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किसानों के लिए NRRI के वैज्ञानिकों का तोहफ़ा, अब सौर ऊर्जा से हो जायेगा कीटों का खात्मा

ICAR-NRRI, कटक के वैज्ञानिकों द्वारा कृषि क्षेत्रों में कीटों की जाँच के लिए, एक खास Alternate Energy Light Trap उपकरण विकसित किया गया है, जो किसानों की 'पेस्ट-मैनेजमेंट' में मदद करेगा और इस आविष्कार के लिए उन्हें पेटेंट भी मिला है।

फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट, हमेशा से ही किसानों के लिए एक बड़ी परेशानी का कारण रहे हैं। इस वजह से, कुछ किसान अपनी फसलों पर हानिकारक कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। जिसके दुष्प्रभाव आज हम सबके सामने हैं। साथ ही, कीटनाशकों के बढ़ते दामों के कारण किसान की खेती में लागत भी बढ़ रही है। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ‘राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक‘ (National Rice Research Institute) के वैज्ञानिकों ने एक सौर आविष्कार (solar innovation) किया है, जो खेतों में कीट-प्रबंधन में मददगार है। 

भाकृअनुप – राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-NRRI) कटक के वैज्ञानिकों द्वारा कृषि क्षेत्रों में कीटों की जाँच के लिए, एक खास उपकरण, ‘सौर चालित प्रकाश प्रपंच’ (Alternate Energy Light Trap) विकसित किया गया है। फरवरी 2021 में, इस उपकरण के लिए उन्हें एक पेटेंट भी मिला है। यह उपकरण सौर ऊर्जा (solar innovation) से संचालित होता है। यह भारत में अपनी तरह का पहला उपकरण है। 

‘राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान’ के प्रधान वैज्ञानिक (एंटोमोलॉजी) तथा नोडल अधिकारी (राइसएक्सपर्ट ऐप), डॉ. श्यामरंजन दास महापात्र और पूर्व प्रधान वैज्ञानिक (एंटोमोलॉजी), डॉ. मायाबिनी जेना ने मिलकर इस उपकरण का आविष्कार किया है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए, डॉ. श्यामरंजन ने बताया कि साल 2013 में, उन्होंने इस काम की शुरुआत की और साल 2014 में इसका प्रोटोटाइप तैयार किया था। जिसके बाद उन्होंने पेटेंट के लिए अप्लाई किया था। 

किसानों के लिए बनाई खास तकनीक: 

वह आगे बताते हैं कि किसान अपने खेतों में कीट-प्रबंधन सिर्फ तभी करते हैं, जब उन्हें इनका दुष्प्रभाव अपने खेतों में दिखने लगता है। इस वजह से, उनकी निर्भरता रसायनिक छिड़काव पर बढ़ जाती है ताकि वे खेतों के नुकसान को रोक सकें। इस तकनीक से किसानों को पहले ही, खेतों में छिपे हानिकारक कीटों का पता चल जाएगा और वे समय रहते कीट-प्रबंधन कर पाएंगे।

उन्होंने आगे कहा, “इस ट्रैप सिस्टम में ऊपर सोलर पैनल लगा हुआ है, तथा इसके नीचे एक बल्ब है, जो रात को जलता है और कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। इसके अलावा इसमें दो चेंबर हैं, जिन्हें एक मैश (जाली) से अलग-अलग किया गया है। इसमें एक कंपन उपकरण भी है। इसके एक चेंबर में छोटे कीट इकट्ठा होते हैं, जो ज्यादातर किसान मित्र होते हैं और दूसरे चेंबर में बड़े कीट, जो हानिकारक होते हैं। चेंबर में इकट्ठा होने वाले कीटों को देखकर, किसान उनके प्रबंधन का सही इंतजाम कर सकते हैं।” 

वह आगे बताते हैं कि पहले से जो ट्रैप सिस्टम उपलब्ध हैं, उनमें ‘किसान मित्र कीटों’ को बचाने की सुविधा नहीं है और ज्यादातर सिस्टम बिजली से काम करते हैं। आज भी ग्रामीण इलाकों में बिजली की काफी समस्या रहती है। ऐसे में, सौर ऊर्जा संचालित यह उपकरण (solar innovation) किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। डॉ. श्यामरंजन और उनकी टीम ने संस्थान के शोध क्षेत्र में यह उपकरण स्थापित किया है और उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। उन्होंने कहा, “हमने इसकी टेस्टिंग के बाद ही पेटेंट के लिए अप्लाई किया था। पेटेंट ऑफिस द्वारा भी पूरी तसल्ली और जांच प्रक्रिया के बाद, इस साल हमें पेटेंट दिया गया।” 

