हिमाचल प्रदेश की तीर्थन घाटी में मौजूद डाल्टन्स विलेज होमस्टे में सुबह की शुरुआत करना अपने-आप में एक अलग तरह का अनुभव है। यहां आपकी आंखें, पक्षियों के चहकने की मधुर आवाज़ से खुलती हैं और आप ताजा पहाड़ी हवा में सांस लेते हैं। यहां के प्राकृतिक वॉटरफॉल और आस-पास के देवदार के जंगलों से आने वाली आवाज़ सुनकर ऐसा लगता है कि अगर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है।
कुछ साल पहले तक दिल्ली में रहनेवाले रयान डाल्टन एक ट्रैवल कंपनी चलाते थे। इस कंपनी के ज़रिए वह नियमित रूप से यात्रियों को हिमाचल, उत्तराखंड, लद्दाख, केरल और राजस्थान जैसे स्थानों पर कई टूर के लिए ले गए। द बेटर इंडिया से बात करते हुए रयान कहते हैं कि धीरे-धीरे उनके मन में दिल्ली छोड़ पहाड़ियों पर बसने का ख्याल बैठ गया। फिर उन्होंने एक कमर्शियल प्रॉपर्टी बनाने का फैसला किया, जहां वह खुद भी रह सकें और इस तरह डाल्टन्स विलेज का जन्म हुआ।
यह होमस्टे एक 60 साल पुराना हिमाचली घर है, जिसे रयान ने रेनोवेट किया है। यह पूरी तरह से मिट्टी, चट्टान और लकड़ी से बना है। फरवरी 2019 में रयान, इस होमस्टे में रहने लगे और अब इसे ही वह अपना “घर” कहते हैं।
इस होमस्टे में चार कमरे हैं, जिनमें से एक में वह खुद रहते हैं। यहां आने वाले मेहमानों को एक शुद्ध हिमाचली अनुभव मिल सके, रयान इसकी पूरी कोशिश करते हैं।
शुद्ध हिमाचली जीवन जीते हैं रयान और डाल्टन्स विलेज के मेहमान

रयान ने एक सम्पूर्ण हिमाचाली जीवन का अनुभव देने की कोशिश की है। वह कहते हैं, “मेरा यह होमस्टे, हिमाचली संस्कृति की नकल करता है, हिमाचल में रहनेवाले लोग कैसे रहते हैं और सस्टेनेबल जीवन जीने के लिए कैसे वे छोटी-छोटी कठिनाइयों से गुजरते हैं।”
वह एक उदाहरण देते हुए बताते हैं, “ग्रामीण हिमाचलियों के पास नल खोलते ही गर्म पानी मिल जाए, ऐसी कोई सुविधा नहीं है। ये चीजें यहां मिलना इतना आसान नहीं है। इसके बजाय, वे एक ‘हमाम’ का उपयोग करते हैं। (एक काम चलाऊ ऊपाय, जिसके तहत, नीचे आग जलाने के लिए एक जगह बनी होती है और ऊपर पानी गर्म होता है।)”
इसका इस्तेमाल करने वाले स्थानीय लोगों को कुछ बातों का निश्चित रूप से ध्यान रखना पड़ता है, जैसे उस दिन धूप निकली हो, ताकि लकड़ियां सूखी हों और उन्हें आसानी से जलाया जा सके और हमाम में पानी गर्म हो सके। इसके बाद पूरा परिवार अपनी-अपनी बाल्टियों से हमाम में पानी भरता है और फिर इसे नहाने के लिए ले जाता है।
डाल्टन्स विलेज के भी किसी भी बाथरूम में गीजर नहीं है। इससे बिजली और पानी की बचत होती है। यहां भी हमाम में पानी गर्म करने के लिए सुबह या शाम आग जलाई जाती है और मेहमानों को सूचना दी जाती है। रयान कहते हैं कि जब मेहमान अपनी बाल्टी के साथ पानी लेने के लिए आते हैं, तो यह उनके लिए दूसरे लोगों के साथ सोशलाइज़ करने का एक और अवसर होता है।
डाल्टन्स विलेज में स्थानीय खूबसूरती और लोगों को समझने में बिताएं समय

रयान का होमस्टे काफी हवादार है। इसलिए यहां सर्दियों में हीटर का इस्तेमाल तो होता है, लेकिन गर्मियों के लिए एसी नहीं है।यहां, मेहमानों के लिए कई तरह के पेंट्स और क्रेयॉन उपलब्ध हैं, जिससे वह बाहर कुछ भी स्केच कर सकते हैं। इसके अलावा, यहां पढ़ने के लिए किताबें भी हैं। रयान बताते हैं, “मैं लोगों से कहता हूं कि अगर किसी को कुछ एक्टिविटी करनी है, तो मैं आपको बर्तन, पैन और कच्चा माल दूंगा। आप बाहर खाना पकाने की कोशिश कर सकते हैं।”
रयान का मानना है कि “मेहमानों का ध्यान दूसरी चीज़ों की ओर जाने और समय बिताने के तरीकों में शामिल होने के बजाय, उन्हें जगह से लगाव होना चाहिए और उन्हें इसे बेहतर तरीके से जानना चाहिए। जब आप ऐसी जगह पर आ रहे हैं, तो आपको एक्टिविटीज़ की आवश्यकता क्यों होगी? आपकी एक्टिविटी केवल पहाड़ों को देखना होना चाहिए।”
रयान, मेहमानों को स्थानीय लोगों को जानने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं। उदाहरण के लिए, रयान की पड़ोसी एक बुजुर्ग महिला हैं, जो एक हैंडलूम बुनकर हैं। वह ‘कुल्लू शॉल’ बनाती हैं। वह गाँव में काफी लोकप्रिय हैं और रयान कहते हैं कि, “आप उनके जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं।”
मेहमानों को सैर पर भी ले जाया जाता है। वह बताते हैं, “कुछ छिपे हुए प्राकृतिक पूल हैं, जिनके बारे में केवल स्थानीय लोग जानते हैं और एक प्राकृतिक झरना है, जहां लोग स्विमिंग कर सकते हैं।”
“भाग-दौड़ के लिए नहीं जाते घूमने, इसके लिए शहर ही काफी है”

