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लाल बत्ती लगी गाड़ी नहीं, साइकिल से चलते हैं IAS संदीप, जन-समर्थक पहल से जीता लोगों का दिल

IAS Sandeep G R Chooses Cycle over Govt Car for Inspections

छतरपुर के वर्तमान कलेक्टर संदीप जीआर को लोगों ने प्यार से 'साइकिल आईएएस' का नाम दिया है। साइकिल आईएएस ने जन-समर्थक पहल की शुरुआत की है और मध्य प्रदेश के जिलों में बदलाव लाने की कोशिश रहे हैं।

आमतौर पर जिला कलेक्टर जब नियमित निरीक्षण के लिए निकलते हैं, तो उनकी लाल बत्ती वाली गाड़ी के साथ पूरा काफिला चलता है। लेकिन छतरपुर के कलेक्टर आईएएस संदीप जी आर के मामले में यह थोड़ा अलग होता है। दरअसल IAS संदीप, निरीक्षण के लिए लाल बत्ती वाली गाड़ी नहीं, बल्कि अपनी साइकिल पर यात्रा करना पसंद करते हैं। इससे पहले वह जबलपुर में नगर निगम के कमिश्नर भी रह चुके हैं।

द बेटर इंडिया के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि दरअसल दो दुनिया है। एक ऑफिस में और दूसरी बाहर सड़कों पर। वह कहते हैं, “हमारा मकसद यह देखना है कि हम जो सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, वह आम जनता तक पहुंच रही हैं या नहीं। अगर हम कार से चलेंगे, तो यह समझ पाने में परेशानी होगी।”

इस बारे में विस्तार से बात करते हुए वह बताते हैं कि साइकिल पर यात्रा करने से उन्हें जीवन के वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है और साथ ही इलाके की ज़मीनी हकीकत का भी पता चलता है। वह कहते हैं, “ऑल इंडिया सर्विस से होने के कारण, हमें नई-नई जगहों पर पोस्टिंग मिलती है। ऐसे में इन जगहों को समझने के लिए आपको पैदल या साइकिल से चलना बेहद ज़रूरी है।”

आईएएस संदीप ने कई स्थानीय समस्याओं को किया हल

IAS Sandeep G R Chooses Cycle over Govt Car for Inspections
IAS Sandeep G R Chooses Cycle over Govt Car for Inspections

संदीप ने अपने क्षेत्र की कई समस्याओं को पहचानने और उसका हल निकालने की कोशिश की है। उदाहरण के लिए, उन्होंने देखा कि कैसे जबलपुर के अस्पताल में कई एंट्री प्वाइंट्स होने से उन जगहों पर भारी भीड़ हो रही थी। अस्पतालों में वेटिंग एरिया के प्रबंधन के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर न होने के कारण लोग आस-पास भटकने के लिए मजबूर थे।

इसके अलावा, बहुत सी महिलाएं डिलीवरी के ठीक बाद, धूप सेंकने के लिए बच्चे को लेकर बाहर पार्किंग एरिया में बैठा करती थीं। संदीप अब इन समस्याओं को हल करने लिए काम कर रहे हैं। वह कहते हैं, “अब हम अस्पताल में एक मैटरनिटी विंग बना रहे हैं, जहां हर वॉर्ड में धूप सेंकने के लिए एक बालकनी होगी।”

अपने क्षेत्र को अच्छी तरह से जानने-समझने के अलावा, संदीप ने देश में लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों से निपटने के लिए कई तरह के पहल की शुरुआत भी की है। जैसे- फूड सेक्युरिटी में मदद करने के लिए उन्होंने फलों के जंगल लगाए हैं। वह बताते हैं कि यह विचार उनके मन में इस नौकरी में आने से पहले से था। उन्होंने सोचा कि अगर ऐसा जंगल विकसित किया जाए,  जिसमें साल भर फल लगते हैं, तो गरीब तबके के लोगों के लिए काफी सुविधाजनक होगा।

गरीबों को मिल सकें फल, इसके लिए आईएएस संदीप ने लगाए 30,000 पेड़

trees that are part of the fruit forest
trees that are part of the fruit forest

इस बारे में और बात करते हुए संदीप कहते हैं, “बेशक, हम राशन देते हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों में, अगर हम ये पेड़ लगाएंगे तो फूड सेक्युरिटी का मुद्दा समाप्त हो सकता है।” सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के भीतर खरीद से लेकर वितरण तक एक सप्लाई चेन तंत्र चलती है।