NRRI Scientists Solar Innovation
आविष्कार के लिए मिला पेटेंट

यह एक ऑटोमेटिक उपकरण है, जो सौर ऊर्जा (solar innovation) से चलता है। किसान इसमें टाइमर सेट कर सकते हैं। इसके अलावा, इस उपकरण को जरूरत के हिसाब से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। बादल और धुंध भरे मौसम में भी उपकरण को संग्रहित और संचालित करने के लिए, इसमें उच्च क्षमता की बैटरी लगाई गई है। यह उपकरण पूरा चार्ज होने पर, तीन-चार दिन आराम से चल सकता है। साथ ही, डॉ. श्यामरंजन कहते हैं कि इसकी मदद से किसानों के लिए, उनके खेतों में आने वाले सभी तरह के कीटों का निरीक्षण और शोध आसान हो जाएगा, जिससे वे पहले से ही कीट-प्रबंधन के लिए तैयार रहेंगे। 

अगर किसानों को फसलों में लगने वाले कीटों के बारे में, पहले से जानकारी होगी, तो वे जरूरत के हिसाब से ही कीटनाशकों का इस्तेमाल करेंगे या समय रहते कोई जैविक तरीका भी निकाला जा सकता है। इससे किसानों की रसायनों पर निर्भरता कम होगी और उनका खर्च भी कम होगा। एक ही जगह पर, अलग-अलग तरह के कीटों का नियंत्रण किया जा सकेगा। इस उपकरण की एक विशेषता यह भी है कि इसे सालों-साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। 

जमीनी स्तर तक पहुँचने की कोशिश: 

ओडिशा के बालेश्वर में रहने वाले एक किसान झाटू चरण दास बताते हैं, “डॉ. श्यामरंजन ने साल 2018 में, हमारे इलाके में कई किसानों को इकट्ठा करके इस उपकरण को चला कर दिखाया और इसे चलाने तथा इसके उपयोग से जुड़ी बातों के बारे में अच्छे से समझाया। इस उपकरण के बारे में ज्यादा से ज्यादा किसानों को जानकारी देने के लिए, वह चार-पाँच बार बालासोर आए। मेरे खेत में भी उन्होंने उपकरण लगाया था और यह बहुत अच्छे से काम करता है। मेरे खेत में इस उपकरण को सिर्फ चार-छह घंटे के लिए लगाया था, जिससे मुझे कई हानिकारक कीटों के बारे में पता चला।” 

दास, मौसमी सब्जियों और धान की खेती करते हैं। वह कहते हैं कि उपकरण की मदद से उन्हें जिन भी कीटों के बारे में जानकारी मिली, उन्होंने उनके हिसाब से खेत में कीट-प्रबंधन किया। अब उन्हें बहुत ही कम रसायन अपने खेतों में इस्तेमाल करना पड़ता है। अब वह पहले से ही, तरह-तरह के कीट प्रबंधन तरीके तैयार रखते हैं, जिससे उनके खेतों में उपज भी ज्यादा हो रही है। उनका कहना है, “अगर सरकार या प्रशासन, सभी किसानों को इस तरह के उपकरण दें तो यह बहुत फायदेमंद होगा। इससे किसान को बहुत ज्यादा मात्रा में अपनी फसलों को बचाने में मदद मिलेगी।” 

NRRI Scientists Solar Innovation
किसानों को डेमो देते डॉ. श्यामरंजन

दास जैसे सैंकड़ों किसानों तक इस तकनीक (solar innovation) को पहुंचाने के लिए, संस्थान द्वारा कई कंपनियों में इस तकनीक का लाइसेंस दिया जा रहा है। डॉ. श्यामरंजन का कहना है कि इस उपकरण के दो मॉडल हैं- एक बड़ा और एक छोटा। बड़ा मॉडल लगभग एक हेक्टेयर खेत के लिए अनुकूल है और इसकी कीमत लगभग 8800 रुपए है। वहीं, छोटा मॉडल एक-दो एकड़ जमीन वाले किसानों के लिए अच्छा है और इसकी कीमत 4100 रुपए है। हालांकि, अगर सरकार द्वारा इस उपकरण के लिए कोई योजना तैयार की जाए तो और सस्ती कीमतों पर इन्हें किसानों को उपलब्ध कराया जा सकता है। 

अगर आप इस उपकरण के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो डॉ. श्यामरंजन दास को sdmento73@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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