4,800 की आबादी वाले इस गाँव में हैं 6000 पेड़, इंटरलॉक रास्ते, वॉटर फ़िल्टर सिस्टम और डिजिटल कार्यालय भी!

राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में स्थित ग्राम पंचायत घमुड़वाली आज देश की स्वच्छ और हरित ग्राम पंचायतों में शामिल होती है। यहाँ के सरपंच राजाराम जाखड़ के नेतृत्व में गाँव में बहुत से विकास कार्य हुए हैं और आगे भी जारी हैं। इन विकास कार्यों को देखते हुए ही घमुड़वाली गाँव को निर्मल गाँव होने का सम्मान प्राप्त है।

मारे देश में पंचायती राज व्यवस्था का अस्तित्व वैसे तो प्राचीन काल में भी मिलता है। लेकिन आधुनिक भारत में इसकी शुरुआत साल 1959 से हुई। पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम, तालुका और जिला आते हैं और सबसे मूल इकाई है- ग्राम पंचायत।

भारत के हर एक गाँव और गाँववालों के विकास और उन्नति के लिए वहां की ग्राम पंचायत ज़िम्मेदार है। यदि देश की हर एक ग्राम पंचायत पूरी ईमानदारी और सजगता से अपने कर्तव्य पूरे करे, तो फिर कोई ग्रामीण रोज़ी-रोटी की तलाश में शहरों में नहीं भटकेगा।

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हालांकि, आज देश में कई गाँव हैं, जहाँ की ग्राम पंचायतों ने विकास के मामलों में शहरों को भी पीछे छोड़ दिया है। इन्हीं विकसित और विकास की ओर अग्रसर गांवों में राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में स्थित ग्राम पंचायत घमुड़वाली का नाम भी शामिल होता है।

लगभग 4, 800 लोगों की जनसँख्या वाले इस गाँव में सरपंच राजाराम जाखड़ की देख-रेख में लगातार विकास कार्य हो रहा है। निर्मल गाँव के अवॉर्ड से सम्मानित इस गाँव में हरियाली और स्वच्छता की कोई कमी नहीं है।

पिछले दो-तीन सालों के भीतर ही लगभग 6, 000 पेड़-पौधे पूरे गाँव में लगाये गये हैं और अभी भी सिलसिला जारी है।

सरपंच राजाराम जाखड़ और ग्राम पंचायत कार्यालय का एक नजारा

द बेटर इंडिया से बात करते हुए 60 वर्षीय राजाराम जाखड़ ने कहा, “हमें जैसे-जैसे फण्ड मिलता रहा, हमने उसे गाँव के विकास में लगाया। हमारे यहाँ शमशान भूमि के लिए काफ़ी जगह दी गयी है। इसलिए उसका सही से रख-रखाव किया और आज इस ज़मीन का बेहतर उपयोग किया जा रहा है। हमने इस शमशान भूमि के चारों तरफ घने पेड़ लगवाये हैं और यह विकास कार्य मनरेगा योजना के तहत करवाया गया। इससे गाँव में लोगों को रोज़गार भी मिला और साथ ही, गाँव में हरियाली का अनुपात भी काफ़ी बढ़ा है।”

इसके अलावा, गाँव के पंचायत भवन और कार्यालय को भी सुधारा गया है। आज घमुड़वाली गाँव के पंचायत भवन में डिजिटल कार्यालय के साथ-साथ सभा आयोजित करने के लिए कॉन्फ्रेंस हॉल आदि का निर्माण भी करवाया गया है। साथ ही, सोलर पैनल भी लगाये गये हैं, ताकि बिजली चले जाने पर किसी भी कार्य में कोई रूकावट न आये।

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पहले ग्रामीणों को कोई सरकारी दस्तावेज बनवाने के लिए या फिर बिल आदि भरने के लिए शहर जाना पड़ता था। लेकिन अब पंचायत भवन में ही ‘ई-मित्र प्लस मशीन’ लग जाने से यह सब काम सिर्फ़ एक बटन दबाने पर ही हो जाता है। साथ ही, अब सीएमओ या फिर पीएमओ के साथ होने वाली जिला मुख्यालय की हर एक बैठक में ग्राम पंचायत विडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए भाग ले सकती है और अपनी समस्याएं बता सकती है।

