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सिर्फ रु.1 फीस लेते हैं बिहार के आर.के सर, 545 छात्रों को बना चुके हैं इंजीनियर

R. K Shrivastav Best Teacher Of Bihar

मिलिए रोहतास (बिहार) के बिक्रमगंज के रहनेवाले आर.के. श्रीवास्तव सर से, जो देशभर में ‘मैथ्स गुरु’ के नाम से मशहूर हैं। साल 2008 से वह बच्चों को मात्र 1 रुपये गुरु दक्षिणा लेकर पढ़ा रहे हैं।

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय

बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय!!!

गुरु के गौरव  में लिखें ये शब्द आज भी उतने ही अमनोल लगते हैं; जब हम बिहार के आर.के. श्रीवास्तव जैसे किसी शख़्स की कहानी सुनते हैं। पिछले 15 सालों से आर.के. सर उन बच्चों को जीवन में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, जिनके पास हुनर और मेहनत करने का जज़्बा तो है, लेकिन पढ़ने के लिए पैसे या कोई राह दिखाने वाला मेंटर नहीं है। 

अपने गांव में आर.के. सर अपनी स्पेशल क्लासेस चलाते हैं, जो  आज दुनियाभर में ‘एक रुपये  दक्षिणा वाली क्लास’ के नाम से जानी जाती  है।

आर.के. सर मैथ्स के टीचर  हैं और बच्चों को देश के प्रसिद्ध इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजेज़  में एडमिशन लेने में मदद करते हैं।  उनकी क्लास में आकर पढ़ने के लिए हर स्टूडेंट   को मात्र एक रुपया दक्षिणा के रूप में देना होता है। 

 वैसे तो इस काम की शुरुआत उन्होंने सिर्फ़  गरीब बच्चों के लिए की थी, लेकिन समय के साथ आज अमीर-गरीब का फ़र्क  भूलकर, वह हर तरह के बच्चों को पढ़ाते हैं और सभी से मात्र एक रुपये  ही गुरु दक्षिणा के रूप में लेते हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए बड़े मजाकियां अंदाज़  में आर.के. सर ने बताया, “अब मैं एक रुपया तब भी लेता हूँ जब किसी बच्चे का एडमिशन किसी बड़ी कॉलेज में हो जाता है।”

जीवन में इस तरह के काम से जुड़ने के पीछे की उनकी कहानी भी बेहद ख़ास है। 

हमेशा से शिक्षक बनना चाहते थे आर.के. सर 

रोहतास जिला के बिक्रमगंज के रहनेवाले आर.के. सर का पूरा नाम रजनीकांत श्रीवास्तव है। छोटी उम्र में अपने पिता को खो देने के बाद भी उनका बचपन सामान्य तरीक़े से ही बीता; पुश्तैनी खेती से उनका घर चलता रहा। आगे चलकर उनके बड़े भाई ने घर के ख़र्च निकालने के लिए एक ऑटो भी ख़रीद लिया था। आर.के. सर बताते हैं, “बचपन से गरीबी देखकर मैं समझ गया था कि पढ़ाई ही वह कुंजी है जिसके ज़रिए कोई गरीब बच्चा अपने भविष्य को बेहतर बना सकता है।”

इसलिए वह काफ़ी मेहनत और लगन से पढ़ते थे। उन्हें बचपन से गणित और विज्ञान जैसे विषयों में रूचि थी। दसवीं पास होने के बाद उन्होंने भी किसी दूसरे युवा की तरह एक इंजीनियर बनने का सपना देखा था; लेकिन जीवन में कभी-कभी कुछ अच्छा होने के पहले, इंसान को किसी बड़ी परीक्षा से गुज़रना पड़ता है। ऐसा ही कुछ आर.के. सर के साथ भी हुआ। 

Bihar Unique Teacher RK shriwastava
रजनीकांत श्रीवास्तव (आर.के. सर)

2004 में बारहवीं की पढ़ाई के साथ-साथ वह IIT की प्रवेश परीक्षा की तैयारी भी कर रहे थे, लेकिन एग्ज़ाम से कुछ दिनों पहले उनको टीबी की बीमारी हो गई और उन्हें नौ महीनों तक घर पर ही आराम करना पड़ा। 

आर.के. सर बताते हैं, “उस दौरान रेस्ट करते-करते मैंने आस-पास के बच्चों को पढ़ाना  शुरू किया, और यही वह समय था जब मैंने फैसला किया  कि मुझे आगे चलकर टीचर ही बनना है।”

कैसे हुई एक रुपये गुरु दक्षिणा वाली क्लास की शुरुआत?

