नॉनस्टिक के टक्कर में खड़ा किया पारंपरिक बर्तनों का बिज़नेस, तीन गुना हो रहा है मुनाफा

Traditional Cookware

कोचीन, केरल की काविया चेरियन ने अगस्त 2020 में ‘Green Heirloom’ नामक Cookware Business की शुरुआत की थी।

“मैं चाहे किसी भी बर्तन में रसम बना लूँ, लेकिन मेरी दादी के ईय चोम्बू (टिन का बर्तन) में बने रसम का स्वाद, हमेशा सबसे अच्छा और अलग होता है। मेरी दादी अपने परंपरागत बर्तनों (Traditional Cookware) में, दुनिया का सबसे अच्छा कटहल का हलवा बनाती हैं।” यह कहना है, अपनी दादी (ऐन थॉमस) की कुकिंग से प्रभावित होकर, ऐक्चुरियल साइंस प्रोफेशनल (Actuarial Science Professional) से फ़ूड ऑन्ट्रप्रन्यर बनी, काविया चेरियन का।

वह कहती हैं, “मैं डेढ़ साल से मुंबई में ऐक्चुरियल ऐनलिस्ट के तौर पर काम कर रही थी। लेकिन, मुझे वह संतुष्टि नहीं मिली, जिसकी मुझे तलाश थी।” जनवरी 2019 में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, वह केरल के कोचीन में अपने माता-पिता के पास रहने लगीं। इसके बाद, वह कुछ दिनों के लिए अपने दादा-दादी के पास तिरुवल्ला चली गईं।

Kaviya Cherian

उन्होंने बताया, “मेरी दादी की मोतियाबिंद की सर्जरी हुई थी, इसलिए मैं वहां घर में, उनकी मदद करने के लिए गई। हालांकि, वह अपनी सर्जरी के बाद खाना नहीं बना सकती थीं, लेकिन वह बाहर आराम से बैठकर, मुझे क्या-कैसे करना है, सब बताती रहती थीं। मुझे पारंपरिक बर्तनों (Traditional Cookware) में, खाना पकाना बहुत अच्छा लगता था। ये बर्तन पीढ़ी दर पीढ़ी से इस्तेमाल में लिए जा रहे थे।”

हालांकि, आज भी कई घरों में परंपरागत बर्तनों (Traditional Cookware) का इस्तेमाल होता है। लेकिन, जब काविया ने कई दुकानों में ऐसे बर्तन ढूंढ़ने की कोशिश की, तो उन्हें ये वहां नहीं मिले। उन्होंने बताया, “अगर मैं किसी बड़े सुपरमार्केट में ये बर्तन लेने जाती, तो मुझे नॉन-स्टिक बर्तनों का बड़ा सा कलेक्शन तो दिख जाता, लेकिन वहां पारंपरिक बर्तन मिलने मुश्किल होते।” इसी कमी को पूरा करने के लिए, काविया ने अगस्त 2020 में ‘Green Heirloom’ नाम से पारंपरिक बर्तनों का एक बिजनेस शुरू किया।

मेरी दादी की रसोई से

From grandma with love

काविया पूछती हैं, “क्या आप जानते हैं कि नॉन-स्टिक बर्तनों को सिर्फ छह साल तक ही, अच्छे से इस्तेमाल किया जा सकता है?”
वह आगे कहती हैं, “टिकाऊ होने के नज़रिए से देखें, तो पारंपरिक बर्तनों (Traditional Cookware) में निवेश करना, साधारण बर्तनों के मुकाबले कहीं बेहतर है। मेरी दादी की रसोई के कुछ बर्तन तो उनसे भी पुराने हैं, जिनका इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है।”

वह कहती हैं, “इसके अलावा, पारंपरिक बर्तनों (Traditional Cookware) में पके खाने का अलग स्वाद भी आप तभी समझ सकेंगे, जब आप खुद इनका इस्तेमाल करेंगे। जो डिश एक साधारण नॉन-स्टिक कड़ाही में बनाई जाती है, उन्हीं सामग्रियों और रेसिपी के साथ, अगर आप वही डिश किसी पारंपरिक बर्तन में बनाते हैं, तो आपको खाने के स्वाद में साफ अंतर पता चलेगा। इन बर्तनों में बनाये गए व्यंजन, ज्यादा स्वादिष्ट लगते हैं।”