इसके अलावा, पंचायत कार्यालय के बाहर ख़ूबसूरत पार्क भी बने हैं। यहाँ बच्चों के खेलने के लिए झूले आदि लगवाए गये हैं, तो गाँव के बड़े-बुजूर्ग सुबह-शाम यहाँ सैर पर निकल आते हैं।

बाहर से गाँव के दौरे पर आने वाले मेहमानों के लिए गेस्ट हाउस भी है और अब ग्राम पंचायत यहाँ पर एक पुस्तकालय शुरू करने का भी सोच रही है।

ग्राम पंचायत में लगी ‘ई-मित्र मशीन’ (बाएं) और पंचायत भवन में अतिथियों के लिए बनाया गया गेस्ट रूम (दायें)

सरकार द्वारा गांवों के लिए चलायी जा रही सभी योजनाओं का लाभ घमुड़वाली गाँव के लोगों तक पहुँच रहा है।

“हमने ज़रूरतमंद लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गाँव में लगभग 78 घर बनवा कर दिए हैं। हालांकि, दो घर और बनवाने हैं, पर कुछ ज़मीन की समस्या के चलते दिक्कत आ रही है। लेकिन जैसे ही हमें मौका मिलेगा, हम तुरंत इस पर काम करेंगे,” राजाराम जाखड़ ने कहा।

घमुड़वाली गाँव में सभी रास्ते पक्के हैं, जिन्हें इंटरलॉकिंग टाइल्स से बनाया गया है। सीमेंट से बनीं इंटरलॉकिंग टाइल्स का आकार और डिजाईन कुछ ऐसा होता है कि अगर इन्हें साथ में लगाया जाये, तो बिना किसी तारकोल के ये बिछ जाती हैं। यह सड़क आम तारकोल की सड़कों की तरह आसानी से नहीं टूटती हैं। अगर आपको सड़क बनने के बाद कभी सीवेज आदि का काम करवाना है, तो बिना पूरी सड़क तोड़े; आप कुछ टाइल्स निकालकर काम कर सकते हैं और दुबारा से टाइल्स बिछा सकते हैं। इन सड़कों पर पानी का कोई असर नहीं होता है, पर नाली न होने से सड़कों पर पानी भरने की समस्या हो सकती है और इसीलिए गाँव के हर एक घर के बाहर कुइयाँ (सोखते गड्ढे) बना दिए गए हैं।

इंटरलॉकिंग टाइल्स से बनीं सड़क

इन आधुनिक सड़कों के दोनों तरफ रैलिंग लगाकर, फुलवारी भी लगा दी गयी है, जिससे गाँव की हरियाली बनी रहे।

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गाँव में हर 3 महीने में ग्राम सभा आयोजित करके, गाँव के लोगों की सभी समस्याएं सुनी जाती हैं और फिर विचार-विमर्श कर उनका निपटारा किया जाता है।

“हमारा तो यही उद्देश्य है कि गाँव में किसी को भी कोई तकलीफ न हो और सब मिलजुल कर रहें। बाकी किसी को गाँव में किसी भी तरह की दिक्कत हो, तो सभी गाँववाले आगे बढ़कर मदद करते हैं।”

पानी की समस्या से जूझने के लिए गाँव में एक तालाब भी बनाया गया है। साथ ही, ग्रामीणों को पीने के लिए स्वच्छ पेयजल मिले, इसके लिए ग्राम पंचायत ने वॉटर फ़िल्टर सिस्टम लगवाया है। इसकी क्षमता लगभग 1000 लीटर है। यहाँ से पानी फ़िल्टर होकर गाँव के सभी घरों में जाता है। गाँव में स्वास्थ्य केंद्र को भी सुधारा गया है। यहाँ गाँववालों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, तो पशुओं के लिए भी एक पशु चिकित्सालय है।

गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व पशु चिकित्सालय भी हैं

गाँव में ज़्यादातर लोग कृषि और पशुपालन पर आधारित हैं। किसानों की मदद के लिए पंचायत में ही एक किसान सेवा केंद्र भी शुरू किया गया है। यहाँ पर किसानों को मौसम संबंधित जानकारी देने के साथ-साथ विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया जाता है। गाँव के कई किसान जैविक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं, जिसमें गौमूत्र और गोबर के खाद की ज़रूरत पड़ती है, इसलिए गाँव में एक गौशाला भी बनाय गया है। इस पहल के बाद यहाँ पर ग्वारपाठे (एलोवेरा) की खेती और बेहतर रूप से हो रही है।

घमुड़वाली का अपना पुलिस स्टेशन होने से यहाँ पर कानून-व्यवस्था भी दुरुस्त रहती है।

राजाराम जाखड़ ने आगे बताया, “हमने गाँव की स्वच्छता पर काफ़ी काम किया है, ताकि अगर कोई भी हमारे गाँव से होकर गुज़रे तो उन्हें गाँव का विकास देखकर ख़ुशी हो। गाँव के हर एक घर में आज शौचालय हैं और साथ ही, सभी गाँव वालों को हिदायत दी गयी है कि वे घरों से निकलने वाला कचरा कूड़ेदान आदि में भरकर रखें।”

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घरों से निकलने वाले कचरे को इकट्ठा करने के लिए ग्राम पंचायत ने एक ई-रिक्शा लगवाया हुआ है। यह ई-रिक्शा गाँव में 5-6 चक्कर लगाता है और सभी कूड़े-कचरे को इकट्ठा कर, प्रबंधन के लिए भेज दिया जाता है। गाँववाले भी सभी कार्यों में पंचायत का सहयोग करते हैं। अपने-अपने घरों के सामने सड़कों पर झाड़ू आदि गाँव की महिलाएँ ही लगा देती हैं, ताकि कहीं भी कूड़ा-कचरा जमा न हो।

कूड़े-कचरे को इकट्ठा करने के लिए गाँव में ई-रिक्शा शुरू किया गया और साथ ही, गाँव में पुलिस थाना भी है

विकास कार्य में आने वाली परेशानियों के बारे में राजाराम जाखड़ ने बताया कि बहुत बार सरकार द्वारा फण्ड मिलने में देरी होने से काम अटक जाते हैं। अगर सरकारी मदद समय पर मिलती रहे, तो गाँव में और भी बहुत से कार्य सम्पन्न हो सकते हैं।

लेकिन फिर भी उनका मनोबल एक पल के लिए भी कमजोर नहीं पड़ा। जैसे भी हो, वे हर संभव प्रयास करते हैं कि गाँव में ज़्यादा से ज़्यादा सुविधाएँ हों और घमुड़वाली का नाम हर जगह सम्मान के साथ लिया जाये। उनके नेतृत्व में ग्राम पंचायत द्वारा किये जा रहे कार्यों को न सिर्फ़ उनके अपने गाँववाले, बल्कि आस-पास के गांवों के लोग भी सराहते हैं। उन्हें अलग-अलग जगह ट्रेनिंग के लिए भी बुलाया जाता है।

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आख़िर में उन्होंने कहा, “गाँव में अभी बहुत कुछ हमने किया है, लेकिन और भी काफ़ी मुद्दे हैं, जिन पर काम करना ज़रूरी है। विकास का यह सिलसिला जो शुरू हुआ है, हमें उम्मीद है कि वह आगे भी जारी रहेगा। अभी हमारी प्राथमिकता गाँव में सरकारी स्कूल को सुधरवाना और सभी रास्तों पर स्ट्रीट-लाइट्स लगवाना है।”

यदि ग्राम पंचायत घमुड़वाली इसी तरह आगे बढ़ती रहे, तो बहुत जल्द इनका नाम भी भारत के स्मार्ट गांवों में शामिल हो जायेगा। हमें उम्मीद है कि घमुड़वाली से प्रेरणा लेकर जिले के बाकी गांवों में भी विकास की पहल शुरू होगी।

सरपंच राजाराम जाखड़ से संपर्क करने के लिए और गाँव के विकास कार्यों के बारे में अधिक जानने के लिए 09414087353 पर डायल करें!

संपादन – मानबी कटोच 


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