यह बताने की ज़रूरत नहीं कि हिमाचल प्रदेश की सैंज घाटी के कण-कण में प्राकृतिक खूबसूरती झलकती है। इसी खूबसूरती के बीच सुचिता और विकास त्यागी ने ‘शान ‘ए’ घर होम्स’ नाम का हिमाचल में होमस्टे बनाया। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के पास बना यह होमस्टे किसी फिल्म सेट से कम नहीं है। इसे पारंपरिक काठ कुनी आर्किटेक्चर को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। यहां मेहमानों के लिए आठ कमरे और वॉशरूम बनाए गए हैं।
38 वर्षीया सुचिता और 40 वर्षीय विकास त्यागी को यह खूबसूरत होमस्टे बनाने और पूरी तरह तैयार करने में करीब तीन साल लगे। द बेटर इंडिया से बात करते हुए सुचिता ने बताया कि सदियों से लोग इस पारंपरिक तरीके से घर बनाते आ रहे हैं। इस तकनीक में घर बनाने के लिए प्राथमिक सामग्री के तौर पर लकड़ी, पत्थर और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है।
इस तकनीक से घर बनाने में सीमेंट का उपयोग नहीं होता और यह भूकंप प्रतिरोधी भी है। यह तकनीक यहां के लिए काफी अच्छी है, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र में भूकंप का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा, इस तकनीक में जिन समाग्रियों का इस्तेमाल होता है, वे हर तरह के मौसम के प्रभाव से बचाने में भी मदद करते हैं।
हिमाचल में होमस्टे बनाने के लिए महीनों की रिसर्च

सुचिता कहती हैं, “बाहर का मौसम गर्म हो या ठंडा, हम अंदर हमेशा अच्छी तरह से सुरक्षित और आराम से रहते हैं।” काठ कुनी, उत्तरी भारत की पहाड़ियों में इस्तेमाल किए जाने वाली एक स्वदेशी तकनीक है। इसमें संरचना बनाने के लिए लकड़ी के बीम और पत्थरों को वैकल्पिक रूप से स्टैक करके रखा जाता है।
इस तकनीक का इस्तेमाल करके सात मंजिल तक घर बनाए जा सकते हैं। कहा जाता है कि इस पद्धति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से पहुंचाया गया है। इस क्षेत्र में इस तकनीक का उपयोग करके कई पुराने मंदिरों का निर्माण हुआ है।
शहर में रहनेवाले सुचिता और विकास, साल 2018 की शुरुआत में इस क्षेत्र की सुंदरता से काफी आकर्षित हुए। सुचिता बताती हैं कि उन्होंने शहरों के शोर-गुल से दूर इस जगह पर ही रहने का फैसला किया। इन दोनों के पास न तो आर्किटेक्चर की कोई डिग्री थी और न ही घर बनाने में पहले का कोई अनुभव। लेकिन दोनों ने महीनों तक रिसर्च की और अपने सपने को हकीक़त में बदलने के लिए स्थानीय राजमिस्त्री के साथ कोलेबोरेट किया।
मेहमानों की सुविधा के लिए किए कुछ बदलाव
विकास कहते हैं, “यह हमारा घर है। जब आप यहां रहने के लिए आते हैं, तो हम आपके लिए अपने घर का एक हिस्सा खोलते हैं। कई बार मेहमान ऐसी चीज़ों की डिमांड करते हैं, जो उन्हें सिर्फ किसी होटल या रिज़ॉर्ट में ही मिल सकती हैं। हिमाचल में होमस्टे की तलाश में यहां जो भी मेहमान आते हैं, हम बस उनसे इतना चाहते हैं कि वे इस बात का ध्यान रखें कि वे जहां रहने आ रहे हैं, वह किसी और का घर है।”
उन्होंने यहां आने वाले लोगों को सुविधा के लिए डिज़ाइन में छोटे-छोटे बदलाव किए हैं, लेकिन पारंपरिक आर्किटेक्चर के सार को बरकरार रखा है। सुचिता बताती हैं, “इस क्षेत्र के पारंपरिक घरों में अटैच्ड टॉयलेट नहीं होते हैं। यह हमेशा मुख्य घर से कुछ मीटर की दूरी पर होता है। लेकिन अपने मेहमानों की सुविधा के लिए, हमने घर के भीतर शौचालय बनाया है।”