खुद एक गरीब परिवार से आने वाले आर.के. सर को पता था कि कई बच्चे होनहार होते हुए भी आगे नहीं बढ़ पाते हैं, इसलिए उन्होंने ऐसे बच्चों का मेंटर बनने का फैसला किया। वह बताते हैं, “अगर 2004 में मैं IIT की प्रवेश परीक्षा पास कर लेता तो शायद आज यह काम नहीं कर पाता।”

उन्होंने साल 2009 में मैथ्स में ही मास्टर्स डिग्री हासिल की और इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाना जारी रखा।  वह बताते हैं कि उनके कोचिंग क्लास की शुरुआत साल 2008 में हो गई थी।   

उस समय से वह दसवीं और बारहवीं के बच्चों को मात्र एक रुपये में ही अलग-अलग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे हैं। शुरुआत में वह आस-पास के बच्चों को ही कोचिंग देते थे, लेकिन समय के साथ दूर-दूर से भी कई बच्चे उनके पास पढ़ने आने लगे। वह बताते हैं, “यूं तो मेरे पास आने वाले  बच्चों का रहने और खाने का इंतज़ाम मैं नहीं करता, लेकिन अगर कोई बेहद ही गरीब परिवार से है तो हम उनकी मदद करते हैं।”

अब तक वह 545 बच्चों को मात्र एक रुपये फ़ीस लेकर, इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन दिलवा चुके हैं।  

अपनी इस फ्री कोचिंग क्लास के अलावा वह देशभर के कई प्रसिद्ध क्लासेस में भी मैथ्स पढ़ाने जाते हैं। हाल में वह पटना की अवसर कोचिंग सेंटर में पढ़ा रहे हैं। इसके अलावा वह कौटिल्य कैंपस, हरियाणा और मगध सुपर 30 सहित कई जगहों में गेस्ट टीचर के तौर पर भी पढ़ाने जाते रहते हैं। अपने मैथ्स के ज्ञान के कारण वह देश भर में काफ़ी  मशहूर हैं।  

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आर.के. सर को  ढेरों पुरस्कार मिल चुके हैं

अब तक कई अवार्ड्स जीत चुके हैं आर.के. सर 

देशभर के अलग-अलग संस्थानों में पढ़ाकर वह जो भी पैसे कमाते हैं, उसका ज़्यादातर हिस्सा वह अपनी कोचिंग के बच्चों की मदद में ख़र्च करते हैं। उन्होंने अपनी क्लास में पांच टीचर्स को काम पर रखा है, जो रोहतास में रहकर ही बच्चों को पढ़ाते हैं। 

पाइथागोरस थ्योरम को बिना रुके 52 अलग-अलग तरीकों से सिद्ध करने के लिए उनका नाम, वर्ल्‍ड बुक आफ रिकार्ड्स लंदन में भी दर्ज है। वहीं, उन्हें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई लोगों से ढेरों पुरस्कार मिल चुके हैं। 

फिर भी, अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के बारे में बात करते हुए वह बताते हैं कि अपने पढ़ाए बच्चों से गुरु दक्षिणा में लिए एक-एक रुपये ही उनके जीवन में लाखों-करोड़ों की संपत्ति के समान हैं। वह पूरी ज़िंदगी इसी तरह होनहार बच्चों को आगे बढ़ाने में मदद करते रहेंगे।  

सैकड़ों बच्चों के जीवन में शिक्षा और सफलता की रोशनी लाने वाले इस शिक्षक को द बेटर इंडिया का दिल से सलाम। 

हैप्पी टीचर्स डे! 

संपादन: भावना श्रीवास्तव 

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