डाल्टन्स विलेज के मेहमानों में से एक, कानव ने यहां शांत और इत्मिनान भरी ज़िंदगी का आनंद लिया, जो इस पारंपरिक अनुभव की अनुमति देता है। वह कहते हैं, “कुछ लोग होते हैं, जो तरह-तरह के एडवेंचर के लिए घूमने जाते हैं और कुछ लोग होते हैं, जो कहीं जाकर एडवेंचर के बजाय सुकून भरे पल बिताते हैं। हम दूसरी श्रेणी में आते हैं।”
वह कहते हैं, “हम डाल्टन्स विलेज, किसी भागम-भाग के लिए नहीं गए। इसके लिए शहर ही काफी है।” कानव ने अपना समय आराम करने में बिताया, पहाड़, नदियों और खूबसूरत नजारों का मजा लिया, पास के पेड़ों से फल खाए और खाने के लिए और नई जगहें तलाशीं।
डाल्टन्स विलेज का भोजन भी हिमाचली सार को दर्शाता है। वह कहते हैं, “खाने की ज्यादातर चीज़ें यहीं उगाई जाती हैं।” रयान न केवल स्थानीय लोगों को इस काम में शामिल करते हैं, बल्कि यह ध्यान भी रखते हैं कि भोजन पकाने के लिए स्थानीय रूप से उगाई गई समाग्रियों का ही इस्तेमाल किया जाए।
वह होमस्टे में आने वाले मेहमानों को भी यह कहते हैं कि चूंकि यह उनका घर है, कोई होटल नहीं, इसलिए यहां भोजन के सीमित विकल्प होंगे। हालांकि, वह यह सुनिश्चित करते हैं कि भोजन पौष्टिक और संतोषजनक हो। यहां हर स्वाद का ख्याल रखने की कोशिश की जाती है।
डाल्टन्स विलेज में बनती हैं 3 तरह की खास चटनियां

इस होमस्टे में परोसी जाने वाली तीन तरह की चटनियां भी स्थानीय चीज़ों से ही बनाई जाती हैं। एक मसालेदार, पुदीने की चटनी बनाई जाती है। चटनी के लिए पुदीना यहां उगाया जाता है। दूसरा एक दही की चटपटी चटनी बनाई जाती है। इसके लिए दही पड़ोसियों से ली जाती है और तीसरी तरह की फलों से मीठी चटनी बनाई जाती है। इसके लिए मौसमी फलों का इस्तेमाल किया जाता है। प्लम से लेकर खुबानी और नाशपाती, सेब तक की मीठी चटनी बनाई जाती है।
स्थानीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए, प्रॉसेस्ड तेल का उपयोग करने के बजाय, दिन का ज्यादातर खाना पकाने के लिए घी का उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह हिमाचाल में रहनेवाले लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध है। भोजन पकाने के लिए फैंसी मसालों का उपयोग नहीं किया जाता है। ज्यादातर सामान क्षेत्र में स्थानीय लोगों से ही लिए जाते हैं। वह कहते हैं, “हिमाचल में धनिया, लहसुन और अन्य मसाले और हर्ब्स काफी उगाए जाते हैं।”
होमस्टे में जो सबसे लोकप्रिय स्थानीय व्यंजन परोसी जाती है वह है सिधु – यह एक तरह की स्टीम रोटी होती है, जिसके अंदर कुछ भरा जाता है। साथ में दी जाती है लिंगरी। यह एक स्थानीय रूप से उगाई गई सब्जी है। रयान बताते हैं, “हमारी संपत्ति के पास से एक पानी की धारा बहती है, हम मेहमानों को वहां एक छोटी सी सैर के लिए ले जाते हैं। लिंगरी उसी धारा में उगता है।”
यहां के लोग सस्टेनेबल बनते नहीं, होते हैं

डाल्टन्स विलेज में रयान, अपनी धीमी गति से पके हुए पाहड़ी मटन और राजमा (किडनी बीन्स) के लिए भी प्रसिद्ध हैं। राजमा, वह अपनी जमीन पर ही उगाते हैं। भोजन आमतौर पर गुड़ या सौफ के साथ समाप्त होता है। लेकिन मेहमान भोजन के लिए अपने अनुरोध डाल सकते हैं।
रयान कहते हैं, “हिमाचाल में रहनेवाले लोग ‘सस्टेनेबल’ शब्द को नहीं समझते हैं, क्योंकि उनके लिए यह रोज़ का जीवन है। उनके लिए यह कोई नई बात नहीं है।” यहां तक कि एक फल का जीवन चक्र पूरी तरह से सस्टेनेबल है। उनके खेतों में उगाए गए केले का आनंद मेहमान खूब लेते हैं। फलों के छिल्के मवेशियों को खाने के लिए दिए जाते हैं। बदले में जानवरों के गोबर का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है।
स्थान: कुल्लू जिला, हिमाचल प्रदेश
बेड और बाथ: चार बेडरूम और पांच बाथरूम
आकार: लगभग आधा एकड़
इसे बनाने में समय लगा: पूर्ण रेनोवेशन के लिए सात महीने
मूल्य: प्रति रात 1,000 रुपये (पीक सीज़न के दौरान 2,500/रात)
मूल लेखः आरुषी अग्रवाल
संपादनः अर्चना दुबे
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