10वीं पास किसान ने शुरू किया अनोख़ा फार्म, 6, 000 किसानों तक पहुंचायी मदद!

सह्याद्री फार्म्स और अपने कुछ साथी किसानों की मदद से अगस्त 2016 में सूर्याजी शिंदे ने 'गोदावरी वैली फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी' शुरू की। उन्होंने हल्दी की फसल से कारोबार का आगाज़ किया।

भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन फिर भी हमारे यहाँ सबसे ज़्यादा मुश्किलें किसानों को ही झेलनी पड़ती हैं। मौसम के बिगड़ते हालात, आर्थिक तंगी, नयी तकनीक और सही जानकारी का अभाव जैसी बहुत-सी परेशानियों से देश के किसान जूझते रहते हैं। फिर फसल के बाद उन्हें बाज़ार में लागत के हिसाब से सही कीमत भी नहीं मिल पाती है।

किसानों की इन्हीं मुश्किलों को देखते हुए ही साल 2016 में महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के कलमनुरी में ‘गोदावरी वैली फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ की शुरुआत की गयी। इस कंपनी को आज ‘गोदा फार्म्स’ के नाम से जाना जाता है। गोदा फार्म्स का उद्देश्य किसानों के लिए एक बेहतर बाज़ार उपलब्ध कराना है, ताकि उन्हें उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके। इसके साथ ही, किसानों की फसल लगाने से लेकर हार्वेस्टिंग तक की प्रक्रिया में हर संभव मदद की जाती है।

कलमनुरी तालुका के रहने वाले सूर्याजी शिंदे ने ‘गोदा फार्म्स‘ की नींव रखी। दसवीं कक्षा तक पढ़े सूर्याजी ने साल 2007 तक खेती की और फिर ‘कृषि केंद्र’ के नाम से उन्होंने उर्वरकों के वितरण का काम किया। द बेटर इंडिया से बात करते हुए सूर्याजी कहते हैं, “इसी तरह आगे बढ़ते हुए मैंने कपास की फसल में भी इन्वेस्ट किया। मैं किसानों से कपास खरीदता और फिर कपास मंडी में जाकर बेचता था। इसी दौरान अलग-अलग लोगों से मुलाक़ात हुई और मैं सह्याद्री फार्म्स के संपर्क में आया।”

सूर्याजी शिंदे

किसानों के लिए सह्याद्री फार्म्स द्वारा आयोजित किए जाने वाले ट्रेनिंग सेशन और बैठकों में वे भी जाने लगे। आगे चल कर सूर्याजी स्थानीय किसानों की ट्रेनिंग के लिए सह्याद्री फार्म्स से एक्सपर्ट्स को बुलाने लगे। ऐसा कुछ समय तक चला और फिर विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि क्यों न हिंगोली और आस-पास के किसानों के फायदे के लिए कलमनुरी में ही कोई संगठन शुरू किया जाए, जिससे किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए बाहर नहीं जाना पड़े और उन्हें हर दिन फसलों के मूल्यों के बारे में बताया जाए, ताकि कोई उन्हें ठग न पाए।

सह्याद्री फार्म्स और अपने कुछ साथी किसानों की मदद से अगस्त 2016 में सूर्याजी शिंदे ने ‘गोदावरी वैली फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी’ शुरू की। उन्होंने हल्दी की फसल से कारोबार का आगाज़ किया। किसानों से उनकी फसल खरीदने के बाद वे अपने यहाँ ही उसकी शुरुआती प्रोसेसिंग करके प्रोडक्ट तैयार करते हैं और इसके बाद उत्पाद को बाज़ार में बेचा जाता है।

गोदा फार्म्स के वर्किंग मॉडल के बारे में हमें विस्तार से कंपनी के सीनियर मैनेजर अमोल धवन ने बताया। उन्होंने बताया कि कंपनी के शुरू होने के एक साल के भीतर ही गोदा फार्म्स न सिर्फ़ हल्दी, बल्कि तुअर दाल, सोयाबीन और चना की फसल पर काम करने लगा। पहले उनके पास सिर्फ़ सरकार से ही कॉन्ट्रैक्ट था, लेकिन धीरे-धीरे निजी संगठनों के साथ भी उन्होंने काम करना शुरू किया।

