कैसे करें? शू लॉन्ड्री बिज़नेस, Revival की फाउंडर शाज़िया क़ैसर से जानिए पूरा प्लान

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मिलिए 39 साल की शाज़िया क़ैसर से, जो अकेली खुद के दम पर 'रिवाइवल' नाम से शू लॉन्ड्री का बिज़नेस चला रही हैं। चलिए जानें कुछ हटकर बिज़नेस शुरू करने की क्या दिक्कतें और फायदे होते हैं।

घर से शुरू होने वाले बिज़नेस के अलावा, कई लोग बड़ी शुरुआत और कुछ नया करने का सपना देखते हैं। ऐसा ही एक सपना, पटना (बिहार) की शाज़िया क़ैसर ने भी देखा था। हालांकि, उन्होंने पढ़ाई फ़िज़ीओथेरपी की की है। लेकिन आज वह ‘रिवाइवल’ नाम से बिहार का एकलौता शू लॉन्ड्री सर्विस बिज़नेस चला रही हैं। 

सुनने में कुछ अलग सा लगा न? दरअसल, इसके पहले वह यूनिसेफ़ के एक प्रोजेक्ट के लिए काम कर रही थीं।  लेकिन खुद का बिज़नेस शुरू करने के लिए उन्होंने एक छोटी सी शुरुआत की और जीवन में एक रिस्क भी लिया। शुरुआत में कई लोगों को उनका काम समझ में भी नहीं आ रहा था। लेकिन आज शाज़िया 10 हज़ार से ज़्यादा लोगों को अपनी सर्विस दे चुकी हैं। 

बिहार के कई नेता, अभिनेता उनके ग्राहक की लिस्ट में शामिल हैं। उनका बिज़नेस जूते की सोल बदलने से लेकर, फटे जूतों को नया रूप-रंग देने के तक का काम करता है। अपनी हटकर सर्विस के कारण ही वह आज देशभर में मशहूर हो गई हैं। 

लेकिन घर और बच्चों की ज़िम्मेदारी के साथ उन्होंने कैसे की एक हटकर बिज़नेस की शुरुआत, आइए जानते हैं-

shoe laundry business

1. क्या है शू लॉन्ड्री बिज़नेस?

शाज़िया-  “शू लॉन्ड्री में आपके किसी भी पुराने जूतों की सिलाई, धुलाई या डाई करके नया लुक दे दिया जाता है। अगर जूतों का रंग खराब हो गया है, तो इसे कलर/डाई के ज़रिए ठीक किया जाता है। वहीं, अगर किसी कारण से अच्छे जूते थोड़े फट गए, तो इसपर पैच वर्क करके इसे नया बना दिया जाता है। यहां ग्राहक अपने जूतों को मेंटेनेंस के लिए दे सकते हैं, ताकि उनके महंगे जूते सालों साल अच्छे रहें।” 

फैशन के दौर में जहाँ लोग हर एक अवसर के लिए अलग-अलग तरह के जूते पहनना पसंद करते हैं, ऐसे में उनको महंगें जूतों की देखभाल के लिए विशेष सर्विस की ज़रूरत भी पड़ती है। यही कारण है कि ऐसे हटकर बिज़नेस समय की मांग के साथ आपको अच्छी सफलता दिलाते हैं। 

2. क्यों चुना ऐसा हटकर काम?

शाज़िया- “मुझे हमेशा से लगता था कि खाना बनाना या ब्यूटी पार्लर के अलावा भी कई क्षेत्र हैं,  जहाँ महिलाएं काम कर सकती हैं। इसी सोच के साथ मैंने अलग-अलग संभावनाओं को खोजना शुरू किया।  

तभी मुझे मुंबई की एक शू लॉन्ड्री के बारे में पता चला। मैंने देखा कि ऐसा काम और कहीं नहीं हो रहा, तब मुझे लगा इसमें संभावनाएं ज़्यादा हैं। जो लोग 5000 या 10000 के जूते ले सकते हैं,  वह इसकी सर्विसिंग पर कुछ पैसे ज़रूर खर्च कर सकेंगे।  इसी सोच के साथ मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया।”

*आप जिस भी बिज़नेस के बारे में सोच रहे हैं अगर वह हटकर है, तो ध्यान रहे कि इसमें चुनौतियाँ भी ज़्यादा होंगीं और सीखाने वाले कम मिलेंगे। 

how to start shoe laundry business

3. क्या था शुरुआती रिसर्च?

