Placeholder canvas

सफलनामा! 2 रुपये से शुरुआत कर कल्पना सरोज कैसे बनीं करोड़ों की मालकिन?

Kalpana Saroj

महाराष्ट्र की रहनेवाली कल्पना सरोज ने 16 साल की उम्र तक हर तरह की तकलीफें झेलीं, लेकिन हार न मानकर आगे बढ़ते हुए, उन्होंने कमाल ही कर दिखाया।

आज की कहानी ‘Original Slumdog Millionaire’ कही जाने वाली कल्पना सरोज की, जिन्होंने 16 साल की उम्र तक गरीबी, घरेलू हिंसा, अन्याय जैसे कई दुख सहे और 2 रुपये की मजदूरी से शुरुआत कर 2 हज़ार करोड़ के साम्राज्य की मालकिन बन गईं। 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के छोटे से गांव रोपरखेड़ा में बेहद गरीब परिवार में कल्पना का जन्म हुआ।

कल्पना को हमेशा से ही पढ़ने-लिखने का काफी शौक था, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत ऐसी थी कि बड़ी मुश्किल से घर का खर्च चलता था। ऐसे में उनका एडमिशन किसी बड़े स्कूल में करा पाना संभव नहीं था। उन्होंने गांव के ही एक सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू की, लेकिन स्कूल में दलित होने के कारण उन्हें बच्चे चिढ़ाया करते थे।

फिर भी उन्होंने स्कूल जाना नहीं छोड़ा, लेकिन महज़ 12 साल की उम्र में उनकी शादी, उम्र में 10 साल बड़े लड़के से कर दी गई। शादी के बाद, कल्पना अपने पति के साथ मुंबई की एक झुग्गी में पहुंची, जहाँ छोटी-छोटी गलतियों पर उन्हें मारा-पीटा जाने लगा। कल्पना हर तरह से बिल्कुल टूट चुकी थीं।

पिता को देख रोक न सकीं आंसू

Kalpna Saroj
Kalpna Saroj

शादी के 6 महीने बाद, जब कल्पना के पिता उनसे मिलने आए, तो कल्पना उनसे लिपटकर बहुत रोईं और पिता भी अपने आंसू रोक न सके। वहां कल्पना की हालत देख और सारी बातें जानने के बाद, वह कल्पना को साथ लेकर घर आ गए। लेकिन समाज को एक शादी-शुदा औरत का मायके आकर रहना किसी अपराध से कम नहीं लगा।

कल्पना सरोज और उनके परिवार को इतने ताने दिए गए कि तंग आकर उन्होंने 16 साल की उम्र में आत्महत्या करने की कोशिश की।हालाँकि, समय रहते उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनकी जान बच गई और इस घटना ने सरोज के नज़रिये को पूरी तरह से बदल दिया। कल्पना ने तय किया कि वह कुछ काम करेंगी।

एक पुलिस कॉन्स्टेबल की बेटी होने के नाते उन्होंने, पुलिस र्फोस में जाने की कोशिश की, लेकिन कम पढ़े-लिखे होने के कारण वह ऐसा कर नहीं पाईं और तब वापस मुंबई आकर उन्होंने 2 रुपये रोज़ के हिसाब से एक होजरी कंपनी में काम करना शुरू किया।

बहन को दम तोड़ता देख कल्पना सरोज ने ठानी कुछ बड़ा करने की

Kalpna Saroj & ex President of India Pranav Mukharjee
Kalpna Saroj & ex President of India Pranav Mukharjee

2 साल बाद, कल्पना ने पैसों की तंगी के कारण अपनी नज़रों के सामने बहन को दम तोड़ता देखा और तब उन्होंने कुछ बड़ा करने की ठानी। उन्होंने 50,000 रुपये का कर्ज़ लेकर एक सिलाई मशीन खरीदी और खुद सिलाई का काम शुरू किया। धीरे धीरे काम चल पड़ा और उन्होंने एक बुटीक शुरू किया।

22 साल की उम्र में कल्पना सरोज ने एक फर्नीचर बिज़नेस भी शुरू किया और एक स्टील व्यापारी से दूसरी शादी कर ली, जिनसे उन्हें एक बेटा और एक बेटी हुए, लेकिन 1989 में उनके पति का निधन हो गया। हालांकि तब तक कल्पना मुंबई में एक बड़ा नाम बन चुकीं थीं।

कुछ समय बाद, देश में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया और सुप्रीम कोर्ट ने 17 सालों से बंद पड़ी ‘कमानी ट्यूब्स’ को मालिकों के हाथ से लेकर वर्कर्स को कंपनी चलाने के लिए दे दी। तब वर्कर्स कल्पना के पास मदद के लिए आए और साल 2000 में कल्पना ने कंपनी के सारे विवाद, सारे कर्ज़ का निपटारा करवाया और कोर्ट की हर सुनवाई में जाने लगीं।

पद्म श्री और राजीव गांधी रत्न अवॉर्ड से की गईं सम्मानित

आखिरकार 21 मार्च 2006 को कोर्ट ने कमानी ट्यूब्स की कमान कल्पना के हाथों में दे दी। न ट्यूब्स की नॉलेज और न ही मैनेजमेंट का ज्ञान फिर भी कल्पना ने वर्कर्स के साथ मिलकर मेहनत और हौसले के बल पर 17 सालों से बंद पड़ी कंपनी में जान फूंक दी। 

आज कल्पना सरोज, कमानी स्टील्स, कल्पना बिल्डर एंड डेवलपर्स, केएस क्रिएशंस जैसी दर्जनों कंपनियों की मालकिन हैं। समाजसेवा और उद्यमिता के लिए कल्पना को पद्म श्री और राजीव गांधी रत्न के अलावा देश-विदेश में दर्जनों अवॉर्ड्स मिल चुके हैं। आज कल्पना का जीवन न केवल देश, बल्कि दुनिया भर की महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

यह भी पढ़ेंः सफलनामा! कभी बेटी के लिए जूते खरीदने तक के नहीं थे पैसे, आज खड़ी कर दी शूज़ इंडस्ट्री

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X