सुचिता जब 2018 में सैंज घाटी की यात्रा पर आईं, तो इस जगह को देखते ही उन्हें “पहली नजर में प्यार” हो गया था। वह कहती हैं, “आश्चर्यजनक बात यह है कि वह प्यार तब से लेकर आज तक कम नहीं हुआ। लेकिन मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह मेरे जीवन का इतना अभिन्न अंग बन जाएगा।”
हिमाचल में होमस्टे के क्या हैं चार्जेज़?
हालांकि दोनों का घर बनाने का इरादा मजबूत था, लेकिन घर बनाने की यह प्रक्रिया आसान नहीं थी। सुचिता कहती हैं, “चूंकि यह क्षेत्र यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के अंतर्गत आता है, इसलिए यहां कई तरह के प्रतिबंध हैं। हम किसी भी तरह से क्षेत्र के वनस्पतियों और जीवों को परेशान या नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं। तेज संगीत बजाने की अनुमति नहीं है और हमें काफी सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को किसी तरह की परेशानी न हो।”

इस रिसॉर्ट में स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल करते हुए सुंदर और प्रमाणिक डिजाइन के साथ बड़े और आरामदायक कॉटेज बनाए गए हैं। यहां अक्सर स्थानीय भोजन परोसा जाता है। सुचिता कहती हैं कि वह अपने मेहमानों के लिए भोजन तैयार करने में बहुत सावधानी बरतती हैं।
यहां एक रात रुकने का किराया 3,500 रुपये है, जिसमें नाश्ता शामिल है। सुचिता बताती हैं, “मेहमान आमतौर पर हमारे साथ कम से कम चार रात रुकते हैं। तभी वे संपत्ति के वास्तविक सार का आनंद लेने में सक्षम होते हैं। वे आस-पास के गांवों की यात्रा का आनंद लेते हैं और शुद्ध हवा-पानी का मज़ा लेते हैं। जब वे हमारे साथ होते हैं, तो वे ताज़ी उपज का स्वाद भी लेते हैं।”
परोसा जाता है शुद्ध शाकाहारी व पारंपरिक भोजन

सुचिता बताती हैं, “हम अपने मेहमानों से क्रॉस लेग्ड फर्श पर बैठने का आग्रह करते हैं और हम पत्तल पर भोजन परोसते हैं। हम मांसाहारी भोजन नहीं परोसते हैं। हमारे यहां स्थानीय सब्जियां और दालें परोसी जाती हैं। हमारी बनाई अलग-अलग तरह की चटनियां हमेशा मेहमानों को पसंद आती हैं।”
हिमाचल में होमस्टे के निर्माण की लागत पर बात करते हुए सुचिता ने बताया, “होमस्टे का प्रबंधन और रख-रखाव इसे बनाने की तुलना में अधिक महंगा है। हमें मिट्टी को पॉलिश करते रहना पड़ता है और यह सुनिश्चित करना होता है कि यह जगह उन कीड़ों से मुक्त हो, जो मिट्टी को खोखला करते हैं। ”
यहां कुछ समय बिताने वाले एक गेस्ट सिद्धांत चौकशे इसे हरे-भरे खेतों और सेब के बागों से घिरा हरा आश्रय बताते हैं। वह यहां परोसे जाने वाले भोजन का भी विशेष उल्लेख करते हैं। यहां रुकने वाले एक दूसरे गेस्ट सम्राट उपाध्याय कहते हैं कि इस जगह का पेट-फ्रेंड्ली होना यहां कि सबसे बड़ी खासियत है। वह कहते हैं, “यह मंत्रमुग्ध करने वाले दृश्यों के साथ एक अद्भुत जगह है।”
अंत में सुचिता कहती हैं, “अगर आप चहकते पक्षियों, बर्फ से ढके पहाड़ों, खूबसूरत घास के मैदानों, मुक्त बहती नदियों, नहाने के लिए झरनों, कई बड़ी और छोटी जल धाराओं, साफ नीले आसमान और टिमटिमाते सितारों का आनंद लेना चाहते हैं, तो यह जगह निश्चित रूप से आपके लिए है।”
होमस्टे के बारे में और जानने के लिए यहां देखें।
मूल लेखः विद्या राजा
संपादनः अर्चना दुबे
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