शाज़िया-  “जब मुझे इस बिज़नेस के बारे में पता चला तो मैंने इसके बारे में रिसर्च करना शुरू किया।

मैं नेपाल, भूटान सहित चेन्नई और कोलकाता की लेदर और जूतों की फैक्ट्री में जाकर देखा कि वहां लोग कैसे जूतों को बनाते हैं और देखभाल के लिए क्या करते हैं?

इसके बाद, मैंने पटना आकर लोगों के बीच सर्वे किया कि यहां के लोग अपने जूतों के लिए किस तरह की सर्विस लेना पसंद करते हैं। मैंने देखा कि यहां लोग क्लीनिंग सर्विस से ज़्यादा रिपेरिंग सर्विस लेते हैं। तभी मुझे ख्याल आया कि क्यों न रिपेरिंग के साथ ही मैं लोगों को शू क्लीनिंग के बारे में बताऊँ। इससे उनको नया अनुभव मिलेगा।”  

* आप अपने जैसे बिज़नेस से सीख ज़रूर लें, लेकिन अपने आस-पास के ग्राहकों को ध्यान में रखकर काम की शुरुआत करें।  

4. क्या रहीं शुरुआती दिक्क़तें?

शाज़िया- “जब आप कोई नया काम चुनते हैं, तो आपको समझाने वाला कोई नहीं मिलता। मुझे पता था कि बिज़नेस क्या है और मेरे ग्राहक कौन होंगे? लेकिन यह काम करेगा कौन? यह बड़ा सवाल था। मेरी सर्विस मोची की सर्विस से थोड़ी अधिक थी, इसलिए मुझे ऐसे लोगों की ज़रूरत थी जो प्रोफेशनल हों। मैंने जूते बनाने वालों से सम्पर्क किया और उन्हें अपने साथ काम करने के लिए राज़ी करना एक सबसे बड़ी चुनौती थी।

फिर मैंने जूतों की दुकान में जाकर दुकानदारों को समझाया कि आप अपने ग्राहकों को हमारी सर्विस के बारे में बताएं। शुरुआत में थोड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है। लेकिन एक बार आपकी टीम बन गई और काम मिलने लगे, तो सब आसान हो जाता है और रास्ते मिलने लगते हैं।”  

* अगर आप भी किसी हटकर बिज़नेस के बारे में सोच रहे हैं, तो पता लगाएं कि कौन-कौन से लोग आपके काम में आपकी मदद कर सकते हैं। उन्हें अपने साथ शमिल करें।

5. कितना निवेश किया?

process to start shoe laundry business

शाज़िया- “मैं एक बड़ी शुरुआत करना चाहती थी, जिस तरह का बिज़नेस मैंने चुना था, वह घर से नहीं हो सकता था। इसलिए मैंने किराये पर एक दुकान ली और जूते बनाने वाले कारीगरों को अपने साथ जोड़ा। इस तरह मुझे शुरुआत में करीबन तीन लाख का निवेश करना पड़ा था। एक लाख रुपये दुकान के डिपॉज़िट में लगे, जबकि एक लाख वर्किंग कैपिटल था। वहीं बाकी के एक लाख मैंने दूकान का सामान और क्लीनिंग केमिकल के लिए खर्च किया। मैंने उस दौरान अपनी सेविंग का इस्तेमाल किया था।”  

“हालांकि,  अगर आप कुछ बड़ा करना चाहते हैं, तो कई फ्रेंचाइज़ी बिज़नेस भी एक विक्लप है। लेकिन जब मैंने देखा कि उसमें भी निवेश करना पड़ता है और मेहनत करके ग्राहक बनाने पड़ते हैं। यानी शुरुआती दिक्क़तें उसमें भी आती हैं, तो मैंने सोचा कि क्यों न अपना ही ब्रांड बनाया जाएं।”  

*अगर आप कुछ बड़ा करने की सोच रहे हैं, तो शरुआती निवेश से न डरें। बल्कि यह निवेश ही आपको मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा। 

6. कहाँ और कैसे किया बिज़नेस रजिस्टर?