काविया कहती हैं, “अगर आप किसी नॉन-स्टिक कड़ाही में इमली के साथ, फिश करी बनाते हैं और वही डिश किसी मिट्टी के बर्तन में पकाते हैं, तो दोनों का स्वाद बिल्कुल अलग होता है। कोई भी एसिडिक खाना, जब मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है, तो वह एल्क्लाइन हो जाता है, जिसे पचाना हमारे लिए आसान हो जाता है।” एल्क्लाइन डाइट लेने से हमारे शरीर का pH संतुलित रहता है। काविया कहती हैं, “हमारी दादी-नानी जिस तरह से खाना बनाती थीं, उसके पीछे बहुत सारा विज्ञान था।”

लॉकडाउन में शुरू हुआ बिजनेस

Traditional Cookware
Have you made the switch yet?

लॉकडाउन के दौरान, काविया ने बिजनेस शुरु करने का मन तो बना लिया, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां भी थीं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि वह बर्तन बनानेवाले वेंडर्स से मिलने नहीं जा सकीं। वह कहती हैं, “लॉन्च से ठीक पहले जून 2020 में, मुझे वेंडर्स से फ़ोन पर या विडियो कॉल पर बात करके काम चलाना पड़ा। मुझे यह सुनिश्चित करना था कि बिजनेस की शुरुआत करने के लिए, मुझे सही उत्पाद मिल रहे हैं या नहीं। जैसे ही लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिली, मैंने वेंडर्स से मिलने के लिए यात्राएं करनी शुरू कर दी। साथ ही, उन उत्पादों की खुद जांच की, कि जो भी सामान मैं खरीद रही हूँ, वह सही है या नहीं।

लगभग 3.5 लाख रुपये के निवेश के साथ, अपने बिजनेस की शुरुआत करने वाली काविया कहती हैं, “मैंने अपने बिजनेस के लिए, बजट पहले से सोच रखा था और मैंने उसी बजट में काम करने की कोशिश की। यूट्यूब वीडियो की मदद से मैंने शुरुआत करने के लिए, खुद ही एक वेबसाइट बनाई। जब बिजनेस चलने लगा, तो मैंने वेबसाइट के लुक को और अच्छा बनाने के लिए निवेश किया।”

‘Green Heirloom’ में बिकने वाले बर्तन, देशभर से आते हैं। वह कहती हैं, “बिजनेस के लिए, मैं कास्ट आयरन से बने बर्तनों को मदुरै (तमिलनाडु) से मंगवाती हूँ। जबकि सोपस्टोन (कल चेट्टी) से बने बर्तनों को सलेम के एक दंपति से लिया जाता है। हमारे पास उत्तर पूर्व क्षेत्र के बर्तन भी हैं।”

Appam and stew made in the traditional cookware

काविया ने लगभग 20 उत्पादों के स्टॉक के साथ शुरुआत की और धीरे-धीरे वह हर महीने उत्पादों को बढ़ाती जा रही हैं। उन्होंने अपने हर उत्पाद की कीमत तय करने में भी काफी समय लगाया है।

उन्होंने बताया, “बाजार में और भी कई सारे ब्रांड हैं, लेकिन मैं इस बिजनेस में अपनी एक जगह बनाना चाहती थी। ये उत्पाद काफी नाज़ुक होते हैं, इसलिए इनकी पैकेजिंग में भी ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। उत्पादों की कीमत तय करते समय, मैंने इन सब पहलुओं पर भी गौर किया।”

