हर महीने शहर भर से 450 टन कचरा इकट्ठा करके, करते हैं करोड़ों की कमाई

RaddiBazaar Founders

हैदराबाद स्थित 'रद्दी बाजार', हर महीने शहर से 450 टन कचरे को इकट्ठा करता है, जिसमें से लगभग 200 टन प्लास्टिक के कचरे को रीसायकल किया जा रहा है।

“आपने देखा होगा कि ज्यादातर घरों में पुराने अख़बारों को भी संभाल कर रखा जाता है। क्योंकि यह ऐसी रद्दी है, जिसके बदले में लोगों को पैसे मिलते हैं। कुछ लोग प्लास्टिक की चीजों जैसे बोतल, डिब्बे आदि को भी संभालकर रखते हैं। लेकिन पॉलीबैग, रैपर, कांच की चीजें या मेटल आदि को कोई भी अपने घर में इकट्ठा करके नहीं रखता है। जैसे हर दिन आने वाले दूध-दही के पैकेट ज्यादातर डस्टबिन में ही जाते हैं। लेकिन अगर लोगों को इस तरह के कचरे के बदले भी कुछ मिलने लगे तो वे इस कचरे को भी इकट्ठा करके रीसाइक्लिंग के लिए देंगे,” यह कहना है हैदराबाद के विवेक अग्रवाल का। 

विवेक अग्रवाल अपने दोस्त, अभिषेक रेड्डी और आश्विन रेड्डी के साथ मिलकर ‘रद्दी बाजार‘ के नाम से स्टार्टअप चला रहे हैं। इस स्टार्टअप के जरिए वे हैदराबाद में रिहायशी इलाकों, बाजारों और अलग-अलग कंपनियों से कचरा इकट्ठा करके इसका प्रबंधन कर रहे हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने अपने इस सफर के बारे में बताया। 

Three Friends started Raddi Bazaar
Abhishek Reddy, Vivek Agarwal, and Ashwin Reddy

हर महीने इकट्ठा करते हैं लगभग 450 टन कचरा 

विवेक ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ बिर्मिंघम से सिविल इंजीनियरिंग की है और अभिषेक ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सस से मास्टर्स की डिग्री ली है। उन्होंने बताया, “हम बचपन से ही दोस्त हैं और दोनों ही व्यवसायी परिवारों से संबंध रखते हैं। इसलिए अपनी-अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद हमने कुछ समय अपने पारिवारिक व्यवसाय को संभाला। लेकिन हम हमेशा से ही कुछ अलग करना चाहते थे। खासकर कि ऐसे किसी सेक्टर में जो अव्यवस्थित हो। इसलिए हमने कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में एक बिज़नेस मॉडल खड़ा करने का फैसला किया।” 

विवेक और अभिषेक ने साल 2019 में ‘रद्दी बाजार’ की शुरुआत की और इस साल, आश्विन भी उनके साथ जुड़ गए। उन्होंने बताया कि रद्दी बाजार तीन मॉडल पर काम कर रहा है। पहला मॉडल हाउसिंग सोसाइटी के लिए है ताकि लोगों को कचरा प्रबंधन के प्रति जागरूक किया जाए। जैसे वे अख़बारों को ‘रद्दी’ के तौर पर अलग रखते हैं। वैसे ही दूसरे कचरे (जिन्हें रीसायकल या अपसायकल किया जा सकता है) को भी इकट्ठा करके रख सकते हैं। ताकि लैंडफिल और पानी के स्रोतों को बचाया जा सके। 

दूसरा मॉडल है रिटेल सेक्टर के लिए। जिसके जरिए उनकी टीम बाजार में दुकानों और स्टोर्स से कचरा इकट्ठा करती है। तीसरा मॉडल है इंडस्ट्री सेक्टर के लिए। इसके जरिए वे अलग-अलग कंपनियों के साथ टाई-अप करते हैं। रद्दी बाजार की टीम लगभग आठ तरह का कचरा इकट्ठा करती है जिसमें पेपर, प्लास्टिक, कांच, मेटल और इलेक्ट्रॉनिक कचरा शामिल है। “हमने हैदराबाद में अलग-अलग जगहों जैसे कुकटपल्ली, सिकंदराबाद और दिलसुखनगर में तीन कियोस्क (सेंटर) लगाए हुए हैं। यहां पर कोई भी हाउसिंग या रिटेल सेक्टर के लोग कचरा दे सकते हैं। अगर आप कचरा देना चाहते हैं तो आपको आपके कचरे की कीमत के हिसाब से पैसे या अपसायकल्ड स्टेशनरी उत्पाद दिए जायेंगे,” उन्होंने बताया। 