शाज़िया- क्योंकि मैंने एक दुकान किराये पर ली थी। इसलिए रजिस्ट्रेशन करवाना ज़रूरी था। मैं उस समय जिला उद्योग केंद्र गई थी और MSME के तहत वहीं से अपना बिज़नेस रजिस्टर किया था। मैंने Revival footwear services pvt. Ltd. नाम से अपनी कंपनी को रजिस्टर किया।”  

* तो अगर आप भी बड़े स्तर पर कुछ करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इसके लिए स्थानीय उघोग केंद्र में जाकर अपना बिज़नेस रजिस्टर करवा सकते हैं। या फिर आप ऑनलाइन MSME पोर्टल पर भी रजिस्टर कर सकते हैं। 

7 . मार्केटिंग के लिए क्या किया और पहला ऑर्डर कैसे मिला?

शाज़िया- “जब आप पैसे लगाकर किसी बिज़नेस की शुरुआत करते हैं, तो आपको ध्यान देना होगा कि लोगों तक आपका काम पहुंचे। जब मैंने शुरुआत की थी, तब पटना के एक लोकल पेपर के कॉलम में शहर की नई-नई चीजों की जानकारी दी जाती थी। मेरे पास ज्यादा खर्च करने को पैसे नहीं थे, इसलिए मैंने उस पत्रकार से संपर्क किया, जो उस कॉलम में लिखती थीं। मैंने उनको अपने स्टार्टअप के बारे बताया और उन्हें अपने स्टोर के ओपनिंग समारोह में भी बुलाया।” 

“उस समय उन्हें भी मेरा स्टार्टअप कुछ हटकर लगा था।  इसलिए उन्होंने मेरे स्टार्टअप को अपने अखबार में जगह दी। इससे कुछ लोगों के मेरे काम की जानकारी मिली। मैंने खुद भी अलग-अलग दुकानों में जाकर लोगों को बताया कि हम क्या काम कर रहे हैं। साथ ही मैंने महिला उद्योग समूह की प्रदर्शनी में भी भाग लिया था।”  

“पहले आर्डर की बात करें तो कई लोग हमारी दुकान पर आते और पूछते थे, यहाँ जूते नहीं मिलते फिर आप क्या बेच रहे हो? मुझे सबको समझाना पड़ता कि यह एक सर्विस कंपनी है। ऐसे एक दो ग्राहक ने हमपर विश्वास दिखाया और पहली सर्विस के बाद, हमारे ग्राहक ही दूसरे ग्राहकों को बताते थे।  इस तरह पहले महीने हमें सिर्फ 60 लोगों ने जूते दिए थे।

फिर वॉश के साथ दूसरी सर्विस शुरू होने के बाद, करीबन एक साल हमें अलग-अलग सर्विसेस के भी थोड़े-थोड़े आर्डर मिलने शुरू हुए। लोगों ने अपने महंगे जूतों के लिए हमारे पास आना शुरू किया। इसमें मार्केटिंग का भी बहुत बड़ा रोल है। जितना भी प्रॉफिट हम कमाते थे उसका शुरुआत में उसका 30 प्रतिशत मार्केटिंग में खर्च होता था। इस तरह साल 2016 से अब तक हम 10 हजार से ज़्यादा ग्राहकों तक अपनी सर्विस पंहुचा चुके हैं।”  

*आपको शुरुआत में कोशिश करनी होगी कि जहाँ भी मौका मिले वहां अपने बिज़नेस की जानकारी लोगों को दें। इससे आपको शुरुआत में ग्राहक मिलने में मदद मिलेगी।  

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8. किस सर्विस से की शुरुआत और कैसे बढ़ाया बिज़नेस?