गोदा फार्म्स

उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य सिर्फ़ अपने लिए मुनाफ़ा कमाना नहीं, बल्कि किसानों का उत्थान भी है। इसीलिए गोदा फार्म्स की नींव रखी गयी थी, क्योंकि पहले सह्याद्री फार्म्स के साथ मिलकर सूर्याजी सिर्फ़ किसानों को ट्रेनिंग ही दिलवा पाते थे। लेकिन एक-दो दिन के ट्रेनिंग सेशन से किसानों को बहुत ज़्यादा मदद नहीं मिल पाती थी। सवाल यह था कि अगर फसल के सीजन के दौरान उन्हें किसी मदद की ज़रूरत हो, तो यह कैसे की जाए।”

आज गोदा फार्म्स, किसानों से फसल खरीदने से लेकर उत्पादों की मार्केटिंग तक, हर क्षेत्र में काम कर रहा है और साथ ही किसानों की रोज़मर्रा की समस्याओं को हल करने पर भी ध्यान दे रहा है। अमोल बताते हैं कि बाज़ार में अपनी जगह बनाने के साथ-साथ वे लोग किसानों में जागरूकता भी बढ़ा रहे हैं।

किसानों को मिलने वाली सुविधाएँ :

  1. ट्रेनिंग प्रोग्राम: गोदा फार्म्स न सिर्फ़ महाराष्ट्र के किसानों को, बल्कि पूरे देश से किसानों को ट्रेनिंग सेशन के लिए बुलाता है। कृषि संस्थानों से एक्सपर्ट्स, एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स और देश के मशहूर जैविक किसान किसानों को बदलते मौसम और ज़मीन के स्तर के हिसाब से बीज लगाने से लेकर हार्वेस्टिंग तक की ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही, बदलते वक़्त के अनुसार स्मार्ट तकनीक का कैसे इस्तेमाल हो, इस पर भी चर्चा होती है। किसानों को यह ट्रेनिंग खेतों में ही दी जाती है, ताकि उन्हें सामने-सामने सारी प्रक्रिया दिखाई जा सके।
  2. गोदा फार्म्स की एक कोशिश यह भी है कि जो भी किसान उनके साथ जुड़े हुए हैं, उन किसानों के कम से कम 30, 000 रुपये प्रति माह कमाई हो ताकि उनके घर की आर्थिक स्थिति संभल सके। जिससे कि इन परिवारों में शिक्षा और रोज़गार का स्तर ऊँचा उठे और उनका आत्म-विश्वास बढ़े। इसके अलावा, उनका एक प्रोजेक्ट आदिवासी किसानों और उनके परिवार के कल्याण के लिए भी चल रहा है।
  3. इसके अलावा, वे हर रोज़ किसानों को अलग-अलग फसल का क्रय-विक्रय मूल्य एसएमएस द्वारा बताते हैं। किसानों का सबसे ज़्यादा शोषण हमारे यहाँ जानकारी के अभाव में होता है। अब वे हर रोज़ बाज़ार जाकर फसल का मूल्य पता करें और फिर उस हिसाब से बाज़ार फसल लेकर जाएं तो इसमें उनका बहुत नुकसान हो जाएगा। इसलिए वे जिस दिन ट्रांसपोर्टेशन का इंतजाम कर पाते हैं, उसी दिन के मूल्य के हिसाब से फसल बेचने को मजबूर होते हैं। अमोल बताते हैं, “हमारे पास लगभग 12, 000 किसानों का डाटा है। हम हर रोज़ एसएमएस से उन्हें बाज़ार के मूल्यों की जानकारी देते हैं, ताकि वे तय कर सकें कि उन्हें किस दिन बाज़ार जाना है। साथ ही, हम उन्हें ‘गोदा फार्म्स’ का क्रय मूल्य भी बता देते हैं, जिससे अगर उन्हें कोई कम रेट दे रहा हो, तो वे फ़ैसला कर सकें कि उन्हें किसे अपनी फसल बेचनी है।”
  4. खेतों पर ही सीधे ट्रेनिंग करवाई जाती है
  5. जो भी किसान गोदा फार्म्स को अपनी फसल बेचता है, उसे फसल के स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा भी दी जाती है। साथ ही, गोदा फार्म्स से जुड़े रेग्युलर किसानों को यदि पूरे सीजन में किसी भी तरह की समस्या हो तो वे कभी भी सूर्याजी या फिर किसी और व्यक्ति से बेहिचक मदद मांग सकते हैं। बीज, उर्वरकों से लेकर नई तकनीक की मशीनों तक, हर एक चीज़ गोदा फार्म्स उन्हें बहुत ही कम लागत पर उपलब्ध करवाता है। जबकि बाकी डीलर बहुत ही हाई रेट पर किसानों को यह सब चीज़ें देते हैं क्योंकि उन्हें कंपनी से मार्जिन मिलता है।