उनके उत्पादों की कीमत, बाजार में मौजूद उत्पादों के बराबर ही है। उनके टेराकोटा क्ले कर्ड सेटर (दही जमाने वाला बर्तन) की कीमत 450 रुपये से लेकर ब्रॉन्ज़ उरुली (कांसे का कटोरा) और बर्तनों की कीमत 5900 रुपये तक है। पिछले साल, मार्च 2020 में जब पहला लॉकडाउन लगा था, तब कई लोगों ने स्वस्थ खाना खाने के लिए परंपरागत बर्तनों (Traditional Cookware) का इस्तेमाल करना शुरू किया और अपनी संस्कृति से फिर एक बार जुड़ने की कोशिश की।

इसके बारे में काविया कहती हैं, ”इससे ​​हमें काफी प्रोत्साहन मिला। साथ ही, हम ऐसी स्थिति में थे कि जो लोग इन बर्तनों को ऑनलाइन खरीदना चाहते थे, उनके ऑर्डर को पूरा कर सके।”

पारंपरिक बर्तन

Traditional Cookware
An uruli and mortar and pestle

‘Green Heirloom’ में मिट्टी, कास्ट आयरन, पत्थर और कांसे से बने उत्पादों की बिक्री होती है। यहां आप तवा, कड़ाही, स्किलेट, अप्पम पैन, ऊखल-मूसली, कांसे का कटोरा और यहां तक ​​​​कि कांसे का पुट्टू मेकर भी ऑर्डर कर सकते हैं।

कई लोग इन बर्तनों का इस्तेमाल करने से कतराते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि इनके रखरखाव में काफी समय और मेहनत लगती है। इस बारे में काविया कहती हैं, ”आप जैसे-जैसे इन्हें इस्तेमाल करने लगते हैं, आपको इनका रखरखाव भी करना आ जाता है। बस आपको इतना ही करना है कि जैसे ही खाना बन जाये, आप उस बर्तन को अच्छे से धोकर, थोड़ा सा तेल लगाकर रख दें।” वह आगे कहती हैं कि मिट्टी के बर्तनों का रखरखाव तो और भी आसान है। इन्हें पानी से अच्छे से धो लेने के बाद, आप फिर से इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।

वह बताती हैं, “चूँकि, ये बर्तन ग्राहकों के लिए नये हैं, इसलिए वे हमसे उम्मीद करते हैं कि हम इनसे जुड़ी ज्यादा से ज्यादा जानकारी उन्हें दे। ग्राहकों के पास बर्तनों से जुड़े कई सवाल होते हैं और मैं आमतौर पर उन सभी के जवाब देने के लिए हमेशा हाजिर रहती हूँ। ‘Green Heirloom’ के बहुत से ग्राहक टियर-1 शहरों जैसे- पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली और मुंबई से हैं। इसे देखते हुए, हमें अपने बर्तनों के साइज़ को स्टेंर्डडाइज़ करने की जरूरत है।”

Packages ready for dispatch

आजकल ज्यादातर लोग छोटे परिवार में रहते हैं, जिस वजह से वे छोटे साइज़ के बर्तन लेना ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि, इनकी देखरेख भी आसानी से हो जाती है। वह कहती हैं, “हम अपने हर उत्पाद के साथ, ग्राहक को एक मैनुअल भेजते हैं, जिसमें बर्तन के रखरखाव से जुड़ी सभी जानकारियां होती हैं।”

Traditional Cookware
Ann Thomas

अभी तक ‘Green Heirloom’ का बिजनेस, बिना किसी मार्केटिंग के और ऑर्गेनिक तरीके से ही बढ़ा है। काविया का कहना है कि उन्होंने शुरुआत से अभी तक, अपने बिजनेस के राजस्व में तीन गुना बढ़त देखी है। ‘Green Heirloom’ के केरल, तमिलनाडु और उत्तर पूर्व में सात वेंडर्स हैं। काविया को इस बात की सबसे ज्यादा ख़ुशी है कि वह महामारी के इस दौर में भी, अपने वेंडर्स को सपोर्ट कर पा रही हैं।

यदि आप काविया से संपर्क करना चाहते हैं, तो यहां क्लिक करें।

मूल लेख: विद्या राजा

संपादन- जी एन झा

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