शाज़िया- “मैंने देखा कि कम लोग ही होते हैं, जो अपने जूते नियमित रूप से धोते हैं और कई लोग महंगे जूतों को भी थोड़ा सा फटने पर फेंक देते हैं। हमने सिर्फ वॉशिंग और क्लीनिंग से शुरुआत की थी,  जिसमें हम हर किस्म के जूतों को वॉश करते थे। फिर जैसे गाड़ी में डेंट को साफ किया जाता था, वैसे हम ही पुराने डेंट को साफ करके नया करते थे। अगर जूते 5000 या 10 हजार के हैं, तो लोग साल में एक बार 900 रुपये खर्च करके इसे मेन्टेन करा सकते हैं।”  

“धीरे-धीरे हमने डाई करना शुरू किया, जिसमें हम ग्राहकों की पसंद से जूतों का रंग भी बदल देते हैं, जिससे थोड़े पैसे में ही उन्हें नए जूतों का अनुभव मिल जाता है। आज हम 500 रुपये से 20-25 हजार के जूतों पर काम करते हैं। हमारा एक पैकेज है, जो 999 में आपके जूते बिल्कुल नए करके देता है। वहीं सामान्य सर्विसिंग या धुलाई के हम प्रति पेयर 300 रुपये लेते हैं।

यह सबके बजट में आ जाता है। मेरे पास पहले तीन ही कारीगर थे, जिन्हें मैं अपने हिसाब से काम सिखाती। लेकिन आज मेरे पास जितने कारीगर हैं सभी सैलरी के हिसाब से काम कर रहे हैं।”  

* आप  एक सर्विस से काम की शुरुआत करें, कुछ सेवाएं आप ग्राहकों की पहचान करके देना शुरू कर सकते हैं। इसमें निवेश भी कम लगेगा और आप अपना मुनाफा बिज़नेस में लगा सकेंगे।  

9. हटकर बिज़नेस करने के फायदे?

शाज़िया- “किसी नई सर्विस या बिज़नेस में काम करने पर लोग शुरुआत में आश्चर्य करते हैं। लेकिन लोग ऐसी सेवाओं के प्रति आकर्षित भी होते हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप कैसे उनके आकर्षण को अपने बिज़नेस में बदलें।”

* हटकर बिज़नेस में रिस्क है, लेकिन प्रतियोगिता कम होती है। ऐसे में आप अपना नाम बना सकते हैं। जैसे शाज़िया ने बनाया। 

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10. कैसे तय करती हैं सर्विस का दाम?

शाज़िया- “पहले तो हम समझ ही नहीं पा रहे थे कि क्या और कैसे रेट फिक्स करें? लेकिन हमने सेटअप तैयार करने के बाद रेट भी तैयार किया।

हम प्रति शू सफाई के 300 रुपये चार्ज करते हैं। इसमें से कारीगर और केमिकल का खर्चा लगभग 110 रुपये आता है। यानी, शुरुआती मुनाफ़ा 190 रुपये का होता है। इसमें से दुकान का किराया और मार्केटिंग का खर्च, करीबन 40 रुपये होता है।
सब मिलाकर हमें150 रुपये का प्रति जूते मुनाफ़ा मिलता है। इसके साथ ही जूतों और प्रोडक्ट पर निर्भर करता है कि किसमें कितना खर्चा होगा। फ़िलहाल, हमें हर दिन क़रीबन 60 जोड़ी जूते सफाई के लिए मिलते ही हैं।”

यानी अगर आप शू लॉन्ड्री बिज़नेस शुरू करते हैं तो आपको लगभग 30 प्रतिशत मुनाफा मिल सकता है।

शाज़िया अब दूसरी महिलाओं को भी ऐसे बिज़नेस से जुड़ने के लिए प्रेरित करती हैं। वह कई लोगों को ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं। तो अगर आप चाहें, तो उनसे रिवाइवल की फ्रेन्चाइसी लेकर छोटे स्तर पर शू लॉन्ड्री बिज़नेस शुरू कर सकते हैं। उनसे आप  https://www.revivalservices.in/ यहां संपर्क कर सकते हैं।  

या अगर आपके दिमाग में किसी दूसरे हटकर बिज़नेस का ख्याल है, तो आप शाज़िया की तरह एक प्रयास ज़रूर करें, क्या पता आपको भी उनकी तरह सफलता मिल जाए। 

वीडियो गाइड

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