  6. इंटिग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट और इंटिग्रेटेड क्रॉप मैनेजमेंट जैसी तकनीक के बारे में जानकारी : अमोल कहते हैं कि किसानों को यह तो बताया जाता है कि पेस्टिसाइड और फ़र्टिलाइज़र का उपयोग करने से फसल ज़्यादा मात्रा में होती है, लेकिन ये पेस्टिसाइड और फ़र्टिलाइज़र कब, कैसे और कितनी मात्रा में इस्तेमाल करने हैं, यह कोई नहीं बताता। किसानों को सिर्फ़ यह बताया जाता है कि आपकी फसल पर पेस्ट अटैक हो तो ये पेस्टिसाइड छिड़क दें। पर हम उनकी ट्रेनिंग करवाते हैं, ताकि उन्हें पहले से ही पता हो कि किन-किन तरीकों से वे फसलों पर पेस्ट अटैक होने से रोक सकते हैं। और यदि फिर भी पेस्ट अटैक हो तो किस फसल में कितनी मात्रा में पेस्टिसाइड छिड़कें।
  7. मार्केटिंग के लिए गोदा फार्म्स उत्तर और दक्षिण भारत में अपने पांव पसार रहा है। उनका उद्देश्य है कि भविष्य में सीधे ग्राहकों से जुड़कर उन तक उत्पाद पहुंचाए।
  8. सूर्याजी बताते हैं कि अन्य जगहों पर किसानों को उनकी फसल का मूल्य बाद में दिया जाता है। जिस रेट पर खरीददार बाहर बाज़ार में उत्पाद बेच रहा है, उसी हिसाब से किसानों को पैसे मिलते हैं। लेकिन गोदा फार्म्स में ऐसा नहीं है। वे जिस दिन किसानों की फसल खरीदने के लिए उसका वजन करते हैं, उसी दिन के क्रय मूल्य के हिसाब से उन्हें पैसे भी दे देते हैं, बाकी बाज़ार में भले ही उत्पाद किसी भी कीमत पर जा रहा हो। इससे किसानों को अपनी अगली फसल के लिए तैयारी करने के लिए कहीं और से कर्ज़ लेने की ज़रूरत नहीं होती है।
  9. एक ख़ास सुविधा जो गोदा फार्म्स ने शुरू की है, वह है फसलों के लिए अलग-अलग किस्म के बीज उपलब्ध करवाना। फ़िलहाल वे सोयाबीन के बीज विकसित कर रहे हैं और किसानों को उचित दरों पर देते हैं, ताकि किसान सिर्फ़ एक ही तरह की फसल न उगाते रहें। भविष्य में वे चना, प्याज और अन्य फसलों के बीज उगाने पर भी ध्यान देंगे।
  10. गोदा फार्म्स की एक मुहिम महिला किसानों को उनकी पहचान दे रही है। वे इस तरह की पहल कर रहे हैं जिससे महिला किसानों को कृषि क्षेत्र में ज़्यादा से ज़्यादा योगदान देने का मौका मिले और साथ ही, उन्हें उनके योगदान के लिए उचित सम्मान भी मिले। इससे समाज में एक बदलाव लाया जा सकता है।

आज गोदा फार्म्स के साथ 6, 000 से भी ज़्यादा किसान जुड़े हुए हैं। पिछले सीजन में कंपनी ने 40 करोड़ रुपए से ज़्यादा का कारोबार किया था और इस बार लक्ष्य 150 करोड़ रुपए तक का कारोबार करना है। साथ ही, वे पूरे देश में किसानों को जागरूक करने के लिए काम कर रहे हैं, क्योंकि अगर किसानों को पहले से ही ज़रूरी जानकारी होगी तो कोई भी उन्हें ठग नहीं पाएगा।

गोदा फार्म्स का एक और मुख्य लक्ष्य है किसानों को ‘जैविक खेती’ की तरफ ले जाना। उनके साथ आज बहुत से जैविक किसान जुड़े हुए हैं और वे चाहते हैं कि धीरे-धीरे ही सही, लेकिन पूरे देश में जैविक खेती हो। ‘गोदा फार्म्स’ से जुड़ने के लिए उनकी वेबसाइट देखें और उनके फेसबुक पेज पर जाएँ!

संपादन: मनोज झा


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X