यह लेख विल्ग्रो द्वारा प्रायोजित है।
किसी भी सकारात्मक बदलाव, आंदोलन या क्रांति का शुरुआती बिंदु अक्सर एक विचार या आइडिया होता है। ऐसे समय में, जब दुनिया एक महामारी और इसके बाद आने वाले कई सामाजिक-आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है, अच्छे बिजनेस प्लान के साथ जुड़ा हुआ आइडिया, एक ऐसी चीज है जो हमें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सही दिशा दिखा सकता है।
इसी विश्वास के साथ, एक प्रमुख सोशल एंटरप्राइज इनक्यूबेटर, विल्ग्रो पिछले 20 वर्षों से काम कर रहा है। विशेषज्ञों के मार्गदर्शन, उचित इंडस्ट्री एक्सपोज़र और कैपिटल फंडिंग के साथ विल्ग्रो ने विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले सामाजिक स्टार्टअप को बढ़ने और पर्याप्त प्रभाव पैदा करने का मौका दिया है। इन क्षेत्रों में कृषि, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छ ऊर्जा, आजीविका आदि शामिल हैं।
अपने कोर इनक्युबेशन प्रोग्राम के अलावा, विल्ग्रो आइपिच भी चलाता है। आइपिच उनका एनुअल डील डिस्कवरी प्लेटफॉर्म है, जो सामाजिक उद्यमी, इन्क्यूबेटरों और निवेशकों को एक दूसरे से संपर्क कराने में मदद करता है।
इस साल, अपने फंडिंग पार्टनर्स (बियॉन्ड कैपिटल फंड, उपया सोशल वेंचर्स, शेल फाउंडेशन, कैस्पियन डेट और टेरविलेगर सेंटर फॉर इनोवेशन इन शेल्टर: हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी) के साथ विल्ग्रो चयनित स्टार्टअप्स के लिए 15 लाख से 2 करोड़ रुपये के बीच सीड फंडिंग और ऋण समाधान की पेशकश कर रहे हैं।
अब, अपने चौथे साल में, आइपिच इन चार उद्यमों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है-
BeAble
BeAble की शुरुआत श्रीहरि केजी और हबीब अली ने 2017 में की थी। यह उद्यम डिजाइन और टेक्नोलोजी के माध्यम से अधिक सुलभ दुनिया बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, इस स्टार्टअप का आइडिया एक व्यक्तिगत दर्द से आया था। श्रीहरि बताते हैं, “मेरे अंकल को कुछ साल पहले स्ट्रोक हुआ था। उन्हें लकवा मार गया। 45 दिन के संघर्ष के बाद आखिरकार वह ज़िंदगी की जंग हार गए। उन्हें खोने के बाद, मुझे ऐसी परिस्थितियों में रोगियों और उनके परिवार द्वारा महसूस किए गए दर्द का पता चला और मैं उनकी मदद के लिए कुछ करना चाहता था।” श्रीहरि ने अपने दोस्त हबीब से संपर्क किया। हबीब एक बायोमेडिकल इंजीनियर हैं।
मीडिया और संचार में श्रीहरि की विशेषज्ञता और हबीब के तकनीकी मार्गदर्शन के साथ, इस जोड़ी ने ने हेमप्लीजीआ या हेमीपेरासिस से पीड़ित लोगों के लिए एक गेम-आधारित समाधान बनाया। हेमप्लीजीआ या हेमीपेरासिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें स्ट्रोक के बाद एक तरफ का शरीर कमजोर या लकवाग्रस्त हो जाता है।
उन्होंने दो सेगमेंट बनाए:
- हार्डवेयर जिसे आर्मएबल कहा जाता है, जो पीड़ितों को कुछ गतिविधियों को करने और रिहैब थेरैपी के हिस्से के रूप में खेल खेलने में मदद कर सकता है।
- सॉफ्टवेयर जिसे बीवन कहा जाता है, जो क्लाउड-आधारित एप्लिकेशन है जो व्यक्ति की प्रगति के वास्तविक समय के डेटा को रिकॉर्ड करता है और इसे पीड़ित के परिवार और डॉक्टरों के साथ साझा करता है।
हबीब कहते हैं, “ज़्यादातर मामलों में, स्ट्रोक के बाद लकवे से पीड़ित मरीज़ से कहा जाता है कि वह अपनी टांग के ऊपरी हिस्से का हर रोज नियमित रूप रीहैब कराये। यह न केवल महंगा है, बल्कि काफी थका देने वाला भी है। लेकिन यह गेम-आधारित थेरेपी आकर्षक, सुसंगत और उपचार को पूरा करने में कुशल है।”
श्रीहरि कहते हैं, “हमने-आइपिच के लिए आवेदन किया और 2019 में जीत हासिल की। सामाजिक प्रभाव पैदा करने के लिए निरंतर सलाह और मार्गदर्शन हमारे लिए काफी अहम रहा।”
