ऐसा स्टार्टअप, जहां आप कचरा बेचकर बदले में खरीद सकते हैं किचन से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक

अहमदाबाद के हार्दिक शाह ने एक ऐसा ऐप बनाया है, जहां आप अपने घर के वेस्ट सामान को बेचकर अपनी ज़रूरत का कोई भी रीसायकल्ड प्रोडक्ट खरीद सकते हैं।

क्या आपको भी ऑनलाइन शॉपिंग की आदत है? अगर हां, तो फिर आपका घर भी अलग-अलग तरह के कागज के कचरे यानी गत्तों से भरा होगा। अब चाहे आप साबुन खरीदें या फिर किताबों के लिए ऑर्डर दें, पैकिंग का ढेर इनके साथ आता ही है। समझ नहीं आता कि आखिर इसका करें क्या? कूड़े में फेंक दें या फिर बेच दें?

यह लगभग हर घर की समस्या है। मैं भी कुछ ऐसी ही चीजों को देखते हुए बड़ी हुई हूं। मुझे याद है कि महीने में एक बार घर में कबाड़ीवाला जरूर आता था और घर के सारे पुराने अखबार, बोतलें और बहुत सा सामान लेकर जाता था। लेकिन अब मेरे घर में यह सब नहीं होता है। क्योंकि अब यह मेरे लिए कचरा नहीं, बल्कि सामान खरीदने का जरिया बन गया है। मैं अब इसे संभाल कर रखती हूं।

जी हां, सही पढ़ा आपने। अहमदाबाद के रहने वाले हार्दिक शाह, एक इंस्ट्रूमेंटेशन और कंट्रोल इंजीनियर हैं। उन्होंने कई सालों तक आईटी क्षेत्र में काम किया है। आज वह एक उद्यमी हैं और ‘इनोवेट ग्रीन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से अपना क्लीनटेक स्टार्टअप चला रहे हैं।

यह एक ऐसा स्टार्टअप है, जहां ग्राहक अपने घर के कचरे या यूं कहें कि बेकार पड़े सामान के बदले में रीसायकल्ड प्रोडक्ट खरीद सकते हैं। 

जापान से मिला आइडिया

Hardik got idea of his start up of waste management and recycling during his Japan trip
Hardik Shah In Japan

द बेटर इंडिया से बात करते हुए हार्दिक कहते हैं, “मैं साल 2011 में काम के सिलसिले में जापान गया था। वहां मैंने देखा कि जापानी लोग कितने अच्छे तरीके से वेस्ट मैनेजमेंट कर रहे थे। इस ट्रिप ने मुझे पर्यावरण के मुद्दों पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया था और फिर मैंने भी वेस्ट मैनेजमेंट पर काम करने की ठान ली। मैं इस पर रिसर्च करने में जुट गया। तकनीक पर मुझे भरोसा था और मैंने इसका फायदा उठाते हुए एक ऐप बनाया।”

वह आगे कहते हैं, “मुझे एक ऐसा सिस्टम तैयार करने की प्रेरणा मिली, जिससे क्वांटिफिकेशन (मात्रात्मक) से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को सुलझाने में मदद मिल सके। किसी भी स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए, उसके परिणाम को संख्या (Quantify) में बताओ तो लोग उसके बारे में संजीदगी से सोचना शुरू कर देते हैं। इस क्लीनटेक कंपनी को बनाने का असली मकसद पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना है।”

किसी भी चीज़ में अगर हम नंबर जोड़ दें, तो वह और भी वास्तविक लगने लगती है। हार्दिक समझाते हुए कहते हैं, “आपके बच्चे को बोर्ड परीक्षा में मिले स्कोर से लेकर आपकी गाड़ी के माइलेज तक, हर जगह नंबर महत्वपूर्ण है।”

“सर्कुलर इकोनॉमी को वापस लाना है मकसद”

सर्कुलर इकोनॉमी, उत्पादन और खपत का एक मॉडल है, जिसमें मौजूदा प्रोडक्ट को जहां तक संभव हो, लंबे समय तक फिर से इस्तेमाल करना, मरम्मत करना, किराए पर देना, रीसायकल करना या रिफर्बिशिंग करना शामिल है।

इससे उत्पाद का जीवन चक्र बढ़ जाता है। इसका सीधा सा मतलब है, जिस सामान को हम एक बार इस्तेमाल करने के बाद, कचरे में फेंक देते हैं, उसे फिर से इस्तेमाल के योग्य बनाकर, कचरे को कम करना।

हार्दिक बताते हैं, “एक लिनियर अर्थव्यवस्था में, जैसे ही आपने कोई उत्पाद खरीदा, उसके बाद से उत्पाद का ट्रांजेक्शन यानी उसका खरीदना-बेचना बंद हो जाता है। लेकिन एक सर्कुलर इकोनॉमी में यह हमेशा चलनेवाली गतिविधि होती है। ऐसा करने के पीछे हमारा एकमात्र मकसद जीरो-वेस्ट शहरों की ओर बढ़ना है।”

कचरे को बेच, लिविंग कॉस्ट करें कम

हार्दिक कहते हैं, “जरा सोचिए, कितना अच्छा होगा कि आपने जो कचरा पैदा किया है, उसे बेचकर आप पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ, अपने जीवन यापन की लागत को भी कम कर सकते हैं। इस सर्कुलर इकोनॉमी के तहत, आपने जो कुछ भी खरीदा या बेचा उससे लैंडफिल के बढ़ते ढेर को थोड़ी तो राहत मिलेगी ही।”

