Work From Home के साथ शुरू की किसानी, अब सालाना कमा लेते हैं चार से पांच लाख रुपये

Banana Farming by Kuldeep Sharma along with work from home

उत्तर प्रदेश के अयोध्या के एक छोटे से गांव में रहनेवाले कुलदीप शर्मा ने लॉकडाउन में केले की खेती (Banana Farming) शुरू की। अब कुलदीप इससे सालाना चार से पांच लाख रुपये कमाते हैं।

कोरोना महामारी के बाद दुनियाभर में काम करने से लेकर, रहन-सहन तक में ढेर सारे बदलाव हुए और उसका सबसे बड़ा उदाहरण है वर्क फ्रॉम होम। बहुत से लोग आज भी अपने घर से ही ऑफिस का सारा काम कर रहे हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो लॉकडाउन के दौरान अपने गांव लौटा था और फिर वर्क फ्रॉम होम करते हुए खेती भी करने लगा। आज यह शख्स केले की खेती (Banana Farming) से सालाना चार लाख रुपये तक कमा रहा है।

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के रहनेवाले कुलदीप शर्मा की। अयोध्या से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ‘पूरे भग्गू सिंह’ गांव के रहनेवाले कुलदीप, किसान परिवार से आते हैं। लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह दिल्ली में नौकरी करने लगे।

कुलदीप ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं एक किसान परिवार से आता हूं। मैंने दादाजी और पिताजी को खेती करते देखा है। लॉकडाउन के दौरान, जब मैं गांव लौटा तो सोचा कि खेती के काम में घरवालों की मदद की जाए। फिर मैंने केले की खेती करने की योजना बनाई, जिसमें मेरी माँ और भाई का पूरा सहयोग मिला।”

गांव की नर्सरी से मिली खेती की प्रेरणा

कुलदीप, दिल्ली में एक पीआर एजेंसी में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर तैनात हैं। कोराना महामारी की वजह से जून 2020 में, जब देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया, तब सरकारी दफ्तरों से लेकर प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोगों को घर से काम करने के लिए कहा गया। ऐसे में, कुलदीप भी अपने गांव लौट आए। गांव के पास की एक नर्सरी में, उन्होंने केले की खेती देखी। उन्होंने सोचा कि क्यों न वह भी केले की खेती में हाथ आजमाएं। इसके बाद, उन्होंने एक एकड़ खेत में 1100 केले के पौधे लगाए।

Kuldeep's Brother Rahul Sharma banana farming in ayodhya
Kuldeep’s Brother Rahul Sharma

कुलदीप बताते हैं, “मैं जब गांव आया, तब मैंने सोच लिया था कि लॉकडाउन के समय का उचित उपयोग करूंगा। केला एक नकदी फसल है। इसकी खेती के लिए मैंने अपने छोटे भाई राहुल शर्मा की मदद ली। हम दोनों ने मिलकर सबसे पहले फसल के लिए खेत को तैयार किया। इस बीच मेरा work from home चल रहा था। मुझे अपने ऑफिस का काम भी करना होता था। मैं सप्ताह के अंत में खासतौर पर शनिवार और रविवार को खेतों में जाकर पौधों की देखरेख करता था।”

केले की खेती (Banana Farming) के दौरान कोई चीज़ समझ न आने पर कुलदीप, कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेते थे। उन्होंने बताया, “मेरे गांव के करीब नर्सरी चलाने वाले शुभम सिंह ने मेरी सबसे अधिक मदद की। वह केले की खेती (Banana Farming) के जानकार हैं। उनसे काफी कुछ सीखने को मिला।”

45 हजार रुपए से शुरू की केले की खेती (Banana Farming)

banana farming by kuldeep sharma along with work from home
Kuldeep Sharma In His Banana Farm (Source: Kuldeep Sharma)

कुलदीप ने खेती के लिए सबसे पहले जमीन को उपजाऊ बनाया। चूंकी जमीन उनके पास पहले से ही थी, इसलिए उन्हें शुरुआत में केवल पौधे और जमीन को खेती के लिए तैयार करने में ही खर्च करना पड़ा। उन्होंने केले के पौधे खरीदे और कुल 45 हजार रुपए की लागत से केले की खेती (banana farming) शुरु की। खाद और कीटनाशक दवाओं में उनका खर्च ज्यादा हुआ, लोकिन मुनाफा भी काफी हुआ। कुलदीप बताते हैं कि उन्हें पहली दफा केले की खेती (banana farming) से कुल 2 लाख रुपये की कमाई हुई।

केले की खेती से सालाना कमाते हैं चार लाख रुपए

गांव में कुलदीप को कई लोगों ने केले की खेती ना करने की सलाह दी। लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान बाजार बंद पड़े हैं। ऐसे में, खेती करना खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। कुलदीप ने इन बातों को दरकिनार किया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक एकड़ में पहली फसल से लगभग 2 लाख रुपए की पहली कमाई की। आज कुलदीप अपने गांव में केले के दो हजार से भी ज्यादा पौधों की खेती कर रहे हैं, जिससे सालाना चार लाख रुपये की कमाई हो रही है।

कोरोना महामारी के बाद, जब धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य हुआ तो कुलदीप को वापस दिल्ली जाना पड़ा। अब वह छुट्टियों में गांव आते हैं। उनके भाई राहुल शर्मा उनकी अनुपस्थिति में पूरी फसल की देखभाल करते हैं। खेती के साथ-साथ, राहुल कॉम्पेटेटीव एग्जाम की तैयारी भी कर रहे हैं।

कुलदीप कहते हैं, “आज के युवा खेती को एक अवसर के रूप में देखें। खेती में आई नई तकनीक से बहुत कुछ अच्छा किया जा सकता है। खेती एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे पार्ट टाइम या फुल टाइम दोनों तरीकों से किया जा सकता है।”

संपादन- जी एन झा

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