कभी बाल मजदूरी करने वाला यह युवक, आज भर रहा है 2 हज़ार गरीबों का पेट!

"जब मैं हैदराबाद आया था तो मुझे याद है कि भूखे पेट ही प्लेटफार्म पर सोया था। उस वक़्त मेरे पास खाना खरीदने के भी पैसे नहीं थे।"

हैदराबाद में रहने वाले 26 वर्षीय मल्लेश्वर राव ने बचपन में कई साल तक बाल-मजदूरी की। क्योंकि उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब थी और उन्हें अपने परिवार के लिए कमाना था। लेकिन कभी बाल मजदूरी करने वाले मल्लेश्वर राव ने आज न सिर्फ अपनी ज़िंदगी बदली है, बल्कि अपने आस-पास के लोगों के जीवन में भी बदलाव की वजह बन रहे हैं।

राव और उनका संगठन- ‘डोन्ट वेस्ट फ़ूड’- शहर में अलग-अलग जगह से खाना इकट्ठा करता है और उसे वे गरीबों और ज़रूरतमंदों में बांटते हैं। इस तरह से हर दिन, राव लगभग 2, 000 लोगों को खाना खिला रहे हैं।

अब तक 26 अवॉर्ड्स, जैसे इंडियन यूथ आइकॉन 2018, और राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड 2019 आदि से सम्मानित हो चुके राव की ज़िंदगी किसी प्रेरणा से कम नहीं।

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अपने बचपन के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया, “मैं निज़ामाबाद में पैदा हुआ और हमारी आर्थिक स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं थी। बचपन में ही मुझे समझ में आ गया था कि अपने और अपने परिवार के लिए मुझे काम करना होगा।”

फिर एक सोशल वर्कर, हेमलता लावनम की नज़र राव पर पड़ी और उन्होंने उसकी ज़िन्दगी बिल्कुल ही बदल दी। इस बारे में वह कहते हैं, “उन्होंने सही में मुझे रास्ते से उठाया था और मुझे पढ़ाया- बस यहीं से मेरी ज़िंदगी बदल गयी।”

राव ने संस्कार आश्रम विद्यालम में रहकर पढ़ाई की, जिसे हेमलता और उनके पति ने मिलकर शुरू किया था। “साल 2008 में उनकी मृत्यु तक, मैं उनके साथ रहा।”

इस स्कूल के बारे में राव बताते हैं, “स्कूल के वातावरण ने हमें बहुत बदल दिया। बहुत ही गरीब तबकों से आने वाले बच्चे यहाँ पढ़ते थे और हम सब साथ ही पले-बढ़े। सेक्स वर्कर्स और देवदासियों के बच्चे मेरे साथ पढ़े। स्कूल में हमेशा हमें वही विषय और स्ट्रीम चुनने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिसमें हमारी दिलचस्पी है।”

इस तरह की परवरिश के बाद, राव लोगों के लिए और समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे।

“मैंने स्कूल से निकलने के बाद, एक आश्रम में जॉब कर ली, जो कि टीबी के मरीजों की देखभाल करता है। इससे मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति काफी सम्भली,” उन्होंने बताया।

Feeding the hungry

कुछ समय तक आश्रम में काम करने के बाद, उन्होंने एक कैटरिंग सर्विस के साथ काम करना शुरू किया। यहाँ पर उन्होंने देखा कि कितनी ज्यादा मात्रा में हर रोज़ खाना बर्बाद हो रहा है। “जब मैं हैदराबाद आया था तो मुझे याद है कि भूखे पेट में प्लेटफार्म पर सोया था। उस वक़्त मेरे पास खाना खरीदने के भी पैसे नहीं थे।”

दूसरे लोगों को भी इस तरह की परिस्थितियों में देखकर, उनके मन में कुछ करने का विचार आया और उन्होंने साल 2012 में ‘डोन्ट वेस्ट फ़ूड‘ शुरू किया। राव अपने कुछ दोस्तों के साथ जाकर शहर की अलग-अलग जगहों से खाना इकट्ठा करते हैं और फिर यह खाना गरीबों में बांटा जाता है। यदि यह खाना राव और उनकी टीम न लेकर आये तो ज़्यादातर वेस्ट होता है।

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“एक छोटी-सी पहल से शुरू हुआ यह काम, अब एक बड़ा अभियान बन चूका है। बहुत से वॉलंटियर्स की मदद से, हम हर रोज़ लगभग दो हज़ार लोगों को खाना खिलाते हैं,” उन्होंने बताया।

यह अभियान अब दिल्ली, रोहतक, और देहरादून जैसे शहरों तक भी पहुँच चुका है और इस तरह से अब कुल 10 हज़ार से भी ज्यादा ज़रुरतमंदों को इस पहल का लाभ मिल रहा है।

Happy children after being fed

पहले राव खुद जाकर जगह-जगह होने वाले आयोजनों में चेक करते थे कि अगर कहीं खाना बचा है और बांटा जा सकता है। लेकिन अब सोशल मीडिया ने इस काम को बहुत आसान कर दिया है। “हमारा एक फेसबुक ग्रुप है, जिसके ज़रिये लोग हमें सम्पर्क करते हैं और मेसेज छोड़ते हैं कि उनके यहाँ से जाकर हम खाना ले सकते हैं। इससे हमारे लिए काम करना बहुत आसान हो गया है।”

उन्हें रेस्तरां, होटल, प्राइवेट इवेंट और फंक्शन से कॉल आती है और कुछ लोग निजी तौर पर भी कॉल करते हैं जो कि अपने घर में देर रात तक पार्टी के बाद बचा हुआ खाना डोनेट कर देते हैं।

Silent workers

इस काम को मैनेज करने के बारे में वह कहते हैं, “वीकेंड पर तो आईटी सेक्टर में काम करने वाले बहुत से लोग वॉलंटियरिंग करने के लिए आ जाते हैं। बाकी यदि किसी दिन कोई नहीं भी होता हो तो मैं खुद ही सारा खाना इकट्ठा करने के लिए निकल जाता हूँ।”

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यदि आप हैदराबाद में रहते हैं और मल्लेश्वर राव की किसी भी तरह से कोई मदद करना चाहते हैं तो 7207103539 पर सम्पर्क कर सकते हैं!

Summary: 26-year-old Malleshwar Rao, a resident of Hyderabad and his organization—Don’t Waste Food—collects food from around the city and feeds the poor. On a daily basis, Rao feeds around 2,000 people. What’s incredible about his story is how the once child-laborer has turned around not just his own life but also impacts the lives of many others today. The recipient of more than 26 awards, including – Indian Youth Icon Award 2018, and Rashtriya Gourav Award 2019, Rao’s journey is inspirational, to say the least.

मूल लेख: विद्या राजा


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