उनकी टीम ने इस काम के लिए जिस ऐप को बनाया है, वह फिलहाल Google Play स्टोर पर उपलब्ध है। यह ऐप ग्राहक, वेस्ट कलेक्शन पार्टनर, प्रोडक्ट डिलिवरी पार्टनर, रीसाइकलर, जीरो वेस्ट उत्पाद निर्माताओं, विक्रेताओं, कारीगरों और विनिर्माण ब्रांड को एक-दूसरे से जोड़ता है। दरअसल, यह ऐप यूजर को अपने बेकार सामान या कचरे को बेचने और रीसाइकल प्रोडक्ट खरीदने के लिए एक मंच प्रदान करता है। 

कचरे को बेचकर, क्या खरीदा जा सकता है? इस बारे में हार्दिक का कहना है, “आप ऐप पर अपने कचरे को बेचकर, बदले में कुछ भी ले सकते हैं, यहां तक कि पिज्जा भी और अगर आप पिज्जा बॉक्स को सहेज कर रखते हैं, तो अगली बार इससे भी कुछ खरीद सकते हैं। हार्दिक ने रिसायकल प्रोडक्ट के साथ इस ऐप को साल 2017 में शुरू किया था। आज इस पर 80 से ज्यादा विक्रेता जुड़े हैं और 5,000 से ज्यादा सब्स्क्राइबर्स हैं।

सब्सक्राइबर्स, ऐप पर जाकर अपने कचरे के बदले में कुछ भी खरीद सकते हैं। किचन से लेकर टेबलवेयर और बाथरूम के जरूरी सामान तक, सबकुछ आपको यहां मिल जाएगा। सजावटी सामान और स्किन केयर प्रोडक्ट्स भी ऐप पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। 

इकट्ठा कर सकते हैं क्रेडिट प्वाइंट्स

Team Recycle.Green, they Recycle waste material
Team Recycle.Green

हार्दिक ने ऐप के एक दिलचस्प फीचर क्रेडिट के बारे में बताते हुए कहा कि कचरे को बेचकर क्रेडिट प्वाइंट इकट्ठा कर लें और जब जरुरत हो, तब अपनी पसंद का सामान खरीद लें। उनका कहना है, “इससे ग्राहकों को अपना वॉलेट बनाने में मदद मिलती है और वे बाद में जब चाहें, सामान खरीद सकते हैं।” 

सब्सक्राइबर्स अपने वॉलेट में जमा पैसे को किसी भी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) गतिविधि के लिए दान भी कर सकते हैं। इनोवेट ग्रीन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड की सहायक कंपनी Recycle.Green का इसके साथ करार है। वह कहते हैं, “यह केवल एक कारण के लिए दान करने के बारे में नहीं है, हम एक कदम आगे बढ़ते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि ग्राहक को तब बुलाया जाए जब सीएसआर गतिविधि हो रही हो।”

अहमदाबाद में डीएवी की छात्रा शुभश्री, ऐप के कई ग्राहकों में से एक हैं। वह कंपनी के पर्यावरण को बचाने की मुहिम से काफी प्रभावित हैं और इस दिशा में उन्होंने भी अपने कुछ कदम बढ़ाए हैं। शुभश्री, अपने दोस्तों के एक समूह के साथ घर-घर जाकर लोगों को कचरे को अलग-अलग रखने की सलाह देती हैं। इसके अलावा, यह जानकारी भी देती हैं कि इस कचरे को लैंडफिल में डालने के बजाय रीसाइक्लिंग इकाइयों में बदलने की जरुरत क्यों है? उनके प्रयासों के चलते 500 किलोग्राम से अधिक कचरा लैंडफिल के ढेर में जाने से बचा है।

एनवायरमेंट सेविंग वैल्यूज (ईएसवी) को समझना

ईएसवी से आप जान सकते हैं कि पर्यावरण को बचाने में आपका क्या योगदान रहेगा। हार्दिक कहते हैं, “हमारे पास ईएसवी पर पेटेंट है। इसलिए, किसी उत्पाद को खरीदने और उसका उपभोग करने के इस पूरे चक्र में पर्यावरण पर आपके कदम का क्या प्रभाव पड़ा है, हम आपको यह बताने में सक्षम हैं।” एक बार लेनदेन पूरा हो जाने के बाद ग्राहक को एक प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।

Recycle.Green ने अब तक सामूहिक रूप से 279.56 पेड़ों, 56,490 किलो कार्बन उत्सर्जन, 37,59,645 लीटर जल प्रदूषण और 54,356 वर्ग मीटर भूमि प्रदूषण को बचाने में मदद की है। कुल मिलाकर, कंपनी 100 टन से अधिक कचरे को लैंडफिल में जाने से बचाने में कामयाब रही है।

अभी तक कचरे के लिए पिक-अप सेवा केवल अहमदाबाद में उपलब्ध है, लेकिन टीम जल्द ही अन्य शहरों में विस्तार करना चाहती है। शुरुआत में हार्दिक के सामने कई चुनौतियां आईं लेकिन वह डटे रहे। अपने विचारों पर कायम रहकर उन्होंने सफलता पाई और शुरुआती निवेशकों से दो दौर की पूंजी भी जुटाई है।

उनके काम के बारे में जानने के लिए, यहां क्लिक करें।

Read this story in English – Engineer’s Startup Allows You to Sell Your Waste & Buy a Pizza!

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ेंः स्कूल के बाद, खाली समय में शिक्षक ने शुरू किया डेयरी फार्म और कमाने लगे लाखों रुपये

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X