5C Network
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2015 में, जब कल्याण शिवसैलम के दोस्त सैयद अहमद को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तो उनकी MRI रिपोर्ट्स मिलने में लगभग दो दिन लग गए थे। इस असुविधा ने एक स्थायी समाधान की दिशा में एक नए विचार को जन्म दिया।
शिवशैलम ने नेशनल इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नोलोजी, सुरथकल से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की है और साथ ही बेंगलुरु के नेशनल लॉ स्कूल से इंटेल्कचुअल प्रॉपर्टी लॉ में पोस्ट-ग्रैजुएशन की डिग्री भी हासिल की है।
वह बताते हैं, “मुझे लगता है कि बीमारी की जड़ को ढूँढ लेना उसके ठीक होने का सबसे पहला उपचार है। इसलिए हमने सोचा, कि क्यों न एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म बनाया जाए जो इस टर्नअराउंड समय को कम करे और यह सुनिश्चित करे कि मरीज़ बिना किसी परेशानी के अपनी रिपोर्ट पा लें। ”
2016 में अहमद और शिवसैलम ने 5C नेटवर्क नामक एक संयुक्त उद्यम शुरु किया।
5C नेटवर्क एक क्लाउड-आधारित प्लेटफ़ॉर्म है जो अस्पतालों और डॉयगोन्सटिक सेंटरों को एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन के निदान के लिए विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्ट से जोड़ता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मरीज को समय पर और बेहतर निदान मिले यह पांच मुख्य हितधारकों यानी स्टेकहोल्डर (रोगी, अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर, एक ऑन-डिमांड रेडियोलॉजिस्ट, डॉक्टर, और तकनीशियन) के बीच सहयोग सुनिश्चित करता है।
5C नेटवर्क ने इस काम को आसान बना दिया है। मात्र एक बटन क्लिक करने से कोई भी अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर रोगी के इतिहास और लक्षणों के साथ 5C को मेडिकल इमेज भेज सकता है जिसे उनकी वेबसाइट या मोबाइल ऐप में जोड़ा जा सकता है। एक बार जब यह ऑनलाइन उपलब्ध होता है तो कोई भी बड़ी आसानी से किसी भी मामले में उपलब्ध सबसे अच्छे रेडियोलॉजिस्ट से सहायता ले सकता है और केवल 39 मिनट में निदान पा सकता है, जिसके लिए सामान्य स्थिति में 2 दिन तक का समय लगता है। अपनी कुशलता के कारण, यह प्लेटफॉर्म प्रतिदिन 1,500 से अधिक मामलों को संभालता है।
वह कहते हैं, “अक्टूबर 2016 में मैसूरु में सिर्फ एक क्लाइंट के साथ इस यात्रा की शुरुआत हुई थी। और आज, हम 24 राज्यों में 400 से अधिक क्लाइंट और 180 ऑन-डिमांड रेडियोलॉजिस्ट के साथ भारत के सबसे बड़े रेडियोलॉजी समूह हैं। “
2018 में उन्होंने आईपिच प्रतियोगिता के लिए इस आइडिया के साथ विल्ग्रो के साथ पिच किया। शिवैसैलम बताते हैं, “मुझे आज भी वो पल याद है जब विल्ग्रो अनकंवेंशन में जीतने के बाद चेक लिया था। विल्ग्रो की टीम अद्भुत, सहायक और आनंददायक रही है। आईपिच जीतने के बाद हमारी ग्रोथ ज़बरदस्त रही। और विल्ग्रों के साथ होने से हमें उम्मीद है कि हम और आगे बढ़ेंगे।”
CultYvate के संस्थापक, मल्लेश तिगली कहते हैं, “इंजीनियरिंग क्षेत्र में कई वर्षों तक काम करने के बावजूद, मेरा जुनून हमेशा खेती का था। मैं एक कृषि परिवार में बड़ा हुआ, जहां मेरे दादाजी गन्ने उगाते थे और गुड़ बनाते थे। मुझे यह देख कर काफी आश्चर्य होता था कि शहर में नौकरी करने वाले मेरे पिता की तुलना में वह अच्छा-खासा कमाते थे। आज सालों बाद, देश में किसानों की स्थिति पहले जैसी नहीं है। इसलिए मैं इस मुद्दे को हल करने में मदद करने के लिए अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करना चाहता था।”
