स का उपयोग करके फर्श बनाई गई है और छतों को स्टील ट्रस संरचना पर फाइबर सीमेंट बोर्ड लगाकर बनाया गया है। यहां मिट्टी की टाइल्स के बजाय शिंगगल्ज़ लगाया गया है।
मोबिश कहते हैं कि उन्होंने घर बनाते समय रोशनी और हवा पर विशेष ध्यान दिया है। घर की खिड़कियां चौड़ी बनाई गई हैं, ताकि अंदर पर्याप्त रोशनी और हवा आ सके। खिड़कियां यूपीवीसी का उपयोग करके बनाई गई हैं, जबकि दरवाजे़ फाइबर के हैं।
मोबिश का घर में पसंदीदा कोना मिनी लाइब्रेरी है, जो पहली मंजिल के सीढ़ी के नीचे बनाई गई है।
इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए, आप 8078791292 पर माजिद टीके से संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेखः अंजली कृष्णन
संपादनः अर्चना दुबे
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