IAS संदीप कहते हैं, “फलों के जंगल विकसित करना एक सेल्फ-सस्टेनेबल और लोकल फूड मॉडल। यह होने से पीडीएस के किसी भी डिमांड सप्लाई के मुद्दों की अनिश्चितता से हम सुरक्षित रहेंगे। यह एक स्थानीय, आत्मनिर्भर, खाद्य सुरक्षा मॉडल है।”

जबलपुर में अक्टूबर 2021 में केले, नींबू, आम, कटहल, शहतूत आदि के लगभग 30,000 पेड़ लगाए गए थे। अब दो से तीन साल के बाद उनमें फल लगने शुरू हो जाएंगे, जो गरीब तबके के लोगों के बीच बांटे जाएंगे। संदीप कहते हैं, “गरीबों के बीच इसे बांटने की प्रक्रिया को ठीक करने में कुछ समय लगेगा और इसकी योजना बनाई जा रही है।”

लेकिन वह अपने शुरुआती पहल के परिणाम से काफी खुश हैं। वह कुछ फूड प्रॉसेसिंग एजेंसियों के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि यह देखा जा सके कि इन्हें कैसे उपयोग में लिया जा सकता है और कैसे वितरित किया जा सकता है? संदीप इसे एक स्थायी मॉडल बनाने पर काम कर रहे हैं।

महिला सुरक्षा के लिए भी उठाए कदम

IAS officer Sandeep discussing local prolems with people of the district
IAS officer Sandeep discussing local prolems with people of the district

आईएएस संदीप जी आर, छतरपुर में 11 एकड़ के प्लॉट में 40,000 पेड़ लगाने पर भी काम कर रहे हैं। खाद्य सुरक्षा के अलावा संदीप महिलाओं की सुरक्षा और साफ-सफाई जैसे मुद्दों को लेकर भी चिंतित हैं और इन दो समस्याओं का हल निकालने की भी जी-तोड़ कोशिश कर रहे थे।

फिर उन्होंने महसूस किया कि इनका समाधान तो काफी सरल है। वह कहते हैं कि अगर किसी जगह में अच्छी रोशनी है, तो वहां अपने आप ही आपराधिक गतिविधियां कम हो जाती हैं और लोग वहां कचरा भी नहीं डालते। इसलिए वह जबलपुर शहर में एलईडी लाइट्स लगाने की पहल की अगुवाई कर रहे हैं।

चूंकि जबलपुर में कम रोशनी वाली लाइट्स हैं और इन्हें बढ़ाने से उनके बजट पर काफी असर पड़ रहा था, इसलिए उन्होंने एलईडी लाइट्स को चुना। यहां केंद्रीय नियंत्रित निगरानी प्रणाली (सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग सिस्टम, सीसीएमएस) होने से भी काफी फायदा है। वह कहते हैं, “जैसे ही लाइट बंद हो जाती है, हम इसे अपने मोबाइल पर देख सकते हैं और हमने 48 घंटे का रिस्पॉन्स टाइम रखा है और हम इसे एक दिन के भीतर ठीक करने में सक्षम हैं।”

हर बेसिक सुविधा को जन-जन की पहुंच में लाना है मकसद

IAS officer with team outside District hospital
IAS officer with team outside of District hospital

कई इलाकों में बहुत सारे लोग बिजली चोरी भी करते थे, जिसका बोझ स्थानीय नगरीय निकाय पर पड़ता था। लेकिन सीसीएमएस ने इस समस्या को भी खत्म कर दिया है। आईएएस संदीप ने बताया, “LED लाइट्स लगाने से हमारी लागत एक तिहाई कम हो गई है।” वह अब शहर भर में 40,000 एलईडी स्ट्रीट्स लाइट लगवाने पर काम कर रहे हैं।

IAS संदीप ने स्वच्छता और सड़क सुरक्षा की समस्याओं के समाधान भी ढूंढ निकाले हैं। उन्होंने कचरा वाहन के आने-जाने का एक विशेष समय और रास्ता तय किया है, जिससे शहर में जगह-जगह पर कचरा इकट्ठा होना कम हो गया है। 

छतरपुर के जिला कलेक्टर संदीप को यहां आए अभी सिर्फ सात महीने हुए हैं, लेकिन इन 7 महीनों में उन्होंने लोगों के दिलों में एक अलग जगह बनाई है। वह अब एक ऐसा शहर बनाने पर काम कर रहे हैं, जहां की सड़कें हों या सार्वजनिक स्थल या फिर दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी) के लिए शौचालय, सबकुछ हर किसी के लिए पूरी तरह से सुलभ हो और हर किसी की बेसिक सुविधाओं तक पहुंच हो।

मूल लेखः आरुषी अग्रवाल

संपादनः अर्चना दुबे

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