यह स्टार्टअप किसानों को केला, अंगूर, अनार, धान और गन्ना उगाने में मदद के साथ एआई और आईओटी-आधारित खेत और फसल सिंचाई समाधान का उपयोग करके 30% तक लाभ बढ़ाने में सहायता करता है।
इसकी स्थापना 2017 में हुई थी। उद्यम का लक्ष्य किसानों को सस्ती कीमत पर ज़्यादा टिकाऊ बनाने में मदद करना था। उचित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने वाले कई मापदंडों की गणना और विश्लेषण से कृषि-वैज्ञानिक सेट-अप पानी और श्रम के इष्टतम उपयोग की अनुमति देता है। इससे किसानों को 50 फीसदी पानी बचाने में मदद मिलती है।
दो साल के लंबे रिसर्च और के बाद मल्लेश ने 2019 में इसे पूरी तरह से लॉन्च किया। वह कहते हैं, “हमारी तकनीक किसानों को जलवायु परिस्थितियों का विश्लेषण करने और स्थानीय और विदेशी, दोनों प्रकार की फसलों के लिए अपने खेती की योजना बनाने में मदद करती है। यह उन्हें रोग और कीट संक्रमण की संभावना को समझने और उन्हें कम करने में भी मदद करता है। साथ ही उत्पादन चक्र के संबंध में भी जानकारी देता है।
अब तक, उन्होंने 1,800 किसानों से संपर्क किया है जो इस तकनीक के माध्यम से 12 करोड़ लीटर से अधिक पानी बचाने में सक्षम हुए हैं।
मल्लेश बताते हैं, “विल्ग्रो की मदद के बिना आउटरीच और प्रभाव मुमकिन नहीं था। आइपिच जीतने के बाद, मुझे न केवल फंडिंग के साथ मदद की गई थी, बल्कि मुझे उससे काफी ज़्यादा मिला है। वे पूरी तरह से पर्याप्त हैं और स्टार्टअप के ग्रोथ में पर्याप्त मेंटरशिप और इंडस्ट्री एक्सपोजर प्रदान करके निवेश करते हैं।”
Kritsnam Technologies
इसकी स्थापना 2015 में आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र के श्री हर्ष करुमची, विनय चतरजू और प्रुद्धवी सागर द्वारा की गई थी। कृत्स्नम की शुरुआत विकासशील देशों को डेटा-संचालित और लागत प्रभावी जल संसाधन प्रबंधन तकनीकों को सशक्त बनाने के उदेश्य से हुआ था।
यह श्री हर्ष की एमटेक थीसिस के विस्तार के रूप में शुरू हुआ, और बाद में एक कंपनी के रूप में विकसित हुई जिसका उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना और केवल 5 वर्षों में नहर सिंचाई क्षमता को बढ़ाना है।
अपने समाधानो, ISWWAR और DHARMA, के माध्यम से उनकी कोशिश है कि कृषि के साथ-साथ पीने के लिए पानी तक सभी की समान पहुंच हो। इसके अलावा, कृत्स्नम का IoT- सक्षम ग्राउंड सेंसर वास्तविक समय में निर्णय लेने में सहायता करता हैं।
2019 में, उन्हें विल्ग्रो का समर्थन मिला और 50 लाख रुपये का आइपिच अनुदान प्राप्त हुआ था। अब तक कृत्स्नम ने 150 किसानों की मदद से सिर्फ एक ही सीजन में 30 मिलियन लीटर भूजल बचाया है। इससे एक मौसम में सिंचाई में 1200-1800 रुपये और प्रति किसान डीजल कीमत की बचत हुई है।
इन सभी वर्षों में विल्ग्रो ने 315 से अधिक उद्यमों का समर्थन किया है और भारत में स्टार्टअप-मॉडल में पर्याप्त बदलाव के लिए प्रेरित करते हुए, 20 मिलियन लोगों को प्रभावित किया है। अपने काम के माध्यम से विल्ग्रो ने न केवल सैकड़ों विचारों का समर्थन किया है, बल्कि कई हाशिए के समुदायों को भी बदलाव का वाहक बनने में मदद की है।
कोविड -19 का देश भर के लाखों लोगों के स्वास्थ्य, कल्याण और आजीविका पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए, इस साल, विल्ग्रो ने आइपिच को रीमॉडल किया है।
2020 में इसका उद्देश्य सेक्टरों और चरणों के व्यापक दायरे के साथ जितना ज़्यादा हो सके प्रभाव पैदा करने वाले समाधानों का समर्थन करना है।
2020 आइपिच एप्लिकेशन 30 सितंबर 2020 को बंद होगा। आवेदन करने के लिए, यहां क्लिक करें।
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