उनके एक क्लाइंट कहते हैं कि रद्दीबाजार कंपनी हमेशा समय से काम करती है। वे पिछले छह महीने से ज्यादा समय से उनकी सर्विस ले रहे हैं। इस दौरान एक दिन भी नहीं हुआ कि रद्दीबाजार की टीम ने कभी कचरा उठाने में देरी की है। वे बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से काम करते हैं।

Modern Raddiwala collecting dry waste
Collecting Dry Waste

हर महीने रद्दी बाजार की टीम लगभग 450 टन कचरा इकट्ठा करती है। जिसमें ज्यादातर अलग-अलग तरह का प्लास्टिक कचरा होता है। कचरे को इकट्ठा करने के बाद इसे अलग-अलग किया जाता है। सभी तरह के कचरे को अलग-अलग करने के बाद इसकी रीसाइक्लिंग का काम आता है। 

कचरा प्रबंधन से कमा रहे हैं करोड़ों रुपए 

विवेक और अभिषेक ने बताया कि प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग के लिए उन्होंने अपना खुद का एक प्लांट सेट-अप किया हुआ है। इस प्लांट में हर महीने लगभग 200 टन प्लास्टिक का कचरा रीसायकल किया जाता है। अन्य कचरे, जैसे पेपर, कांच या मेटल को वे दूसरे रीसायकलर्स को पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही वे अपना एक और प्लांट काकीनाडा में सेटअप करने वाले हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा प्लास्टिक को रीसायकल कर सकें। 

प्लास्टिक के अलावा उनका उद्देश्य पेपर रीसाइक्लिंग यूनिट सेट अप करने का भी है। आश्विन कहते हैं कि प्लास्टिक को रीसायकल करके वे प्लास्टिक ग्रेन्युल बनाते हैं। जिन्हें वे प्लास्टिक इंडस्ट्री में काम कर रही कंपनियों को देते हैं। क्योंकि इन रीसाइकल्ड प्लास्टिक ग्रैन्युल को कुर्सी, स्टूल, मेज जैसे उत्पाद बनाने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, “अगर कोई सही प्रक्रिया से इस क्षेत्र में काम करे तो आप अच्छा रेवेन्यू कमा सकते हैं। मात्र दो सालों में ही हमारी कंपनी का टर्नओवर करोड़ों रुपयों में पहुंच चुका है।”

सबसे दिलचस्प बात है कि उन्हें कभी भी मार्केटिंग पर खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ी है। उनकी कंपनी का कोई सोशल मीडिया पेज नहीं है। वे कहते हैं, “यह ऐसा सेक्टर है जिसमें ज्यादा से ज्यादा कचरा प्रबंधन करने वालो की जरूरत है। इसलिए हमें कभी कोई पब्लिसिटी करने की जरूरत नहीं पड़ी। हम कभी अपने किसी काम की तस्वीरें नहीं खींचते हैं। हमारा उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा कचरे का प्रबंधन करके इसे पर्यावरण में जाने से रोकना है।”

Plastic Recycling Plant
Plastic Recycling Plant

रद्दी बाजार की टीम जिन भी कंपनियों से कचरा इकट्ठा करती है। उन्हें हर महीने एक रिपोर्ट भी भेजती है। जिसमें बताया जाता है कि कचरा प्रबंधन की तरह उनके एक कदम की वजह से वे कितने पानी को प्रदूषित होने से बचा पाए हैं और कितने पेड़-पौधों को उन्होंने सुरक्षित किया है। “हमारा मानना है कि इस तरह से हम लोगों की सोच को बदल सकते हैं। अगर उन्हें बताया जाए कि किस तरह से उनका एक कदम समाज और पर्यावरण के लिए हितकारी साबित हो रहा है तो उन्हें आगे और काम करने की प्रेरणा मिलती है,” उन्होंने कहा। 

अब तक यह स्टार्टअप एक लाख से ज्यादा पेड़ों को और एक करोड़ लीटर से ज्यादा पानी को प्रदूषित होने से बचाने में कामयाब रहा है। क्योंकि हमारे देश में बहुत ही कम मात्रा में कचरा रीसायकल या अपसायकल होता है। ज्यादातर कचरा लैंडफिल या नदी-नालों में जाता है, जिस कारण हमारे पानी के स्रोत और जंगल प्रदूषित हो रहे हैं। साथ ही, भूमि प्रदूषण और वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। इसलिए हर किसी को कोशिश करनी चाहिए कि उनके घर से कम से कम कचरा डस्टबिन में जाए। 

आने वाले समय में वे उत्तर भारत में भी प्लांट सेटअप करने की योजना बना रहे हैं। इससे कचरा प्रबंधन होने के साथ-साथ लोगों के लिए रोजगार भी बढ़ेगा। अगर आप उनके बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो उनकी वेबसाइट देख सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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